श्री खुशालदास विश्वविद्यालय में मनाया गया हिन्दी दिवस
हनुमानगढ़, 14 सितम्बर।
श्री खुशालदास विश्वविद्यालय में कला और मानविकी संकाय के विद्यार्थियों द्वारा हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कुलपति डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि 14 सितंबर का दिन प्रत्येक भारतवासी के लिए गर्व का दिन है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक विविधताओं से भरे देश भारत में हिन्दी दिवस की अहमियत बहुत ज्यादा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों का खान-पान रहन-सहन, वेशभूषा यहां तक की विचारधारा भी अलग-अलग प्रकार की है। भारत के विभिन्न भागों में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी तथा जैन धर्म के अनुयायी रहते है और ये धर्म विभिन्न जातियों में बंटे हुए हैं। विभिन्न क्षेत्रों के लोग अलग-अलग भाषाएं बोलते है। लेकिन धर्म जाति, संस्कृति की इन विविधताओं के फासलों को हिन्दी भाषा खत्म कर देती है। हिन्दी ही है जो अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों के दिलों की दूरियों को मिटाती है और सभी को एकता के सूत्र में रखती है।
परीक्षा नियंत्रक डॉ. श्यामवीर सिंह ने कहा कि कोई भी हिन्दुस्तानी जहां भी हो दूसरे हिन्दुस्तानी से हिन्दी भाषा के माध्यम से ही अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है। आज देश का शायद ही ऐसा कोई हिस्सा है जहाँ हिन्दी सहजता से बोली या समझी ना जाती हो। हिन्दी हमारी राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक है।
हिंदी विभाग के डॉ. शक्ति दान चारण ने बताया कि हिन्दी दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि आजादी मिलने के 2 वर्ष के बाद 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया था। इस निर्णय के बाद हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
इस अवसर पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर जसपाल, द्वितीय स्थान पर आशा, तृतीय स्थान पर अनामिका, कविता वाचन प्रतियोगिता में प्रथम जयसूर्या द्वितीय सरोज रानी, तृतीय निकेता रहे। कार्यक्रम में डॉ. राजेंद्र निकुंभ, साक्षी नागरू, रमनदीप कौर, छगनलाल, विक्रम गोदारा, गजेन्द्र कुमार व कला संकाय के विद्यार्थी उपस्थित रहे। निर्णायक मंडल में कला संकाय प्रभारी डॉ सुचित्रा दिवाकर एवम डॉ. मनीष सिंह रहे। हिंदी विभाग के मदनलाल शर्मा ने संचालन किया एवम विभागाध्यक्ष डॉ. रचना शर्मा ने आभार व्यक्त किया।
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श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय
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