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जयपुर – मनोरंजन का स्वर्ग

राजस्थानी संस्कृति और मूल्यों का आईना कहलाने वाले शहर जयपुर के लिए हर किसी के दिल में एक खास जगह है। जयपुर की कल्पना करना खूबसूरत ख्वाब है तो जयपुर आकर यहां के सौन्दर्य का रसपान करना स्वयं को स्वर्ग में महसूस करने जैसा है। जो लोग गहराई से जयपुर की परंपराओं से जुड़े हैं वे जयपुर के इन्हीं मूल्यों को आगे ले जाने में तत्पर रहते हैं और अपने शहर के लिए कुछ करने में गर्व महसूस करते हैं। मनोरंजन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग आपकी यात्रा को सुखद बनाने के लिए यहां आतुर और स्वागत की मुद्रा में दिखाई देते हैं।

मनभावन जयपुर के 10 आयाम-

1 हाथी सवारी- जयपुर राजसी ठाठ को प्रतिबिंबित करता शहर है। इसी ठाठ को दोगुना करती है आमेर महल में हाथी की सवारी। आमेर महल के निचले परिसर से टेढ़े मेढे रास्ते से होकर महल के जलेब चौक तक हाथी पर सवार होकर पहुंचना बहुत ही आनंददायक है। हाथी की सवारी का यह लुत्फ आप विशाल मावठा झील, आमेर की हरी भरी सुंदर पहाडि़यों और पुराने नगर को देखते हुए उठा सकते हैं। यह सवारी आपको राजा होने का एहसास दिलाएगी।

2 ऊंट की सवारी- रेगिस्तान का जहाज कहलाने वाले जानवर ऊंट की सवारी करना अपने आप में बड़ा मजेदार अनुभव है। यह अनुभव अगर जयपुर की सबसे ज्यादा देखे जाने वाले महलों में शुमार जलमहल की पाल पर की जाए तो बात ही और है। ऊंट की सवारी अगर आप यहां पहली बार करेंगे तो यकीनन आपके मुंह से दो बार सुखद चींख निकल सकती है। ऊंट जब आपको सैर कराने के लिए खड़ा होता है तो पहले आगे की ओर फिर पीछे की ओर झुकता है। ऊंट की सवारी कर सच्चे अर्थों में आप राजस्थान की मूल संस्कृति का आनंद ले सकते हैं।

3 पगड़ी और हुक्के का ठाठ- पगडी राजस्थान का लोकपरिधान है और हुक्का यहां की शान। दोनो एश्वर्य सिर्फ राजस्थान में ही लिए जा सकते हैं। सिर पर पगड़ी रखकर खाट पर बैठकर हुक्के का लुत्फ लेना आपको अलग ही दुनिया में ले जाएगा। जयपुर में आकर आप इसका भरपूर आनंद ले सकते हैं। ध्यान रखें धूम्रपान सेहत के लिए ठीक नहीं। लेकिन यहां हुक्के को बुजुर्गों का आशीर्वाद और सामाजिक भाईचारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

4 घाघरा चोली, कुर्ता धोती- अगर आप जयपुर आए हैं तो राजस्थानी घाधरा चोली और कुर्ता धोती की खरीददारी जरूर करें। यह यहां का स्थानीय पारंपरिक परिधान है। आप यह परिधान जब किसी शादी समारेाह या उत्सव में पहनेंगे तो अपने भीतर एक संस्कृति गाती गुनगुनाती महसूस करेंगे और यह अनुभव आपको आनंद से भर देगा। जयपुर में बहुत सारे ऐसे स्थान भी  हैं जहां आप राजस्थानी परिधान पहन कर अपनी फोटो खिंचा सकते हैं। बिड़ला मंदिर ऐसा ही स्थल है, तो जयपुर आईये राजस्थानी पोशाकों का आनंद लीजिए और सुंदर चित्र हमेशा के लिए संजो लीजिए।

5 कालबेलिया नृत्य- जयपुर की लोकसंस्कृति बड़ी मनभावन है। यहां लोकरंग, रस, परिधान, नाच-गान, लोकगीत, हस्तकला आदि सब मिलकर रंग-बिरंगी अनूठी संस्कृति का निर्माण करते हैं। कालबेलिया नृत्य भी इस संस्कृति का मनभावन हिस्सा है। राजस्थान के प्रसिद्ध लोकनृत्य कालबेलिया का आनंद लेने के लिए जयपुर के महलों और बीकानेर के रेगिस्तानी धोरों से बेहतर जगह कोई जगह नहीं। काले रंग के लोकपरिधान पहन कर जब नृत्यांगनाएं सुरीली तानों पर चकरीदार नृत्य करती हैं तो समां बंध जाता है। मूल रूप से यह सपेरा संस्कृति का नृत्य है।

6 घूमर नृत्य- घूमर नृत्य भी कालबेलिया की तरह आनंददायक लोकनृत्य है। यह राजस्थान के सौन्दर्य और सम्मान की परंपरा का प्रतीक है। अपने प्रियतम को समर्पित यह नृत्य लोकपरिधान में सजी-धजी महिलाएं लम्बा घूंघट निकाल कर पेश करती हैं। पर्यटकों को ये दोनो नृत्य ही  बेहद पसंद आते हैं और वे अपने कैमरों में इनकी रिकार्डिंग करने में आनंद की अनुभूति करते हैं। जयपुर में प्राय कई अवसरों पर इन नृत्यों का आयोजन किया जाता है।

7 इकतारा की धुन- राजस्थान संगीत और कलाप्रिय राज्य है। यहां की माटी में विभिन्न कलाएं और हवा में संगीत पनपता है। यहां के स्थानीय कलाप्रेमी ग्रामीण लोग अपने हाथों से इकतारा जैसे वाद्य तैयार कर लेते हैं और पशुओं को चराते हुए वाद्य बजाकर आनंदित रहते हैं। इकतारा एक तार से बजने वाला वाद्य है और राजस्थान के प्रमुख वाद्यों में शुमार है।

8 मेहंदी का जादू- तीज त्योंहार हो, व्रत उत्सव हो या फिर शादी समारोह। राजस्थान की महिलाएं मेहंदी की बड़ी शौकीन हैं और यह राजस्थान की संस्कृति का हिस्सा भी है। टैटू परंपरा को नई तकनीक मानने वाले विश्व को इस तथ्य से अवगत होना चाहिए कि मेहंदी देशी टैटू है और हजारों सालों से इसका प्रयोग राजस्थान और भारत के विभिन्न अंचलों में किया जा रहा है। जयपुर भ्रमण पर आई महिलाएं यहां आकर सिद्धहस्त मेहंदी कलाकारों से अपने हाथों पर मेहंदी लगवा सकती हैं। बापू बाजार, सरावगी मेंशन या जौहरी बाजार के बरामदों में ये सिद्धहस्त कलाकार आपको नजर आ ही जाएंगे। एक बार और यदि आपके हाथ में मेहंदी का रंग गहराई से रचा है तो यह इस बात का प्रतीक है कि आपका जीवनसाथी आपसे बहुत प्यार करता है। तो देर किस बात की, जयपुर आकर यह परीक्षण भी कर ही लीजिए।

9 पतंग की उड़ान- जयपुर के उत्सव विश्वविख्यात हैं और इनमें सबसे प्रमुख है मकर संक्रांति। इस अवसर पर जयपुर का आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से अटा दिखाई देता है। शहर  की हर छत पर संगीत की मधुर स्वर लहरियों के साथ ’वो काटा’ का शोर सुनाई देता है। चौगान स्टेडियम में विदेशी मेहमानों के लिए भी पतंगोत्सव का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जयपुर आपर इस रोमांच से जरूर गुजरिए।

10 राजस्थानी बोली- राजस्थानी बोली के बारे में कहावत है मारवाड़ी मीठा बोलकर गला भी काट ले तो गम नहीं। सच में राजस्थानी बोली की मिठास ही इतनी न्यारी है कि आप समर्पण कर देते हैं। इस मीठी जुबान के दो चार शब्द सीखकर जब आप स्थानीय लोगों से बात करने  का प्रयास करेंगे तो उन्हें आनंद से गदगद महसूस करेंगे। इस तरह स्थानीय लोग आपको सिर आंखों पर बिठाएंगे। विदेशी पर्यटक जयपुर आकर हाय हैलो छोड़, राम राम सा, नमस्ते जी और घणी खम्मा का प्रयोग कर स्वयं को अभीभूत महसूस करते हैं।

इन सभी गतिविधियों का आनंद जयपुर में बखूबी लिया जा सकता है और आप पर्यटन के इस स्वर्ग से कुछ ऐसी यादें लेकर अपने साथ जाएंगे कि जिंदगीभर ये यादें आपको तरोताजा और खुशमिजाज रखेंगी।


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