जयपुर Hindi

फिर बढ़ेगा राजस्थान में सफारी ट्यूरिज्म

-सरिस्का, रणथम्भौर में रौनक

the-safari-tourism-will-shine

एक बार फिर सरिस्का और रणथम्भौर में पर्यटकों की रौनक हो गई है। बुधवार रणथंभौर में सुबह 7 बजे से पहले पार्क खोला गया। पहले ही दिन 443 पर्यटकों ने इसमें भ्रमण किया। पर्यटकों को पार्क में टी-39 बाघिन और उसका शावक अठखेलियां करते भी नजर आए। कुछ समय से बाघ संरक्षण परियोजना के तहत यहां के टाइगर रिजर्व एरिया में भ्रमण की मनाही थी, लेकिन नई गाइडलाइन के साथ अब यह मनाही हटा ली गई है। सेंचुरी के कोर एरिया में प्रदेश में सर्वाधिक पर्यटन गतिविधियां रणथंभौर अभ्यारण्य में होती हैं।
कोर एरिया-क्रिटिकल बाघ आवासों के लिए चिन्हित क्षेत्र को कोर एरिया कहते हैं। इस एरिया में 12 फीट तक चौडे रास्ते के दोनो ओर 50 से 200 फीट के इलाके से पर्यटकों को बाघ देखने की अनुमति होती है।
राजस्थान में सरिस्का और रणथम्भौर राष्ट्रीय संरक्षित पार्क हैं। यहां आकर सफारी ट्यूरिज्म का आनंद लिया जा सकता है। सरिस्का और रणथम्भौर के जंगलों में टाइगर रिजर्व एरिया का भ्रमण करना अपने आप में अनूठा अनुभव होता है। जयपुर से 107 किमी की दूरी पर स्थित सरिस्का में जहां सिलीसेड, पाण्डुपोल और भृतहरि जैसे स्थान बड़ी मात्रा में लोकल ट्यूरिस्ट को आकर्षित करते हैं, वहीं सरिस्का के घने जंगलों के बीच जयपुर-अलवर हाईवे पर स्थित होटल सरिस्का पैलेस विदेशी ट्यूरिस्ट को खासा प्रभावित करता है। वहीं रणथम्भौर जयपुर से रेल्वे नेटवर्क से जुड़ा है। जयपुर से सवाई माधोपुर के लगभग 3 घंटे के रेल सफर के बाद सवाईमाधोपुर से रणथम्भौर 9 किमी की दूरी पर है। रणथम्भौर का विश्वविख्यात किला भी इसी सेंचुरी के सामने है।
कोर्ट ने राज्यों को गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी है। राजस्थान की वन मंत्री बीना काक इस फैसले से खुश हैं। उनका मानना है अब राजस्थान में ट्यूरिज्म ट्रेफिक बढ़ेगा। उनके अनुसार अभ्यारण्यों को कोर और क्रिटिकल बाघ आवासों में बांटा गया है, उसमें नियंत्रित पर्यटन गतिवििधयों की अनुमति दी जाएगी। रणथंभौर में ट्यूरिज्म बिजनेस से जुड़े लोगों ने तो यह फैसला आने के बाद मिठाईयां बांटकर और पटाखे चलाकर खुशी जाहिर कर दी। क्यूं ना हो, इस फैसले से रणथम्भौर के होटल व्यवसाईयों, नेचर गाइड्स, वाहन मालिकों और ट्रैवल एजेंटों को लाभ पहुंचना फिर से आरंभ हो गया है।
नई गाइडलाइन-नई गाइडलाइन के अनुसार कोर एरिया में पर्यटन को मंजूरी दी है। गाइडलाइन की अधिसूचना 15 अक्टूबर को जारी की गई थी। गाइडलाइन के अनुसार टाइगर क्रिटिकल कोर एरिया में किसी निर्माण को मंजूरी नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने 6 महिने में राज्य सरकारों को बाघ संरक्षण परियोजना बनाकर प्राधिकरण को सौंपने के निर्देश दिए हैं। वहीं जंगल एरिया में रहने वाले ग्रामीणों और कबीलों को भी वहां से हटाकर उनका पुनर्वास करने का भी सुझाव दिया है। गाइडलाइन के अनुसार वन्यजीवों से ट्यूरिस्ट्स को दूरी कम से कम 20 मीटर और वाहन की 50 मीटर बनाकर रखनी होगी, वन्यजीवों को एक जगह से 15 मिनट से ज्यादा नहीं देखा जाए और वन्यजीवों को खाद्य वस्तुएं दिखाकर ललचाया न जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को एक फैसला लेते हुए 41 बाघ अभ्यारणों के कोर इलाके में पर्यटन संबंधी हलचलों पर से रोक हटा ली है। इससे राजस्थान में सरिस्का और रणथंभौर टाइगर रिजर्व पर्यटन के लिए खुल जाएंगे। कोर्ट ने यह पाबंदी 24 जुलाई को कोर एरिया में पर्यटन पर पाबंदी लगा दी थी।

होटल झूमर बावड़ी रहा सुर्खियों में– रणथंभोर  का पूरा इलाका  सीटीएच में शामिल होने के बाद कोर्ट ने पूरे इलाके में ट्यूरिज्म पर रोक लगा दी थी। 16 अक्टूबर को नई गाइडलाईन आने से यह  प्रतिबंध हटा लिया गया। नई गाइडलाईन के तहत सीटीएच  में यदि  कोई होटल संचालित हो रहा  है तो उसे  छह माह में हटा लेने के निर्देश थे। रणथंभोर में आरटीडीसी के होटल झूमर बावड़ी पर इसी कारण  संकट आ सकता है।

टाइगर प्रोजेक्ट के  लिए 3.77 करोड़-रणथंभोर अभ्यारण्य के  लिए सरकार ने  3.77 करोड रुपए मंजूर किए। टाइगर प्रोजक्ट के तहत काम आने वाली यह राशि यहीं पर्यटकों के प्रवेश शुल्क और वाहन  शुल्क से एकत्र की  गई है। राशि का प्रयोग जंगल के रखरखाव, सुरक्षा और  अन्य व्यवस्थाओं के लिए किया  जाएगा।

Tags

About the author

Pinkcity.com

Our company deals with "Managing Reputations." We develop and research on Online Communication systems to understand and support clients, as well as try to influence their opinion and behavior. We own, several websites, which includes:
Travel Portals: Jaipur.org, Pinkcity.com, RajasthanPlus.com and much more
Oline Visitor's Tracking and Communication System: Chatwoo.com
Hosting Review and Recommender Systems: SiteGeek.com
Technology Magazines: Ananova.com
Hosting Services: Cpwebhosting.com
We offer our services, to businesses and voluntary organizations.
Our core skills are in developing and maintaining goodwill and understanding between an organization and its public. We also conduct research to find out the concerns and expectations of an organization's stakeholders.

18 Comments

Click here to post a comment

Leave a Reply to ashishmishraCancel reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

  • ’टाईगर’ को चाहिए बड़ा घर
    रणथम्भौर में बाघों की संख्या बढ़ रही है। यह खुशी की बात है लेकिन साथ ही यह खुशी एक चिंता की लकीर भी दे रही है। बाघों की संख्या बढ़ने से उनका विचरण क्षेत्र छोटा पड़ता जा रहा है। यही कारण है दो बाघों का आमना सामना होने पर उनके बीच हिंसक टकराव होना आजकल की सुर्खियां बन रहा है। पिछले दिनों कोर एरिया में एक बाघिन का शव भी मिला था।
    इस चिंता ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के कान खड़े कर दिए हैं। बाघों के रहवास का क्षेत्र बढ़ाने के प्राधिकरण के सदस्यों ने 28 दिसंबर को कैलादेवी अभ्यारण्य का दौरा किया। प्राधिकरण सदस्य दल ने बाघों के स्वच्छंद विचरण में सबसे बडे बाधक बन रहे 22 गावों को चिन्हित किया है। इनमें से लगभग आधे गांवों को आने वाले एक दो सालों में कहीं अन्यत्र विस्थापित कर दिया जाएगा। दल ने रणथंभौर से करणपुर के बीच पड़ने वाले गांवों का जायजा लिया। दल ने आशाकी, माचनकी और कुढका खोह गांवों का दौरा किया।
    रणथम्भौर अभ्यारण्य में इस समय 26 बाघ बाघिन और इतने ही शावक हैं। शावक जब व्यस्क होगें तो उनके विचरण के इलाके भी बढेंगे। कम क्षेत्र में उनमें बार बार टकराव और हिंसक संघर्ष हो सकता है। उनके संभावित विचरण क्षेत्र में 22 गांव बाधा बने हुए हैं।

    • सरकार की ओर से यह अच्छा कार्य किया जा रहा है। इस कोरीडोर के बाधक गांव ये हैं-
      डंगरा, सांकरा, बेरी विश्वनाथपुरा, भीमपुरा, मातोरियाकी, धोधाकी, खातेकी, ऊंची गुआडी, हरिकी, जोगीपुरा, भोजपुरा, दौलतपुरा, रावतपुरा, भैरदा, चोडयाखाता, चौडक्या, कुढकामठ, निभौरा, हरिसिंह की पाटौर, पहाडपुरा, मोरोची और बैरदा।
      इन्हें कहीं अन्यत्र शिफ्ट किया जाना चाहिए ताकि वन्य पशुओं को सुरक्षित परिवेश मिल सके।

  • बाघिन सुंदरी अपने शावकों से बिछुड़ी

    सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर अभ्यारण्य में 11 माह के साथ के बाद बाघिन सुंदरी अपने तीन शावकों से बिछुड़ गई। अभ्यारण्य के कचीदा क्षेत्र में घूमने वाली बाघिन सुंदरी का सप्ताह भर से कोई सुराग नहीं मिला है। शावक भी अभी शिकार करने के अभ्यस्त नहीं हैं। ऐसे में वन विभाग शावकों को भोजन उपलब्ध करा रहा है। वनकर्मियों ने बुधवार को कचीदा, धाकडा व भदलाव तालाब के आसपास बाधिन को तलाशा, लेकिन बाघिन नहीं मिली। तालाब की मिट्टी सख्त होने से भी पगमार्क नहीं आ रहे हैं। ऐसे में भदलाव, कचीदा और तालाब के आस पास तीन चार कैमरे लगाए गए हैं। अधिकारी कहते हैं कि सुंदरी के पीलीघाटी की तरफ जाने से वहां कैमरे लगाना संभव नहीं था। जबकि वास्तविकता है कि पीलीघाटी में सुंदरी की मॉनीटरिंग नहीं की गई।

  • ‌‌‌सरिस्का में रोकी व्यावसायिक गतिविधियां

    केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह पर सरिस्का क्षेत्र में अतिक्रमण कर रिसोर्ट चलाने के आरोप के एक दिन बाद ही मंगलवार को कुशालगढ फोर्ट से लग्जरी स्विस टेंट और अन्य सामान हटाना शुरू कर दिया गया है। मंगलवार शाम 5 बजे रिसोर्ट का कुछ सामान और टेंट हटाना शुरू किया गया। भाजपा विधायक बनवारी लाल सिंघल और आरटीटाई कार्यकर्ता अशोक पाठक ने ये आरोप लगाए थे। इन आरोपों के बाद राज्य सरकार और विभाग के अधिकारी भी सक्रिय हो गए। उन्होने पूछताछ शुरू की तो सरिस्का क्षेत्र में बने कुशलगढ फोर्ट से व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन रोक दिया गया। उधर, जितेंद्र सिंह ने कहा है कि जमीन संबंधी विवादों के कारण उन पर गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। कुशालगए में होटल संचालन कभी भी नहीं होता था। जितेंद्र सिंह ने सोमवार को लिखित में कहा कि कुशालगढ फोर्ट की जिस जमीन को लीज पर दिया गया है वहां व्यावसायिक गतिविधियां नहीं चलाने की लीज में शर्त है। जिस व्यक्ति ने लीज पर जमीन ली है उसने वहां से गतिविधियां बंद करने और सामान हटाने को कहा है। इसके बाद मंगलवार को सामान हटाने की कार्रवाई आरंभ हुई।

  • अभ्यारण्यों में मिलेंगे रियायती गैस कनेक्शन

    राजस्थान में सरिस्का एवं रणथम्भोर बाघ परियोजना के समीपस्थ क्षेत्रों में 20 हजार गैस कनेक्शन रियायती दरों पर उपलब्ध कराने के लिये 180 लाख रूपये के अतिरिक्त प्रावधान को मंजूरी दी गई है। बजट वर्ष 2013-14 में इसकी घोषणा की गई थी। इससे इन टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के ईधन सम्बंधी दबाव में कमी आयेगी।

  • रणथंभौर में गायब हैं आठ बाघ

    रणथम्भौर अभ्यारण्य में दो साल के दरमियान आठ बाघ बाघिन लापता हो गए हैं। इनमें हाल ही लापता हुई बाघिन सुंदरी सहित 6 व्यस्क बाघ और दो शावक शामिल हैं। हालांकि कुछ समय तक इनकी खोज की गई लेकिन बाघों का कहीं कुछ पता नहीं चला। अधिकारी न तो ये कहते हैं कि बाघों का शिकार हो गया है या फिर उनकी नैचुरल डेथ हो चुकी है। वनविभाग के प्रोजेक्ट फोरमेशन एडिशनल पीसीसीएफ जीवी रेड्डी का कहना है कि रणथंभोर में कैमरे लगाए गए हैं। सभी लापता बाघों की स्थिति का पता चल जाएगा। वैसे कौन से बाघ लापता हैं। उनकी जानकारी करके ही बताया जाएगा।

  • वन्यजीव गणना 16 से 25 मई

    सवाईमाधोपुर के रणथंभौर बाघ परियोजना में वन्यजीव गणना 16 मई से आरंभ हो जाएगी। बाघ परियोजना उप वनसंरक्षक वाई के साहू के अनुसार पगमार्क विधि से गणना 16 से 24 मई तक कराई जाएगी। इस अवधि में पर्यटकों के भ्रमण के लिए सुबह की पारी साढे 7 बजे प्रारंभ होगी। वाटर होल पद्धति से वन्यजीवों की गणना 25 से 26 मई सुबह तक होगी। पार्क में 25 मई को पूरे दिन व 26 मई को सुबह भ्रमण बंद रहेगा।

  • बाघ टी-24 हुआ घायल

    सवाईमाधोपुर के रणथंभौर अभ्यारण्य में दशहत से लोगों के पसीने छुडाने वाला बाघ उस्ताद टी 24 घायल हो गया। ये बाघ सुबह आरओपीटी रेंज के टूटी के नाले वन क्षेत्र में लंगडाकर चलता नजर आया। सूचना मिलने पर वनअधिकारी उसकी ट्रेकिंग में जुट गए। पता चला कि बाघ के बायें पैर में सूजन है। वनाधिकारी अंदेशा जता हरे हैं कि बाघ को कोई कांटा लगा होगा या फिर शिकार के दौरान वह घायल हो गया होगा। बाघ के जिस पैर में सूजन है उसी में ढाई साल पहले चोट लगी थी। उसका ऑपरेशन भी किया गया था। वन्यचिकित्सकों ने पुराना जख्म ताजा होने की भी आशंका जताई है। पशु चिकित्सक डॉ राजीव गर्ग दिन भर बाघ की चोट की मॉनीटरिंग करते रहे। उन्होंने कहा कि दर्द ज्यादा रहा तो बाघ का फिर ऑपरेशन करना पड़ सकता है।

  • रणथंभौर में बाघों के लिए जगह कम

    वन्यजीव और अभ्यारण्य विशेषज्ञों ने कहा है कि रणथंभौर में बाघों के लिए रहने की जगह कम है। इसलिए वे या तो आपस में बार बार टकराकर मर रहे हैं या फिर लापता हो गए हैं। विशेषज्ञों ने रणथंभौर सेंचुरी में कैलादेवी और सवाईमानसिंह सेंचुरी को भी जोड़ने का प्रस्ताव रखा है। सरिस्का सेंचुरी में वर्ष 2000 से 2004 के दरमियान लापरवाहियों के चलते बाघों की संख्या खत्म सी हो गई थी। यहां 22 बाघों की मौत हो गई थी। वैसी ही स्थिति रणथंभौर में बन गई है। यहां 2009 से अब तक 17 बाघ गायब हो चुके हैं। दो वर्षों में छह बाघों की मौत भी हो गई है। सरिस्का में बाघों की मौत के खुलासे के बाद टाईगर फोर्स का गठन किया गया था। इस फोर्स ने रणथंभौर को ऐसी परिस्थितियों से बचाने के लिए 107 सुझाव दिए थे। लेकिन 2013 तक उनमें से किसी पर भी अमल नहीं हुआ है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऐसे में लगातार चेतावनी दे रहा है कि रणथंभौर के 392 वर्गकिमी क्षेत्र में 47 बाघ नहीं रह सकते। इन्हें कोरीडोर में शिफ्ट किया जाना चाहिए। इस चेतावनी के बाद भी विभाग सोया हुआ है। कैलादेवी, सवाईमानसिंह सेंचुरो को अब तक इससे नहीं जोड़ा गया है।

  • ‌‌‌सरिस्का में पानी का संकट

    अलवर का सरिस्का अभ्यारण्य में इन दिनों प्रचण्ड गर्मी के चलते बाघ-बघेरों की आफत हो गई है। अभ्यारण्य के प्राकृतिक जल स्रोत सूखने लगे हैं और ऐनीकटो में भी पानी नहीं बचा है। बाघ एसटी-4 को ब्रह्मनाद क्षेत्र में रविवार को प्यास से बेहाल भटकते देखा गया। लगतार गर्मी से हालत ये है कि अभ्यारण्य के टेरीटरी में सबसे बड़े एनीकट ब्रह्मनाद में मिट्टी सूख कर पथरा गई है। दोपहर बाद बाघ एसटी 4 पानी की तलाश में एनीकट पहुंचा लेकिन उसे यहां पानी नहीं मिला। करीब 20 मिनट तक बाघ एनीकट के बीच गीली मिट्टी को खोदकर पानी के लिए मशक्कत करता रहा। सतह पर पानी आया तो उसने जीभ से चाटकर प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश भी की। परेशान बाघ हांफता हुआ जंगल में आगे बढ़ा और दो किमी आगे उसे ब्रह्मनाद वॉटर होल में पानी मिला। सरिस्का में पानी की किल्लत के चलते गत वर्ष नाबार्ड के अनुदान से करीब 22 एनीकट बनाए गए थे। जबकि इतने ही पुराने एनीकट भी सरिस्का में बने हुए हैं। यहां वन्यजीवों को पानी मिल पाता है, लेकिन ज्यादातर एनीकट तो बारिश के कुछ बाह बाद ही रिसाव से खाली हो गए। अन्य का पानी भी धीरे धीरे सूख गया। बीते एक सप्ताह में सरिस्का के तीन शीर्ष पदों पर तैनात वन अधिकारी हटाए गए हैं। बाघ परियोजना के निदेशक व मुख्य वन संरक्षक का पद तो 10 दिन से खाली है जबकि उप वन संरक्षक व सहायक वन संरक्षक का भी हाल ही तबादला हुआ है। ऐसे मिें सरिस्का में वन्यजीवों की सुरक्षा और निगरानी मुश्किल में पड़ने लगी है। दो वर्ष पहले मई 2011 में सरिस्का में एक पैंथर मृत अवस्था में मिला था। जांच से पता चला कि पैंथर की मौत तापघात और प्यास से हुई। इसके बाद ही सरिस्का में नए एनीकट बनाने का कार्य किया गया।

  • जयपुर में इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सीलेंस खुलेगा

    वन्यजीव, वन और उनसे जुड़े कामों की ट्रेनिंग के लिए वन विभाग ने एक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोलने की तैयारी कर ली है। इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सीलेंस जयपुर में खुलेगा। इसकी एक शाखा सवाईमाधोपुर के रणथंभौर में भी होगी। इस प्रकार का इंस्टीट्यूट देश में दूसरा होगा। पहला इंस्टीट्यूट देहरादून में है। राज्य सरकार अब इसकी तैयारी में जुट गई है। इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों और विशेषज्ञों के बीच बातचीत चल रही है। ताकि इसे जल्द ही मूर्त रूप दिया जा सके।

  • बाघिन लैला बनी ’मां’

    रणथम्भौर से बाघिन टी-17 के लापता होने के बाद गुरूवार को पहली बार कोई खुशखबरी आई। बाघिन टी-41 ने एक शावक को जन्म दिया है। शावक करीब एक माह का है। अनुमान लगाया जा रहा है कि और भी शावक हो सकते हैं। अमूमन बाघिन अपने शावकों को तीन-चार माह बाद ही बाहर निकालती है। छह साल की बाघिन टी-41 को जोन-4 इलाके में अक्सर घूमते देखा जाता है। वन विभाग की फेस टू फेस बुक में इसका नाम लैला है। वह पहली बार गर्भवती हुई है। बकोला-सैमली इलाके में जिप्सी में सवार कुछ पर्यटकों ने शावक की अठखेलियों को कैमरे में भी कैद किया था।

  • नाहरगढ सेंचुरी में 7 और झालाना पार्क में 5 पैंथर

    जयपुर में वनविभाग की ओर से कराई गई वन्यजीव गणना में नाहरगढ सेंचुरी और झालाना पार्क में करीब 12 से 14 पैंथरों के साथ ही दोनों जगह करीब 4 शावक होने की सूचना मिली है। नाहरगढ में सात से नौ और झालाना में पांच से छह पैंथर की मौजूदगी बताई गई है। हालांकि एक ही पैथर की साइटिंग दो जगह तो नहीं हुई इसका पता लगया जा रहा है। वन्यजीव गणना 25 मई शाम पांच बजे से शुरू होकर 26 मई को पांच बजे तक की गई। पहली बार दोनो ही जगह वन्यजीव प्रेमियों को भी इसमें आमंत्रित किया गया था। गणना के लिए वन क्षेत्र में बने वॉटर पाइंठट के आसपास स्टाफ को मचान बनाकर बिठाया गया। इस दौरान पेंथर के पदमार्क और कुछ जगह फोटो पहचान भी लिए गए।

  • झालाना के जंगल बनेंगे ’सफारी’

    जयपुर वन विभाग ने झालाना पार्क में लोगों को घुमाने के लिए पर्यटन योजना तैयार कर राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है। पैंथर कंजर्वेशन प्लान के लिए यहां कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। अपेक्स सर्किल से आधा किमी सघन वन विकसित किया जाएगा और शहरवासियों को वन्यजीवों को देखने का मौका भी मुहैया कराया जाएगा। शहर से सटे हुए इस इलाके को वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के तौर पर खोलने की तैयारियां चल रही हैं। इसके लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवा दिया गया है। इसके तहत लोगों को पार्क में भीतर घने जंगल और जानवरों तक ले जाने के लिए पुराने रूट को ठीक करने के अलावा नए रूट बनाए जाएंगे । दूसरे पार्क और सेंचुरी की तरह खुले वाहनों में सैर भी की जा सकेंगी । इसके लिए बाकायदा एंट्री फीस भी ली जाएगी।

  • झालाना में पैंथर कंजर्वेशन प्लान

    झालाना पार्क के लिए पैंथर कंजर्वेशन प्लान भी बनाया गया है। पैंथरों की मॉनिटरिंग व सुरक्षा के लिए कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। ताकि उनके मूवमेंट का पक्का पता चल सके। पाक्र को वायरलैस सेटअप से भी जोडा जाएगा। वन्यजीव प्रेमियों ने गत दिनों झालाना पार्क की सुरक्षा को लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्री बीना काक से चर्चा की थी। मंत्री ने यहां दो तीन विजिट करने के बाद पैंथर कंजरवेशन सहित टूरिस्ट प्लान बनाने के आदेश दिए थे। झालाना पार्क की खासियत मैदान और पहाड़ियों पर फैला घना जंगला है। करीब दो हजार हैक्टेयर क्षेत्र के इस जंगल की मुख्य वाइल्ड लाइफ में पैंथर है जो टाइगर की तरह घात लगाकर शिकार करते हैं। पैंथर शर्मिला जीवन है जो बड़े शिकार की बजाय खरगोश जैसे छोटे जीव का शिकार करता है। यह पेड़ों और पत्थरों की ओट में रहता है। पैंथर ज्यादातर रात में अपने शिकार की खोज करता है।

  • दुर्लभ वन्यजीव हैं झालाना पार्क में

    झालाना पार्क में दुर्लभ प्रजाति के केरेकल, जंगली बिल्ली, जरख, सियार, भेड़िया, बिज्जु, लोमड़ी, सेही, चीतल, खरगोश सहित कई पक्षी भी हैं। पार्क के डीएफओ आरपी गुप्ता के मुताबिक पार्क में नए वॉटर होल बनाए जाएंगे। लोगों को वन और यहां की स्पीशीज के बारे में बताया जाएगा। वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिहाज से सीमित वाहनों को प्रवेश दिया जाएगा। योजना के अनुसार पॉल्युशन कम से कम हो इसके लिए सिर्फ पेट्रोल वाहनों को ही प्रवेश दिया जाएगा। इसके लिए एक कमेटी भी बनेगी जो नियमों का विस्तृत तरीके से निर्धारण करेगी।

  • कहां गए बाघ, कोई जानकारी नहीं

    वन विभाग की कार्यप्रणाली पर जब-तब सवाल उठते रहे हैं। एक ओर वन विभाग जयपुर के झालाना क्षेत्र में नील गाय की मौत पर रेंजर को सस्पेंड कर देता है तो दूसरी ओर रणथंभोर में बड़ी संख्या में बाघों के लापता होने के बारे में विभाग के पास न कोई जांच परिणाम है और न ही कोई जवाब। मजे की बात ये है कि बड़ी संख्या में बाघ लापता हुए और विभाग ने अभी तक किसी पर कार्रवाई भी नहीं की है।
    खंडार क्षेत्र में पिछले साल 23 दिसंबर को मृत मिले बाघ के कारणों का पता लगाना तो दूर विभाग अब तक यह पहचान पाया है कि यह बाघ कौन सा था। इस मामले में दो जांचें चल रही हैं। लेकिन रिपोर्ट मांगने जहमत किसी आला अधिकारी ने नहीं उठाई है। अभ्यारण्य में बाघिन टी-17, टी-31 गायब हैं लेकिन कोई जांच नहीं बिठाई गई। विभाग की कमजोर निगरानी और सुरक्षा खामियों का नतीजा बाघों को भुगतना पड़ रहा है। रणथंभोर से तीन साल में आठ बाघ बाघिन लापता हो गए हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक से इस बारे में पूछने पर वे कहते हैं ’बाघों को क्या चेन से बांधकर रखें?’ ऐसे प्रधानों को वन विभाग और अभ्यारण्य की ठेकेदारी मिल जाने से अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि क्या होगा। जो जीव बचे हुए हैं उन्हें अपनी किस्मत पर नाज होना चाहिए।

  • अब शावक लापता

    सवाई माधोपुर के रणथम्भौर अभ्यारण्य से टी-8 का एक और टी-11 के दो शावक लापता हैं। इनकी उम्र करीब दो साल है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के निर्देश पर 45 दिन तक कराई गई गहन कैमरा ट्रैपिंग में यह खुलासा हुआ है। कई माह से गायब बाघिन टी-17 और टी-31 को भी कोई सुराग नही मिला है। माना जा रहा है कि इनकी मौत हो गई है। वन विभाग के अफसर गहन कैमरा ट्रैपिंग में शावकों की मिसिंग की बात तो मान रहे हैं लेकिन कह रहे हैं कि ट्रैकिंग के बाद टी-11 के दो शावकों को एक रेंज अफसर ने देखा था। वे शावकों के बाहर निकलने और नेचुरल डेथ से भी इनकार नहीं कर रहे हैं। गहन कैमरा ट्रैपिंग बाघों की गणना के लिए सबसे विश्वस्नीय है। इसके डाटा केंद्र तक भेजे जाते हैं।

Discover more from

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading