कृषि संस्कृति से युवा पीढ़ी को जोड़ने की जरूरत – डॉ. राम कृषि विज्ञान विषय में बेहतर करियर की अपार संभावनाएं (एसकेडी यूनिवर्सिटी में एग्री करियर टॉक शो संपन्न) हनुमानगढ़ 12 जुलाई।
कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर, हनुमानगढ़ के अधिष्ठाता डॉ. हनुमान राम ने कहा है कि कृषि-संस्कृति से युवा पीढ़ी को परिचित कराने की आवश्यकता है क्योंकि दुनिया भर में सर्वाधिक युवा संसाधन भारत में मौजूद होने के बावजूद बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ रही है| और युवा खेती से जुड़ने की जगह नौकरियों के पीछे भाग रहा हैं। वे आज श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय परिसर में कृषि संकाय की ओर से आयोजित एग्री करियर टॉक में बतौर मुख्य वक्ता स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहे थे| उन्होंने बताया कि भारत कृषि प्रधान देश है और जनसँख्या के बड़े भाग की आजीविका आज भी कृषि पर निर्भर करती है| उन्होनें खेती को पशुपालन के माध्यम से उत्पादों जैसे भोजन, खाद्य, फाइबर और कई अन्य वांछित उत्पादों का उत्पादन करने की प्रक्रिया और मानव उपयोग के लिए पौधों और जानवरों के विकास का प्रबंधन करने की कला बताया। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान विषय में बेहतर करियर की अपार संभावनाएं हैं। एसकेडी यूनिवर्सिटी के प्रो वाइस चांसलर डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि कृषि पद्धतियों में प्रौद्योगिकी की प्रमुख भूमिका रही है और डिजिटल प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ ये दायरा और भी व्यापक हो गया है।

कृषि में नवाचार से कृषि पद्धतियों में विकास हो रहा है, जिससे नुकसान कम हो रहा है और दक्षता बढ़ रही है। इसका किसानों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि डिजिटल और विश्लेषणात्मक उपकरणों के उपयोग से कृषि में निरंतर सुधार हो रहा है , और यह प्रवृत्ति अभी भी कायम है, जिसके परिणामस्वरूप फसल की पैदावार में सुधार हो रहा है और कृषक समुदाय की आय बढ़ाने में मदद मिल रही है। कृषि संकाय के डॉ. विजय ने बताया कि प्रौद्योगिकी कृषि के कई क्षेत्रों को प्रभावित करती है, जैसे कि उर्वरक, कीटनाशक, बीज प्रौद्योगिकी आदि। जैव प्रौद्योगिकी और आनुवंशिक इंजीनियरिंग के परिणामस्वरूप कीट प्रतिरोध हुआ है और फसल की पैदावार में वृद्धि हुई है। मशीनीकरण के कारण कुशल जुताई, कटाई और शारीरिक श्रम में कमी आई है। सिंचाई के तरीकों और परिवहन प्रणालियों में सुधार हुआ है, प्रसंस्करण मशीनरी से बर्बादी कम हुई है और इसका प्रभाव सभी क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान में बहुत से नए जमाने की प्रौद्योगिकियाँ रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन भी नयी संभावनाएं पैदा कर रही हैं।
विदेशों मे भी कृषि जॉब्स में बड़ी संभावनाएं-
कनाडा, न्यूज़ीलैंड और जर्मनी जैसे देशों में कमर्शियल हॉर्टिकल्चरिस्ट, कंजर्वेशन प्लानर, सॉइल एवं प्लांट साइंटिस्ट, फार्म मैनेजर, कृषि अर्थशास्त्री, एग्रीकल्चर इंजीनियर आदि की मांग है और बहुत बेहतर मानदेय के साथ। कृषि विज्ञान विषय में लोकप्रिय पाठ्यक्रम-
बीएससी एग्रीकल्चर, एग्रोनोमी, एन्टोमोलोजी, सीड साइंस टेक्नोलॉजी, एक्सटेंशन, फ्लोरीकल्चर, एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स, जेनेटिक एंड प्लांट ब्रीडिंग, प्लांट पथोलोजी, प्लांट साइंस, होर्टीकल्चर और साइल साइंस मे एमएससी और मास्टर इन एग्री बिजनेस मैनेजमेंट आदि। कार्यक्रम में क्षेत्र के कृषि विषय शिक्षकों को शिक्षा रत्न सम्मान से नवाजा गया। इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. सीएम राजोरिया, डॉ. श्यामवीर सिंह सहित एग्रीकल्चर संकाय के टीचर्स और स्टूडेंट्स उपस्थित थे। संचालन छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. संजय मिश्रा ने किया।
जनसम्पर्क विभाग
एसकेडी यूनिवर्सिटी
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