डिजिटल दौर में भी पुस्तकें हैं प्रासंगिक – डॉ. श्रीवास्तव
हनुमानगढ़, 12 अगस्त।
आज के बदलते दौर में जहाँ हरेक चीज डिजिटलीकरण से गुजर रही है, पुस्तकों का महत्व बिलकुल भी कमतर नहीं हुआ है। पुस्तकें न केवल ज्ञान का स्रोत हैं बल्कि सीखने की प्रक्रिया में बहुत खास भूमिका निभाती हैं। ये विचार व्यक्त किये श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय के उप कुलपति डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने. वे आज यूनिवर्सिटी की रेफरेंस लाइब्रेरी में भारतीय पुस्तकालय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कोरोना जनित महामारी कोविड-19 के संक्रमण काल में ऑनलाइन क्लास रूम का चलन हुआ जरूर था, लेकिन लर्निंग नहीं हो पाई. दुनियाभर में फिर से कक्षाओं में विद्यार्थियों की बढ़ती उपस्थिति ये सिद्ध करती है कि सर्वकालिक सीखने की प्रक्रिया में डिजिटल स्क्रीन की बजाय ऑफलाइन क्लास अधिक प्रभावकारी है वैसे ही किताबें भी।
कुलसचिव डॉ. सीएम राजोरिया ने बहुत दिलचस्प तरीके से किताबों के बदलते कलेवर को प्रस्तुत किया और स्टूडेंट्स को बुक्स के कनेक्ट होने की अपील भी की। कार्यक्रम को छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. संजय मिश्रा, पुस्तकालयाध्यक्ष झूमर मल शर्मा ने भी संबोधित किया। रेफरेंस लाइब्रेरी अधीक्षक सुषमा गोस्वामी ने कार्यक्रम संचालन किया। गौरतलब है कि आज 12 अगस्त के दिन पुस्तकालय सिस्टम के जनक डॉ. एस आर रंगराजन का जन्म दिवस भी है।
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