SC-ST also faced difficulties in Covid
मीडिया

कोविड के बाद एससी-एसटी का जीवन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्धाटन

कोविड में अजा-अजजा ने भी किया मुश्किलों का सामना

जयपुर। कोविड और उसके बाद हर देशवासी ने बहुत संकट का जीवन गुजारा है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को भी अपनी आजीविका के लिए इस दौर में बहुत संघर्ष का सामना करना पड़ा है। यह कहना है इंस्टीट्यूट ऑफ डवलपमेंट स्टडीज, जयपुर (आईडीएसजे) के निदेशक प्रोफेसर मोहन कुमार एस. का। उन्होंने कहा कि देश में अजा जाति की जनसंख्या 16.6 प्रतिशत और अजजा की जनसंख्या 8.6 प्रतिशत है। मंगलवार को झालाना स्थित आईडीएसजे के सभागार में दो दिवसीय नेशनल सेमिनार के उद्घाटन सत्र में उन्होंने यह बात कही।

वहीं आईडीएसजे के चेयरपर्सन डॉ. अरविंद मायाराम ने कहा कि आजादी से लेकर आज तक अजा और अजजा जाति के लोगों ने बहुत मुश्किलों का सामना किया है। उन्होंने अपनी जिजीविषा से हर संकट को पार किया है। उनके जीवन जीने के कौशल से अन्य लोगों को सीख लेनी चाहिए। हालांकि विभिन्न सरकारी योजनाओं का उनको लाभ मिला है, जिससे उनका जीवन आसान हुआ है। सेमिनार में आईआईएम, अहमदाबाद के प्रोफेसर राकेश बसंत ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने हिस्से का संघर्ष करते हुए देश के विकास में योगदान देना होगा। पहने दिन के समापन पर आईडीएसजे की डॉ. खुशबू शर्मा ने सभी आगंतुकों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

इन्होंने प्रस्तुत किए रिसर्च पेपर

सेमिनार के पहले दिन 10 से अधिक रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए। सभी की थीम कोविड के बाद एससी और एसटी जातियों का जीवन और उनकी आजीविका रही। पेपर प्रस्तुत करने वालों में पूर्व आईपीएस डॉ. हरिराम मीणा, डॉ. सोना मंडल, डॉ. शारदा प्रसाद, हर्षित कुमार कुशवाहा, डॉ. सुरेंद्र सिंह जाटव, कस्तूरी देव चौधरी, प्रेम कुमार, डॉ. विजय कोर्रा, डॉ. रति कांत कुंभकर, डॉ. वेंकटनारायण मोटकुरी, डॉ. दयाकर पेड्डी, डॉ. बी. सुरेश रेड्डी, डॉ. ई. रेवती, संदीप आर. वेरी, दीपक, डॉ. खुशबू शर्मा, डॉ. विपिन कुमार आर. और प्रो. मोहन कुमार एस. प्रमुख रहे। इस दौरान विभिन्न थीम्स और सब थीम्स पर पैनल डिस्कशन भी हुआ।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
कल्याण सिंह कोठारी, मीडिया कंसल्टेंट
मोबाइल: 94140 47744

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