नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आईसीटी को प्रमुख स्थान- दास
हनुमानगढ़, 18 जून।
श्री खुशालदास विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा विभाग एवं मनोविकास उच्च शिक्षण संस्थान, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) से स्वीकृत समावेशी कक्षा में मूल्यांकन और शिक्षण के लिए आईसीटी विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान देहरादून के पूर्व निदेशक डॉ. हिमांशु दास ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आईसीटी को प्रमुख स्थान दिया है जिससे सामान्य के साथ-साथ विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों को भी कठिन विषयों को सीखने में आसानी होगी।
इस अवसर पर गुरु गोबिंद सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बाबूलाल जुनेजा ने कहा कि विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों से विशेष शिक्षा में प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए आईसीटी के माध्यम से अनेक आयाम विकसित हुए हैं साथ ही स्पेशल एजुकेटर्स समावेशी शिक्षा परिसरों को और अधिक योगदान देने में सहायक सिद्ध होंगे।
अली यावर जंग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पीच एंड हियरिंग डिसैबिलिटीज दिल्ली के पूर्व सहायक निदेशक एवं मनोविकास के सीनियर कंसल्टेंट जेसी गुप्ता का मानना है कि दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला से प्रशिक्षित युवा शिक्षक राष्ट्रीय स्तर पर विशेष आवश्यकताओं वाले विद्यार्थियों के लिए लर्निंग ईको सिस्टम को डेवलप कर सकेंगे।
एसकेडी यूनिवर्सिटी के प्रो वाइस चांसलर डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने कार्यशाला के समापन-सत्र में कहा कि इस तरह की तकनीकी कार्यशाला का लाभ सभी वर्किंग प्रोफेशनल्स को सीधे तौर पर मिलता है जिसे वे अपने कार्यक्षेत्र में अपने अनुभव से सफलतापूर्वक लर्निंग प्रोसेस को और व्यवस्थित कर सकते हैं।
मनोविकास उच्च शिक्षण संस्थान दिल्ली के प्रबंधन सचिव डॉ. आलोक भुवन ने एसकेडी यूनिवर्सिटी की इस पहल का स्वागत किया और भविष्य में संयुक्त आयोजनों को आगे बढ़ाने की संभावना व्यक्त की।
विशेष शिक्षा विभागाध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण ने बताया कि विभाग की ओर से प्रशिक्षु शिक्षकों को विभिन्न कार्यक्रमों और प्रोजेक्ट्स के माध्यम से उनकी सृजनात्मकता और विश्लेषण क्षमताओं का विकास किया जायेगा।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. श्यामवीर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सत्र-संचालन छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. संजय मिश्रा ने किया। इससे पूर्व विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागियों ने कार्यशाला के अपने अनुभवों को साझा किया। अतिथियों ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये।



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