जैसलमेर दुर्ग : सोनार किला (Jaisalmer Fort : Sonar Quilla)
राजस्थान के पहाड़ी दुर्गों ने यूनेस्को को टीम को इस विविधताओं भरी ऐतिहासिक भूमि पर खींच ही लिया। राजस्थान की विविधता यहां के दुर्गों में भी देखने को मिलती है। राजस्थान में पहाड़ी दुर्ग, जल दुर्ग, वन दुर्ग और रेगिस्तानी दुर्ग के बेमिसाल उदाहरण देखने को मिलते हैं। जैसलमेर का सोनार किला दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रेगिस्तानी किलों में से एक है। सुबह जब सूर्य की अरुण चमकीली किरणें जब इस दुर्ग पर पड़ती हैं तो बालू मिट्टी के रंग-परावर्तन से यह किला पीले रंग से दमक उठता है। सोने सी आभा देने के कारण इसे ’सोनार किला’ या ’गोल्डन फोर्ट’ भी कहा जाता है।
सोनार किला दुनिया के विशालतम किलों में से एक है। कहा जा सकता है कि राजस्थान के सबसे खूबसूरत किलों में सोनार किले को प्राथमिकता मिलती है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
इतिहास
सोनार किले का इतिहास जानने की ललक हमें 1156 ईस्वी में ले जाती है जब भाटी राजपूत शासक रावल जैसल ने इसे जैसलमेर के शुल्क रेगिस्तान में थार के ताज की तरह बनवाया था। यह किला कम ऊंचाई की विस्तारित पहाड़ी त्रिकुटा श्रेणी पर स्थित है जो आमतौर पर शहर से लगभग 30 मीटर की ऊंचाई पर है। इस दुर्ग की विशालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां दुर्ग के चारों ओर 99 गढ़ बने हुए हैं। इनमें से 92 गढों का निर्माण 1633 से 1647 के बीच हुआ था।
आकर्षण
जैसलमेर के किले का मुख्य आकर्षण तो गोपा चौक स्थित किले का प्रथम प्रवेश द्वार ही है। यह विशाल और भव्य द्वार पत्थर पर की गई नक्काशी का शानदार नमूना है। अपने स्थापत्य से यह द्वार आने वालों को कुछ देर के लिए ठिठका देता है। दूसरा आकर्षण दुर्ग के अंतिम द्वार हावड़पोल के पास स्थित दशहरा चौक है जो इस दुर्ग का खास दर्शनीय स्थल है। यहां पर्यटक खरीददारी का आनंद ले सकते हैं और थोड़ विश्राम कर सकते हैं। दशहरा चौक में स्थानीय शिल्प और हस्तकला की बेहद खूबसूरत वस्तुओं की छोटी छोटी दुकानें हैं जिनपर कांच जड़े वस्त्र, चादरें, फ्रेम और कई अन्य कलात्मक वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। हावड़पोल के बाहर की ओर भी कई दुकानें स्थित हैं।
राजमहल
जैसलमेर किले में एक अन्य पर्यटन आकर्षण है राजमहल। यह महल किले के अंदरूनी हिस्से में बना हुआ है। किसी समय यह महल जैसलमेर के राजा महाराजाओं के निवास का मुख्य स्थल हुआ करता था। इस वजह से यह दुर्ग का सबसे खूबसूरत हिस्सा भी है। वर्तमान में इस महल के एक हिस्से को म्यूजियम और हैरिटेज सेंटर के रूप में तब्दील कर दिया गया है। म्यूजियम में प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 50 रुपए और विदेशियों के लिए 300 रुपए है। यह म्यूजियम अप्रैल से अक्टूबर तक सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक पर्यटकों के देखने के लिए खोला जाता है। इसके अलावा नवंबर से मार्च तक इसे सुबह 9 से शाम 6 बजे तक के लिए रोजाना खोला जाता है।
सात जैन मंदिर
दुर्ग के आकर्षणों में सात जैन मंदिर भी शामिल हैं जो दुर्ग में यत्र तत्र बने हुए हैं। पीले पत्थर पर बारीक कारीगरी से युक्त इन मंदिरों का स्थापत्य देखते ही बनता है। ये सभी मंदिर लगभग 15 वीं से 16 वीं सदी के बीच बनाए गए थे। इन मंदिरों में सबसे भव्य मंदिर जैन धर्म के 22 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ को समर्पित है। पार्श्वनाथ मंदिर के अलावा चंद्रप्रभु मंदिर, रिषभदेव मंदिर, संभवनाथ मंदिर आदि भी दुर्ग परिसर में बने अन्य भव्य मंदिरों में शुमार किये जाते हैं। पर्यटकों को यहां ज्ञान भंडार के दर्शन करने की भी सलाह दी जाती है। जहां एक भव्य ऐतिहासिक लाइब्रेरी बनी हुई है। इस लाइब्रेरी का निर्माण सोलहवीं सदी में किया गया था। लाइब्रेरी में कई हस्तलिखित पांडुलिपियां भी आकर्षण का बड़ा केंद्र हैं। ये सभी मंदिर दशहरा चौक के दक्षिण पश्चिम में 150 मीटर के दायरे में बने हुए हैं। पर्यटकों से प्रत्येक मंदिर में दर्शन करने का चार्ज अलग से लिया जाता है। यह शुल्क बहुत मामूली सा है। पर्यटकों के लिए ये मंदिर रोजाना सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक खुलते हैं।
कैसे पहुंचें जैसलमेर दुर्ग
राजस्थान के सुदूर पश्चिमी कोने में बसा यह रेगिस्तानी शहर जैसलमेर जोधुपर से 280 किमी की दूरी पर है। सोनार किला जैसलमेर रेल्वे स्टेशन से मात्र तीन किमी और बस स्टैंड से 2 किमी की दूरी पर है। रेल्वे स्टेशन या फिर बस स्टैंड से सोनार किले तक जाने के लिए ऑटो वाले चालीस से पचास रूपए का चार्ज करते हैं। किले और जैसलमेर के अन्य पर्यटन स्थलों के लिए एक टैक्सी भी किराए पर ली जा सकती है जो तीन चार घंटों की विजिट के लिए लगभग 1000 रुपए चार्ज करती है।
सोनार किले को सुबह सुबह थार के रेगिस्तान से देखना बहुत सम्मोहनीय होता है। सूरज की पहली किरणें जब इस किले पर पड़ती हैं तो यह सोने की तरह खिल उठता है। आपको जब सोनार किला सुबह देखने का अवसर मिले तो अपना कैमरा साथ रखना न भूलें।
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