कोटा के छत्र विलास उद्यान में टॉयट्रेन चलाने और व्यवसायिक गतिविधियों को लेकर शुक्रवार को राज्य विधानसभा में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और भाजपा विधायक भवानी सिंह राजावत के बीच नोकझोंक हो गई। धारीवाल ने कहा कि टॉयट्रेन पार्क में ही चलती है, जौहरी बाजार में नहीं चलती। उन्होंने स्पष्ट किया कि पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की सहमति से ही इसमें काम कराए जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने इस बात को भी नकारा कि पार्क में कोई व्यवसायिक गतिविधि भी नहीं होती। सवालों की बौछार होने लगी तो धारीवाल ने कह दिया कि भवानी सिंह राजावत ने ही 2004 में पत्र लिखकर पार्क को यूआईटी को सौंपने की सिफारिश की थी। धारीवाल ने एक पत्र भी सदन में लहराया।
भवानी सिंह राजावत ने कहा कि पीडब्ल्यूडी से यूआईटी को पार्क देने और उसके बाद शर्तों के उल्लंघन को लेकर अफसरों को चार्ज शीट तक दे दी गई है। उन्होंने कहा कि शर्तों का उल्लंघन करके पार्क में व्यवसायिक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। यहां तक कि इसी मामले को लेकर राज्य के दो मंत्री सड़कों पर लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी गतिविधि करने से पहले यूआईटी को पीडब्ल्यूडी से अनुमति लेनी चाहिए थी। शांति धारीवाल ने पूरक सवालों के जवाब में कहा कि छत्र विलास उद्यान में व्यवसायिक गतिविधि नहीं हो रही है। टॉयट्रेन चलाने का काम यूआईटी और पीडब्ल्यूडी अफसरों की संयुक्त बैठक में सहमति के बाद ही शुरू किया गया। उन्होंने ने कहा कि भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर और उदयपुर शहर में टॉयट्रेन पार्क में ही चलती है। छत्रसाल उद्यान 2003 में यूआईटी को सौंपा गया था। इसके बाद यूआईटी ने इसके सौंदर्यीकरण पर 3.83 करोड़ रुपए की राशि खर्च की। इसके बाद उद्यान फिर से पीडब्ल्यूडी को सौंप दिया। उद्यान का ठीक से रखरखाव नहीं होने के कारण पीडब्ल्यूडी ने वापस इसे 2005 में यूआईटी को सौंप दिया। उस समय इसे पांच साल के लिए दिया गया था, उसके बाद अप्रैल, 2011 में फिर से इसकी स्वीकृति बढ़ा दी गई।
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