जूनागढ़ किला : बीकानेर (Junagarh Fort : Bikaner)
राजस्थान को ’धोरों की धरती’ के रूप में भी जाना जाता है। दरअसल ये धोरे राजस्थान का पश्चिमी विशाल थार का मरुस्थल है। राजस्थान की मिट्टी भी अपनी संस्कृति, कला और स्थापत्य के गीत गाती है। यह अजब गजब धरती यहां बने विशाल दुर्गों और महलों के कारण भी पर्यटन का बड़ा केंद्र हैं। पश्चिमी राजस्थान में बीकानेर एक बड़ा सांस्कृतिक केंद्र है जहां जूनागढ़ का किला पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। आईये, जानते हैं बीकानेर के प्रसिद्ध जूनागढ़ दुर्ग के बारे में-
राजस्थान के मरुस्थली जिले बीकानेर का जूनागढ़ किला राज्य के उन चुनिंदा किलों में से एक है जो अपनी अपराजेश शक्ति के कारण स्वाभिमान से खड़ा दिखाई देता है। आज भी गर्व से यह किला अपना इतिहास बयान करता है और कहता है कि मुझे कभी कोई शासक हरा नहीं पाया। इतिहास में सिर्फ एक बार किसी गैर शासक द्वारा इस भव्य किले पर कब्जा किए जाने के प्रयास का जिक्र होता है। कहा जाता है कि मुगल शासक कामरान जूनागढ़ की गद्दी हथियाने और किले पर फतह करने में कामयाब हो गया था। लेकिन 24 घंटे के अंदर ही उसकी खुशी काफूर हो गई और उसे सिंहासन छोड़ना पड़ा। इसके अलावा कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता कि जूनागढ़ को किसी शासक ने फतेह करने के मंसूबे बनाए हों और वह कामयाब हुआ हो। जूनागढ़ किले का निर्माण इतिहास के उस दौर में हुआ था जब राजपूताना के राजपूत शासक गद्दी के लिए आपसी खूनी संघर्षों या बाहरी आक्रान्ताओं का सामना करने में उलझे हुए थे।
इतिहास
इस अजेय दुर्ग का निर्माण बीकानेर रियासत के राजपूत शासक रायसिंह ने 1588 से 1593 के बीच कराया था। माना जाता है कि जयपुर के मानसिंह की तरह रायसिंह भी महान मुगल सम्राट अकबर के विश्वासपात्र और करीबियों में से एक थे और उनकी सेना के प्रमुख सेनापतियों में उनकी गिनती होती थी। एक सेनापति के तौर पर उन्होंने अकबर के लिए कई युद्ध लड़े और उनमें वीरतापूर्वक फतेह भी हासिल की। युद्धों के सिलसिले में दूर दूर तक लंबी यात्राएं करने वाले इस राजपूत शासक को देश दुनिया के बेहतरीन स्थापत्य की अच्छी जानकारी हो गई थी और उसकी तमन्ना अपनी रियासत में एक खूबसूरत और बेहतरीन दुर्ग निर्मित कराने की थी। रायसिंह ने विभिन्न कलाओं और स्थापत्य को करीब से देखा जाना था इसलिए उन्होंने जूनागढ़ में एक शानदार दुर्ग का निर्माण कराया जिसमें एक साथ कई स्थापत्य खूबियों की मौजूदगी आज भी देखी जा सकती है। जब रायसिंह ने जूनागढ़ में इस दुर्ग के निर्माण का आदेश दिया तब उनके मस्तिष्क में राजपूत और मुगल स्थापत्य के साथ साथ दुर्ग की सुरक्षा को लेकर भी कई विचार थे। इस दृष्टि से यह राजस्थान का सबसे भव्य और सुरक्षित दुर्ग माना जाता है।
खास बात यह है कि यह दुर्ग मुगल काल और ब्रिटिश काल में भी लगातार राजपूत शासकों के ही हक में रहा और कभी ऐसा कोई मौका नहीं आया कि किसी बाहरी आक्रान्त ने इसपर हमला किया हो और वह इसे जीतने में सफल हो गया हो। रायसिंह के बाद के शासकों ने भी लगातार इस किले का नवीनीकरण और पुनर्गठन किया और उनका यह प्रयास सतत चलता रहा। इसलिए मौजूदा समय में भी यह दुर्ग अपने मौलिक रूप में खूबसूरती और मजबूती से खड़ा दिखाई देता है।
वर्तमान में जूनागढ़ किला राजस्थान के सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में बीकानेर को भी अहम स्थान दिलाता है। आगंतुकों के जेहन में यह किला सिर्फ अपनी खूबसूरती, कला और स्थापत्य ही नहीं बल्कि राजपूत शासकों के युद्ध कौशल, त्याग, बलिदान, आन और शान की सच्ची दास्तान जाहिर करता है। इस भव्य दुर्ग में राजपूत और मुगल काल की बेहतरीन और मूल्यवान वस्तुओं का संग्रहालय भी मौजूद है।
दुर्ग के आकर्षण
जूनागढ़ किला एक तरफ ऊंची दीवार और दूसरी तरफ गहरी खाई से संरक्षित है। इस किले की सुरक्षा के लिए चारों ओर बनी प्राचीर में 37 गढ़ हैं। इस भव्य किले के दो प्रवेश द्वार हैं। एक सूरज पोल है तो दूसरा करण पोल। इस विशाल परिसर में फैले दुर्ग के अंदर कई महल, मंदिर और मंडप बने हुए हैं जो आगंतुक मेहमानों को अपनी खूबसूरती से दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर कर देते हैं।
चन्द्रमहल
किले के महल लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर के मिश्रण का नायाब नमूना हैं। बलुआ और संगमरमर पर इतनी बेजोड़ कारीगरी अन्य दुर्ग में देखने को नहीं मिलती। किला परिसर से सबसे खूबसूरत और आकर्षक महल है चन्द्रमहल। इसे मून पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। यह महल अपने नक्काशीदार संगमरमर के कंगूरों, दर्पणों और भित्तिचित्र शैली के कारण विशेष रूप से लोकप्रिय है। इसके अलावा यहां स्थित फूल महल भी अपनी शानदार स्थापत्य शैली और दीवारों पर कांच की सजावट व कलाकारी के कारण प्रसिद्ध है।
अनूप महल
जूनागढ किले ही एक अप्रतिम आकर्षण है अनूपमहल। यह एक बहुमंजिला इमारत है जिसमें बैठकर बीकानेर के शासक और प्रमुख मंत्री चर्चाएं किया करते थे। गुप्त मीटिंगें होती थी और रणबांकुरे युद्ध की रणनीतियां तैयार किया करते थे। यह महल राजपूत शासकों के सौंदर्यप्रेम और शाही भव्यता को इंगित करता है। कक्षों की दीवारों को लाल लाख से पेंट कर सोने की झोल चढाई गई है। इसके अलावा कांच की बारीक नक्काशी भी इस महल को अतीत का शानदार शीशमहल बनाती है। महल के सफेद संगमरमरी खंभों पर सोने की पत्तियों वाली बेलबूटाकारी अद्भुत है। इसे देखते देखते पर्यटक इनकी सुंदरता में खो जाते हैं।
बादल महल
जूनागढ़ दुर्ग परिसर में उच्च स्थान पर बने इस भव्य महल को किले में सबसे ऊंचाई पर स्थित होने के कारण बादल महल कहा जाता है। महल में पहुंचकर वाकई लगता है जैसे आप आसमान के किसी बादल पर आ गए हों। यहां आने वाली ताजा हवा पर्यटकों की सारी थकान छू कर देती है। इस शानदार महल की स्थापत्य कला अद्भुत है। महल की दीवारों पर प्राकृतिक रंगों से शानदार पेंटिंग की गई है। कई सदियां गुजर जाने के बाद भी इन रंगों की ताजगी और खूबसूरती दिल से महसूस की जा सकती है। महल की पेंटिंग्स बारिश के मौसम में राधा और कृष्ण के प्रेम की अधीरता और पूर्णता को एक साथ बयान करने में सक्षम है। इस महल में राजा अपनी रानी के साथ खास समय बिताते थे। इस कारण यहां की फिजां में रोमांटिक एहसास आज भी महसूस किया जा सकता है।
अन्य आकर्षण
इसके अलावा दुर्ग परिसर में कर्ण महल, गंगा निवास, डूंगर निवास, विजय महल और रंग महल भी अपनी खूबसूरती और ऐतिहासिकता से प्रभावित करते हैं। उदाहरण के तौर पर कर्णमहल का निर्माण राजपूतों की औरंगजेब पर जीत के बाद उस विजय की स्मृति में कराया गया था। हर एक महल का अपना एक इतिहास है और स्थापत्य तो बेजोड है ही। इनकी खूबसूरती इन शब्दों से तब तक बयान नहीं की जा सकेगी, जब तक आप इनका एक एक चप्पा अपनी आंखों से नहीं देख लेते।
दुर्ग परिसर में कई ऐतिहासिक और खूबसूरत मंदिर भी हैं। जो यह बयान करते हैं कि राजपूत शासक हमेशा श्रद्धावान रहे हैं और अपने इष्ट में पूरा विश्वास करते थे। यहां के मंदिरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजपूत शासक देवी के उपासक रहे थे। उनके परिवारों और वंशजों ने लंबे समय तक इन मंदिरों में देवी की उपासना की थी। दुर्ग के संग्रहालय में उस समय की दुर्लभ पांडुलिपियां, आभूषण, बर्तन, कालीन, अस्त्र शस्त्र और पुरामहत्व का बहुत सा सामान संजोया गया है जिसे देखकर पंद्रहवीं सोलहवीं सदी के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।
जूनागढ़ वास्तव में रेगिस्तान में बने दुनिया के सबसे खूबसूरत दुर्गों में से एक है। जूनागढ़ दुर्ग के अलावा बीकानेर की संस्कृति, रहन सहन, खान पान और बोली भी प्रभावित करती है। यहां के सीधे सरल लोग आंखों से सीधे दिल में उतर जाते हैं। यहां आकर बीकानेर की प्रसिद्ध भुजिया और रसगुल्लों का स्वाद लेना न भूलें।
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