राजधानी जयपुर के सैन्य और अर्द्धसैन्य इलाके की 100 मीटर परीघि में मकान/दुकान समेत किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकेगा। इसके आस-पास 500 मीटर क्षेत्र में 15 मीटर से ऊंची इमारत बनाने पर भी पाबंदी होगी और 15 मीटर ऊंचाई तक भवन बनाने के लिए सेना की मंजूरी लेनी होगी। शहर से दूर विकसित ऎसे संवेदनशील इलाके अब आबादी के बीच आ जाने के कारण भारी मुसीबत बन गए हैं। सुरक्षा का कवच टूटने लगा है, यही वजह है कि सैन्य विभाग ने सरकार और जेडीए को पत्र लिखकर नियम-कायदे तय करने की मांग की है। नगरीय विकास विभाग ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए जेडीए को अपने स्तर पर निपटाने के निर्देश दिए हैं। जेडीए ने सैन्य विभाग के नियम-कायदों को जस का तस बैठक में रखने का मानस बनाया है। इसके लिए टाउन प्लानिंग शाखा ने पूरे मसौदे को मंजूरी के लिए पेश करने की तैयारी की है, ऑथोरिटी की अगली बैठक में यह मामला रखा जाएगा। शहर के कई इलाकों में सेना व अर्द्धसैन्य बलों की टुकडियां है और इनके आस-पास हजारों लोगों ने जमीनें ले रखी हैं। सेना के तय मापदंड जेडीए मान लेती है तो पहले से खरीदे गए भूखंडों पर खतरा मंडराएगा। हालांकि प्लानिंग अघिकारियों की दलील है कि मामला सेना की गोपनीयता का है इसलिए इसे जस कातस उच्चाघिकारियों के समक्ष रख दिया जाएगा। ऑथोरिटी की बैठक नगरीय विकास मंत्री की अध्यक्षता में ही होती है। सेना की ओर से भेजे गए पत्र की गंभीरता को देखें तो उन्होने सैन्य क्षेत्र के आस-पास मकान/दुकान आदि निर्माण होने के कारण यूनिट में चल रही गतिविघियों की गोपनीयता को खतरा बताया है। इसके अलावा यूनिट्स के नजदीक ऊंची बिल्डिंग बनने पर अंदर तक नजर रखी जा सकती है।