जिसे हम पिंकसिटी के नाम से जानते हैं वह गुलाबी नगर राजा जयसिंह द्वितीय ने साकार किया। यह स्वप्न को साकार करने की तरह था। परकोटे से बाहर स्टेच्यू के रूप गुलाबी शहर की ओर मुख करके खड़े सवाई जयसिंह की यह प्रतिमा देखकर लगता है, महाराजा अपने क्रिएशन को एक टक देख रहे हैं और विश्व की इस खूबसूरत नगरी को दूर से देखकर मुग्ध हैं। जयपुर के प्रमुख चौराहों में स्टेच्यू सर्किल का नाम सबसे ऊपर लिया जा सकता है। कहा जा सकता है कि स्टेच्यू सर्किल जयपुर का सबसे खूबसूरत चौराहा है।
शहर के सबसे इलाकों में शुमार इस सर्किल के दक्षिण में नई विधानसभा, उत्तर में एमआई रोड का पांचबत्ती चौराहा, पूर्व में रामबाग सर्किल और पश्चिम में बाईस गोदाम पुलिया है। कहा जा सकता है कि शहर के सबसे खास इमारतें इसी इलाके में स्थित हैं। यहां नई विधानसभा, शहीद स्मारक, एसएमएस स्टेडियम, गोल्फ एवं पोलो मैदान, बीएम बिरला ऑडीटॉरियम, सेंट्रल पार्क और आयकर विभाग आदि प्रमुख स्थान हैं। स्टेच्यू सर्किल के उत्तर और दक्षिण में विस्तृत मार्ग को जनपथ के नाम से जाना जाता है जो जयपुर का सबसे खूबसूरत सड़क मार्ग है।
स्टेच्यू सर्किल पर्यटन की दृष्टि से सबसे खास स्मारकों में से एक है। यह जयपुर के व्यस्ततम मार्गों में शामिल है।
स्टेच्यू सर्किल जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को समर्पित है। यहां एक ऊंचे प्रस्तर पर बनी संगमरमर की भव्य छतरी में महाराजा जयसिंह की उत्तरमुखी भव्य प्रतिमा स्थापित है। मूर्ति में महाराजा की खगोल वैज्ञानिक विशिष्टता को अंकित किया गया है। उल्लेखनीय है कि महाराजा सवाई जयसिंह की ज्योतिष और खगोल विज्ञान में खास रूचि थी। वे स्वयं भी ज्योतिष के महाज्ञाता और खगोल वैज्ञानिक थे। इसका प्रमाण जंतर मंतर में स्थित जयप्रकाश यंत्र है जिसके आविष्कारक स्वयं महाराजा जयसिंह थे। उन्होंने जयपुर की स्थापना के साथ ही देश भर में पांच जंतर मंतर स्थापित किए थे और इसके लिए उन्होंने न सिर्फ गहन अध्ययन किया था बल्कि खगोवि विज्ञान और ज्योतिश पर लिखी विश्व की ख्यातनाम पुस्तकों का अनुवाद करा कर उनपर गहरा शोध किया था। उसके बाद उन्होंने जयपुर सहित दिल्ली, वाराणसी, मथुरा और उज्जैन में जंतर मंतर बनवाए थे। उनके तात्कालीन विशिष्ट प्रयास को आज यूनेस्को ने भी समझा है और जयपुर जंतर मंतर को विश्व धरोहर स्मारक में शामिल करने की घोषणा की है।
स्टेच्यू सर्किल पर स्थित जयसिंहजी की प्रतिमा इतनी भव्य है कि जब इसे स्थापित किया गया तो यह स्टेच्यू लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गई और चौराहा जयसिंह सर्किल के नाम से न पहचाना जाकर स्टेच्यू सर्किल के रूप में जाना गया।
महाराजा जयसिंह की आदमकद प्रतिमा के हाथ में ज्योतिष का ग्रंथ दर्शाया गया हैं जिससे महाराजा के खगोल और ज्योतिष प्रेम का पता चलता है। वास्तव में यह सर्किल उस दिव्य विभूति का प्रतीक है जो एक महान शासक होने के साथ साथ उम्दा खगोल वैज्ञानिक, वास्तुविज्ञ, कलाप्रेमी, आधुनिक विचार दृष्टा, शिल्पप्रेमी और कला का कद्रदान था।
महाराजा जयसिंह की स्टेच्यू के चारों ओर खूबसूरल वृताकार वृहद गार्डन विकसित किया गया है। जो कि अब खास पिकनिक स्पॉट में शुमार हो चुका है। सर्किल के चारों ओर सड़क के साथ दूसरी ओर भी गार्डन बनाए गए हैं। जिनमें खूबसूरत बेंच भी रखी हैं। शाम के समय यहां के बाग बगीचे, रंगीन फव्वारे, हरियाली, आसपास की खूबससूरत इमारतें लोगों को लुभाती हैं। शहर का सबसे पॉश इलाका होने के साथ साथ यह सर्किल शाम के समय लोगों को आकर्षित करने का खूबसूरत प्रमुख स्थल भी है। शाम को यहां का नजारा और भी खूबसूरत होता है। आसपास सड़कों पर चौपाटी जैसा माहौल होता है। बीच के गार्डन में लोग सपरिवार आते हैं। बैठते और बतियाते हैं। बच्चे भी यहां आकर प्रसन्न महसूस करते हैं। भ्रमण का आनंद लेने के साथ साथ यहां चौपटी पर लजीज व्यंजनों का स्वाद भी लिया जा सकता है।
आपने अगर अपने दोस्तों के साथ शाम को यहां आकर पीली दमकती रोशनी और रंगीन फव्वारों के बीच बेंच पर बैठकर गर्म कॉफी नहीं पी तो यकीनन कहा जा सकता है कि जयपुर की खूबसूरती को आपने सिर्फ देखा है, महसूस नहीं किया।
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