भारतीय एलओसी से बालकोट तक आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखकर मनचाहे परिणाम दे सकता है शुभम का वज्रा वीटू ड्रोन
- -प्रो. विजयपाल सिंह ढाका के दिषा निर्देषन में शुभम अग्नीहोत्री एवं उनकी टीम ने बनाया करीब 3 किलोग्राम तक पेलोड देने वाला ड्रोन
- – एषिया भर से आई 100 से ज्यादा प्रविष्टियों में तीसरे रनरअप पुरस्कार से सम्मानित शुभम का वज्रा वीटू ड्रोन
- – सेना के लिए वरदान साबित हो सकता है शुभम का वज्रा वीटू ड्रोन
- – 100 किलोमिटर तक दायरे में 120 किलोमिटर पर आवर गति की क्षमता से यह दिखा सकता है अपना जलवा
मणिपाल विष्वविद्यालय जयपुर के विद्यार्थियों ने 20 से 24 फरवरी तक बैंगलोर में आयोजित ऐरो इंडिया 2019 में वेट ड्रोप चैलेंज टू एसेस द वेट ड्रापिंग कैपेबिलिटी ऑफ यूएवीस कॉपीटीषन केटेगिरी में अपना श्रेष्ट प्रदर्षन किया। मणिपाल विष्वविद्यालय जयपुर की इनोवेषन सेल की ओर से नव प्रवर्तन के लिए प्रेरित यह एक मानवरहित वाहन था जिसे कि एषिया भर से आई 100 से ज्यादा शार्ट लिस्टेड प्रविष्टियों में से तीसरे रनर अप पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
यह यूएवी उच्च गति पर उड़ सकता है। यह आवष्यक स्थान पर पेलोड को गिरा सकता है, घुसपेटियों का पता लगा सकता है। लूप, स्पिन और जैसे ऐरोबेटिक युद्धाभ्यास में अपनी अहम भूमिका निभा सकता है। साथ ही साथ यह बुद्धिमतापूर्ण तरीके से संचार भी कर संवाद स्थापित कर सकता है। यह एचएएल, एमओईए, डीआडीओ, उड्डयन मंत्रालय, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस प्रोडक्षन, एवं अन्य संस्थानों के सहयोग से भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित द्विवार्षिक कार्यक्रम था। यह प्रथम अवसर था जब कि एरोइंडिया में ड्रोन ओलम्पिक का आयोजन किया गया।
मणिपाल विष्वविद्यालय जयपुर में बीटेक मेकेनिकल इंजिनियरिंग में फाईनल ईयर में अध्ययनरत विद्यार्थी शुभम अग्नीहोत्री एवं उसकी टीम के अंतरिक्ष राजावत ने युनिवर्सिटी की इनोवेषन सेल के तहत प्रो. विजयपाल सिंह ढाका के दिषा निर्देषन में एक ऐसा ड्रोन विकसित किया है जो कि उचित टेकऑफ एवं लैंडिंग के साथ उच्च सटीकता से इच्छित स्थान पर करीब 3 किलोग्राम तक का पेलौड दे सकता है। इसका प्रदर्षन देष की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, एथलिट एवं अर्जुन अवार्डी श्रीमती अष्वनी नचप्पा, पद्मश्री एवं खेल रतन अवार्डी श्रीमती अंजू बॉबी जोर्ज, सेक्रटी एवं चैअरमैन आर एंड डी, डीआरडीओ, डॉ. जी. सतीष रेड्डी के सामने याल्हनका एअरबेस में किया गया। इस अवसर पर सभी मेरिट होल्डर्स को भारतीय सैन्य बलों के लिए इस प्रकार के ड्रोन उत्पादन और उनके साथ काम करने का मौका देने का आष्वासन भी दिया गया। याल्हनका एयरबेस बैंगलोर में आयोजित इस चार दिवसीय इवेंट में करीब 30 लाख से अधिक लोगों ने भ्रमण किया।
कैसे बनाया ड्रोन एवं क्या-क्या लगा इसमें: शुभम एंव उनकी टीम ने यह ड्रोन 2018 में नवंबर माह से बनाना आंरभ किया एवं फरवरी 2019 के आरंभ तक इसे पूरा किया। करीब तीन महीने 15 दिन का समय इस ड्रोन को बनाने में शुभम एवं उनकी टीम को लगा। इसे बनाने के साथ ही उन्होंने पेलोड डॉप यूएवी चैलेंज केटेगिरी में भाग लेने का निष्चय किया। जिसका कारण इसे टेस्ट कर स्वयं के उत्पाद को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के अनुसार मापित करना भी था जिसमें तीसरे रनर के रूप में जीत हासिल कर यह शुभम एवं उनकी टीम ने साबित भी कर दिया। इसे बनाने के लिए शुभम एंव उनकी टीम के सदस्य अंतरिक्ष राजावत ने रात दिन रिसर्च की एव इस रिसर्च का परिणाम है कि उनके इस ड्रोन को तीसरे रनरअप के रूप में चयन किया गया।
ऐसा है शुभम का यूएवी ड्रोनः शुभम का वज्रा वीटू, हेवी पैलोड कैरियर यूएवी ड्रोन को बनाने का उद्देष्य एक हल्के ड्रोन के जरिए 3 किलो की क्षमता तक के पेलोड को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना है। इस प्रकार के ड्रोन सैना, हैल्थ एवं अन्य प्रकार की तात्कालिक सेवाओं को पेलोड केरी एवं ड्रोप करने की सुविधा के लिए है। इसका उपयोग मेडिकल रीलिफ पैकेट, डिफेस किट्स, आपदा के समय फंसे लोगों को भोजन इत्यादी पहंुचाने के लिए किया जा सकता है। साथ ही इसे सर्विलेंस, फोटोग्राफी, साइट इन्सपेक्षन, फसलों को मोनीटर के लिए, जिओग्राफिकर डेटा कलेक्ट करने, डिलेवरी सेवाओं सहित अनेक कामों में लिया जा सकता है।
शुभम एंव उनकी टीम के द्वारा बनाए गए इस वज्रा टू ड्रोन के जरिए लॉग एन्ड्यूरेंस सिस्टम के जरिए यह एक समय में एक साथ 3 घंटे की उडा़न भर सकता है। अर्थात यदि सेना में इसे उपयोग में लिया जाए तो यह सर्जिकल स्ट्राईक को असानी से पूरा कर देष की सुरक्षा में अहम भूमिका निभा सकता है एवं बिना आवाज किए ही पाकिस्तान के छक्के छुड़ा सकता है। इसकी ऑपरेषनल रेंज 100 किलोमिटर के व्यास तक है। इसका मेक्सीमम अलटीट्यूट 1.5 किलोमिटर तथा इसकी मेक्सीमम पेलोड कैपीसिटी 3 किलो ग्राम है। यह पोर्टेबल है जिसमें डिटेचेबल विंग्स एवं टेल फॉर इजी ऑपरेषन है। इसकी मैक्सीमम स्पीड 120 किलोमिटर पर आवर है। लो फ्लाइंग कैपेबिलिटी के साथ ही इस ड्रोन में इमरजेंसी लेंडिंग की सुविधा भी है। इसमें दो इंजन है जो कि इसे और क्षमतावान बनाते है। इसमें पिक्स हैक ऑटोपॉलेट सिस्टम भी है जो कि इसे ऑटोनोमस एवं स्मार्ट बनाता है। इसे जीपीएस के जरिए कंट्रोल कर मनचाहे तरीके से आपरेट कर मिषन को अंजाम दिया जा सकता है। इसमे लो बेटरी वार्निग, रैंज, अल्टीट्यूड, लोकेषन पाथ, रूट, मिषन स्टेटस, काम करने के बाद रिर्टन टू होम फैसेलिटी, ऑटो टेक ऑफ एंड लैंडिंग जैसे फिचर्स है जो कि सैना की जरूरतो को भी पूरा कर खुफिया जानकारी जुटाने, खुफिया हमले आदि करने में कारगर सिद्ध हो सकता है। इतने फीचर्स के साथ इसकी अनुमानित लागत करीब एक लाख 29 हजार रूपए है जो कि अन्य देषी एवं विदेषी कंपनियों के मुकाबले में बहुत कम है। इसमें विंग स्पेन-2000 एमएम, फ्यूजलैज 1150एमएम तथा कम्पोजिट मैटेरियल तथा कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। इसमें थ्री डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग भी किया गया है।
ड्रोन बनाने का जुनून है शुभम को: शुभम को ड्रोन बनाने का जुनून स्कूल टाईम से ही है। उसने सेंट एनसेंल्मस एवं स्टेप बाई स्टेप स्कूल में पढ़ते समय ही 9 वीं कक्षा में एविएषन एवं एअर बोर्न टेक्नोलॉजी की जानकारी हासिल कर ली थी। इसके बाद देष के कई पाइलेट्स के संपर्क में आने से शुभम की रूचि ड्रोन बनाने में हुई। सोषल मीडिया एवं यूट्यूब के जरिए एरोमोडलिंग सीखी। शुभम ने अपना पहला ऐरो मॉडल कक्षा 9 में बनाया। जो कि 500 मीटर की उचाई तक उड़ने में एवं 1 किलोमिटर तक जाने में सक्षम था। इस सफलता के बाद शुभम ने पीछे मूड़कर नहीं देखा। इसके बाद गत सात सालों में शुभम एवं उनकी टीम सदस्यों में प्रमुखतया अंतरिक्ष ने कई प्रकार के ड्रोन बनाए जो कि इंडस्ट्री की डिमांड के अनुरूप है। शुभम ने देष के विभिन्न आईआईटी संस्थानों की ओर से आयोजित बोईंग नेषनल एरोमॉडलिंग कॉम्पीटषन में कई बार जीत हासिल की। साथ ही देष के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों की ओर से समय-समय पर आयोजित इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में भी जीत हासलि कर कई खिताब ऐरोमॉडलिंग की दुनिया में अपने नाम दर्ज किए। इसी के चलते शुभम एवं उनकी टीम सदस्यों ने स्टार्टअप कंपनी जीरो ग्रेविटी एरो सिस्टम लांच की है।
एरोइंडिया 19 दो साल में एक बार आयोजित होने वाला एक इवेंट है जो कि गत बार 2016 में आयोजित हुआ था। इस इवेंट को आयोजित करने के पीछे प्रमुख उद्देष्य वैष्वीक स्तर पर इस प्रकार की तकनीक को एक छत के नीचे आमंत्रित कर उनकी गतिविधियों को एअर शो एवं अन्य गतिविधियों के जरिए आम जन के समक्ष लाना है। इस इवेंट में डस्सौ, सुखोई एवं एन्टानोव जैसी अनेक एमएनसी एवं एचएएल-डीआरडीओ जैसी राष्ट्रीय कंपनियां दिखाई दी। साथ ही इन कंपनियों में से कुछ एक ने इस इवेंट को आयोजित करने में भी अपनी अह्म भूमिका निभाई।
डॉ. रमेष कुमार रावत एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेषन मणिपाल विष्वविद्यालय जयपुर
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