जयपुर शहर के प्रमुख प्राचीन उद्यानों में से रानी सिसोदिया का बाग भी महत्वपूर्ण है। जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह की प्रिय पत्नी थी उदयपुर की सिसोदिया रानी। सवाई जयसिंह ने उपहार स्वरूप सिसोदिया रानी के लिए एक खास गार्डन बनवाया। गार्डन के निर्माण के बाद यह सिसोदिया रानी का बाग कहलाया। जयपुर के राजाओं के प्रेम के प्रतीक प्रमुख स्मारकों में सिसोदिया रानी के बाग का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
सिसोदिया रानी का यह महलों छतरियों से सुसज्जित बाग जयपुर शहर से पश्चिम की ओर अरावली की तलहटी में जयपुर आगरा रोड पर लगभग 11 किमी की दूरी पर है। जयपुर के ट्रांसपोर्ट नगर चौराहे से पूर्व में घाट की गूणी होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है। इसके लिए जयपुर से सहजता से लोकल बसें और टैक्सियां मिल जाती हैं। सिसोदिया रानी मेवाड़ के सूर्यवंशी राजाओं के परिवार से थी।
उदयपुर के प्राकृतिक वातावरण में पली बढ़ी सिसोदिया रानी प्रकृति प्रेमी थी। उन्हें शहर की गहमागहमी और प्रशासनिक वातावरण रास न आता था। इसी कारण राजा जयसिंह ने उनके लिए प्रकृति की गोद में यह खूबसूरत गार्डन बनवाया। महारानी सिसोदिया और शाही महिलाएं यहां गर्मियों के दिनों में आरामपरस्ती फरमाती थी। यह खूबसूरत गार्डन शाही प्रेम की खूबसूरत दास्तान बयान करता है। सन 1728 में महाराजा जयसिंह ने यह खूबसूरत महलनुमा बाग अपनी उदययपुर की सिसोदिया रानी को तोहफे में दिया था। रानी को भेंट करने के बाद ही इस बाग का नाम सिसोदिया रानी बाग पड़ा।
यहां अक्सर रानी सिसोदिया प्रकृति की गोद में बसे खूबसूरत बागीचे में अपना समय बिताती थी शहर के बीच प्रशासनिक तानों बानों से घिरे शाही प्रासाद चंद्र महल से दूर । गार्डन में निर्मित भवन की कलात्मकता विभिन्न प्रकार के फूलों के पौधों लताओं से और भी बढ़ जाती है। राजशाही के समय यह खूबसूरत बगीचा सिर्फ महारानी सिसोदिया और राजपरिवार की खास महिलाओं की पहुंच में था लेकिन वक्त बदलने के साथ अब इस खूबसूरत जगह की सैर आम आदमी की सीमा में भी आ गई है।
गार्डन की बनावट भव्य है। यह उस समय की गार्डन तकनीक में भी सबसे भव्यता से बना हुआ गार्डन है। मुगल शैली के स्थापत्य ने इसे और भी खूबसूरत बना दिया है। दो स्तरों पर बने इस गार्डन में दोमंजिला खूबसूरती मनमोहक है। दीवारों, बरामदों, छतरियों और तिबारियों का पीत वर्ण आखों का जहां सुकून देता है वहीं बाग और फुलवारी की बनावट दिल दिमाग पर छा जाती है।
चूंकि यह गार्डन महाराजा जयसिंह के रानी सिसोदिया के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करता है इससे इस बगीचे को प्रेम की सबसे ऊंची मिसाल राधा और कृश्ण का समर्पित किया गया। इस विशाल बाग में जगह जगह लगे फव्वारे हर मौसम में सावन की सी ठंडक का अनुभव कराते हैं।
इस बगीचे के शानदार मुगल शैली के बगीचे और फुलवारी, फव्वारे, बरामदे और तिबारियों की आकर्षक भित्तिचित्रकारी और पन्नीकारी न केवल पर्यटकों की आंखों को सुकून देते हैं, साथ ही उस समय की कलात्मकता का लोहा मनवाते हैं। यहां दीवारों पर कृष्ण-राधा के प्रेम को अलौकिकता का सार देते चित्र जादू पैदा करते हैं।
सिसोदिया रानी का बाग अपने सुंदर निर्माण से ढाई सौ साल बाद भी आकर्षण पैदा करता है। हरी भरी पहाडियों के बीच कलात्मकता का ऐसा खूबसूरत नमूना नैसर्गिक अहसास कराता है। सिसोदिया रानी के बाग के आकर्षण से बॉलीवुड भी बचा नहीं रहा है। वर्ष 1991 में अनिल कपूर और श्रीदेवी अभिनीत फिल्म लम्हे में सिसोदिया रानी के बाग की खूबसूरती को बेहतरीन रूप से प्रदर्शित किया गया है।
यदि आप जयपुर भ्रमण की योजना बना रहे हैं तो सिसोदिया रानी का बाग विजिट करना ना भूलें। क्योंकि इसका भ्रमण करने के बाद आपकी आंखें जीवनभर आपका धन्यवाद ज्ञापित करेंगी। सिसोदिया रानी का बाग सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक पर्यटकों के लिए खुलता है।
आशीष मिश्रा
पिंकसिटी डॉट कॉम
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