मीडिया

घुमंतू समुदायों की योजनाओं को धरातल पर लाना जरूरी

Issues and Challenges of Nomadic D-Notified Communities

विकास अध्ययन संस्थान ने आयोजित किया दो दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श

जयपुर। विकास अध्ययन संस्थान की ओर से 21-22 जून को प्रदेश के घुमंतू (डी-नोटिफाइड) समुदायों के मुद्दों और चुनौतियों पर विशेषज्ञों का एक राष्ट्रीय परामर्श आयोजित किया गया। दो दिवसीय परामर्श का उद्घाटन मुख्य अतिथि डाॅ. समित शर्मा, मुख्य सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने किया। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने राजस्थान घुमंतु समुदाय नीति का मसौदा तैयार करने के लिए विकास अध्ययन संस्थान, जयपुर को जिम्मेदारी सौंपी है।

संस्थान की ओर से आयोजित इस परामर्श में घुमंतु समुदाय के लिए नीति के मसौदे में विशेषज्ञों के सुझावों एवं टिप्पणियों को शामिल कर नीति का प्रारूप प्रस्तुत किया जाएगा। घुमंतू नीति को बनाने की प्रक्रिया में संस्थान एवं प्रारूप समिति के सदस्यों की ओर से प्रत्यक्ष अथवा सक्रिय रूप से संवाद किया गया। जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने भी इस नीति के परामर्श में अपना मत रखा। इस पॉलिसी को तैयार करने की प्रक्रिया में संस्थान द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में जहां पर घुमंतू समुदाय के लोग अधिक पाए जाते हैं, वहां जाकर जनसंवाद किया गया। इनमें उन समुदायों की ओर से बताए गए मुद्दों को प्रारूप में शामिल किया गया।

कार्यक्रम में डाॅ. शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से घुमंतू वर्ग की पहचान व इनको बसाने के प्रयासों में तेजी लाई जाएगी। जो समुदाय पीछे छूट गए हैं, उनको आगे लाना जरूरी है। इन समुदायों को सभी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सरकारी प्रक्रिया में सरलीकरण किया जाएगा। कार्यक्रम के संयोजक डाॅ. मोतीलाल महा मलिक ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। संस्थान के संकाय सदस्य डाॅ. वरिन्द्र जैन ने धन्यवाद दिया। इस पॉलिसी के विभिन्न बिंदुओं की चर्चा में अशोक खण्डेलवाल, कविता श्रीवास्तव, भंवर मेघवंशी, डाॅ. नवीन नारायण, पारस बंजारा, राजेन्द्र भानावत, कोमल श्रीवास्तव, डाॅ. नेसार अहमद, राधिका गणेश, भंवरलाल कुमावत का नीति प्रारूप बनाने में योगदान रहा है। गौरतलब है कि इससे पूर्व में सरकार के आग्रह पर राजस्थान बेघर उत्थान एवं पुनर्वास नीति-2022 भी संस्थान की ओर से तैयार की गई थी।

प्रो. गणेश नारायण देवी जो कि जाने माने भाषाविद हैं तथा पद्मश्री से सम्मानित हैं। घुमन्तु समुदायों के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुये उन्होंने कहा कि राजस्थान एक पहला राज्य है जिसने घुमन्तु समुदाय पर नीति बनाने की पहल की और इसके लिए राजस्थान सरकार बधाई की पात्र है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह समुदाय के लोगों की नीति है और यह सहज व सरल भाषा में हो, ताकि लोग समझ सकें तथा सरकार आसानी से लागू कर क्रियान्वित कर सके।

जनगणना करना जरूरी : रेनके

पांच तकनीकी सत्रों में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतू, अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग के अध्यक्ष बालकृष्ण सिदराम रेनके ने कहा कि विमुक्त, घुमंतू व अर्ध-घुमंतू समुदाय की नीति निर्माण के लिए पहला काम इनकी जनगणना करना जरूरी है। ढाई दशक से हर स्तर पर घुमंतु समुदायों की समस्याओं पर चर्चा हुई है, फिर भी समस्याओं की व्यापकता बनी हुई है। इन जातियों में से कुछ को तो एससी, एसटी व ओबीसी में रखा गया है, फिर भी उनको अधिक लाभ नहीं मिला है। वहीं राजस्थान घुमंतु जनजाति बोर्ड की अध्यक्ष उर्मिला योगी ने कहा कि घुमंतु जनजातियों के लिए सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं को धरातल पर उतारने की जरूरत है।

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