एससी-एसटी महिलाओं के प्रति अपराधों को रोकना होगा
जयपुर। एससी और एसटी की महिलाओं के प्रति जमकर अपराध हो रहे हैं। उन्हें न्याय के लिए भी भटकना पड़ता है। ऐसे में हम इन महिलाओं के जीवन को कैसे बेहतर बना पाएंगे, यह बड़ा सवाल है। यह कहना है आईआईपीएस, मुंबई की रिसर्च स्कॉलर सुनंदिता दास का। दास ने कहा कि हमें लैंगिक भेदभाव को मिटाने के लिए सामूहिक और समग्र स्तर पर काम करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो लैंगिक समानता कभी भी नहीं आ पाएगी। यह बात उन्होंने झालाना स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ डवलपमेंट स्टडीज (आईडीएसजे) की ओर से आईडीएसजे के सभागार में बुधवार को आयोजित दो दिवसीय नेशनल सेमिनार के समापन पर कही। वहीं रिसर्च स्कॉलर मोहम्मद असफाहन नोमानी ने राजस्थान में गर्भवती महिलाओं के संदर्भ में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार के लिए मिलकर काम करना होगा।
आईडीएसजे के डॉ. वरिन्द्र जैन ने एससी-एसटी कामगारों और उनके जीवन की अनिश्चितता पर अपना रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। आईडीएसजे के निदेशक प्रोफेसर मोहना कुमार एस. और डॉ. स्वातिलेखा सेन ने राजस्थान के डेयरी सेक्टर में एससी-एसटी डेयरी किसानों की चिंताओं को रेखांकित किया। प्रोफेसर प्रहृलाद राय ने एससी-एसटी के लिए राजस्थान सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं से इन समुदायों के लोगों का जीवन स्तर बहुत हद तक सुधरा है। हालांकि उन्होंने योजनाओं के सरलीकरण पर जोर दिया। प्रोफेसर रमेश बैरवा ने राजस्थान में उच्च शिक्षा में एससी-एसटी समुदाय और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों पर अपनी बात रखी। समापन पर आईडीएसजे के डॉ. मोतीलाल महामलिक ने सभी आगंतुकों और अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
15 से अधिक रिसर्च पेपर प्रस्तुत
सेमिनार के दूसरे और अंतिम दिन एससी-एसटी से संबंधित 15 से अधिक रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए। पेपर प्रस्तुत करने वालों में डॉ. खुशबू शर्मा, गिरीश शास्त्री, डॉ. कुंवर सुरेंद्र बहादुर, रोहिताश कुमार, डॉ. उमा यादव, संतोष कुमार निमोरिया, डॉ. सुनिधि मिश्रा, संजय लोढ़ा, डॉ. सुमन मौर्य आदि प्रमुख रहे। समापन सत्र में विभिन्न विषयों पर ग्रुप डिस्कशन भी हुआ।

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कल्याण सिंह कोठारी, मीडिया कंसल्टेंट
मोबाइल: 94140 47744
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