भारत की सांस्कृतिक धरती राजस्थान की राजधानी गुलाबी शहर जयपुर है। जयपुर अपने महलों, किलों और पुराने शहर की नियोजित बसावट के कारण दुनियाभर में मशहूर है। परकोटा क्षेत्र का गुलाबी रंग यहां आने वाले देशी विदेशी मेहामानों का मन मोह लेता है। बड़ी चौपड़ इसी परकोटा का सबसे मुख्य और व्यस्ततम चौराहा है। जौहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, रामगंज बाजार और हवामहल रोड बड़ी चौपड चौराहे से ही लगे हुए हैं। बड़ी चौपड़ से उत्तर की ओर जाने वाले मार्ग को हवामहल रोड के नाम से जाना जाता है। और इसी रास्ते पर बाजार की ओर बनी एक भव्य महलनुमा प्राचीर को हवामहल कहा जाता है। दुनियाभर में इस इमारत को ’पैलेस ऑफ विंड्स’ के नाम से जाना जाता है।
जयपुर का ग्लोबल सिंबल
हवामहल (HawaMahal) को निर्विरोध रूप से जयपुर का ग्लोबल सिंबल माना जा सकता है। दुनिया भर में हवामहल गुलाबी शहर की पहचान के रूप में विख्यात है। बड़ी चौपड़ से कुछ ही कदम चांदी की टकसाल की ओर चलने पर बांयी ओर खड़ी यही भव्य इमारत मुकुट की डिजाइन में बनी हुई है। यह पांच मंजिला शानदार इमारत दरअसल सिटी पैलेस के ’जनान-खाने’ यानि कि हरम का ही एक हिस्सा है। राजपरिवार की महिलाओं के लिए बनाए गए इस महल की यह पृष्ठ दीवार है जो सिरहड्योढी बाजार की ओर झांकती हुई है।
निर्माण
इस खूबसूरत इमारत का निर्माण सन् 1799 में महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने कराया था। राजा प्रताप कृष्णभक्त थे। इसीलिए उन्होंने इस इमारत का निर्माण भगवान कृष्ण के मुकुट के आकार के रूप् में ही कराया। हवामहल में 152 झरोखेदार खिड़कियां हैं। इन खिड़कियों में से बहती हवा महल के भीतर आकर वातानुकूलन का कार्य करती है। सैकड़ों खिडकियों में से हवा के प्रवाह के कारण ही इस महल को ’हवामहल’ कहा गया।
रानियों के लिए
सिरहड्योढी की ओर निकली इस खिड़कीदार भव्य इमारत के निर्माण के पीछे रनिवास में रहने वाली शाही महिलाओं के लिए बाजार और चौपड़ की रौनक, तीज व गणगौर की सवारी और मेले, शाही सवारियां, जुलूस और उत्सव आदि देखने की व्यवस्था करना था। भवन की डिजाईन राजशिल्पी लालचंद उस्ता ने तैयार की थी।
खूबसूरती
यह भव्य इमारत लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से बनी है और अपने आधार से इसकी उंचाई पचास फीट है। हवामहल की स्थापत्य शैली भी राजपूत और मुगल शैलियों का बेजोड़ नमूना है। हवामहल की पहली दो मंजिलें गलियारों और कक्ष से जुड़ी हैं। रत्नों से सजे इस कक्ष को रत्न महल कहा जाता है। वहीं चौथी मंजिल को प्रकाश मंदिर व पांचवी मंजिल को हवा मंदिर कहा जाता है।
प्रवेश
हवामहल (Hawa Mahal) का प्रवेशद्वार त्रिपोलिया बाजार में से है। यहां एक बाजार से एक द्वार महल के पश्चिममुखी द्वार की ओर जाता है। महल के इस द्वार से ही टिकिट लेकर हवामहल में प्रवेेश किया जा सकता है।
पुनर्निर्माण
वर्ष 2005 में लगभग 50 साल बाद हवामहल के जीर्णोद्धार का कार्य आरंभ किया गया। इसके तहत महल की भीतरी टूट-फूट और रंग-रोगन के साथ हवामहल की दीवार पर भी नया गेरूंआ रंग किया गया। जीर्णोद्धार के इस कार्य पर लगभग 45 लाख रूपए खर्च किए गए। हवामहल की खिड़कियों पर रंगीन शीषे लगाने कार्य भी किया गया था।
वर्तमान में जयपुर शहर के ज्यादातर मॉन्यूमेंट्स के पुन: सौन्दर्यकरण का कार्य चल रहा है। लेकिन आज भी जयपुर आने वाले पर्यटक की आंखें हवामहल को ढूंढती सी प्रतीत होती हैं। खूबसूरती का असर यही होता है।
आशीष मिश्रा
पिंकसिटी डॉट कॉम
चमक रहा है हवामहल
जयपुर को ट्रेड मार्क बन चुके हवामहल की हालत सुधारी जा रही है। पूरे छह साल बाद इस कलात्मक दीवार की खूबसूरती को नए सिरे से संवारने की कोशिश की जा रही है। हालांकि आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण के पास इतना बजट नहीं कि वे यहां विकास या संरक्षण के अन्य कार्यों में पैसा खर्च करें। लेकिन फिर भी हवामहल के रंग रोगन, खिड़की दरवाजों की सफाई, पीतल चमकाने का काम और टूटी दीवारों व कांच को दुबारा भरने का काम तत्परता से किया जा रहा है। लगभग तीन सप्ताह में कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इस समय हवामहल को बल्लियों से कवर किया जा चुका है और नवीनीकरण का काम आरंभ कर दिया गया है। प्राधिकरण की ओर से हवामहल की पांच मंजिलों के रंग रोगन का काम किया जा रहा है। महल की टूटी दीवारों पर चूने से बनी सुरखी लोई व खमीरा किया जाएगा। गुम्बद पर लगे कलशों को भी रसायनों की पॉलिश से चमकाया जा रहा है इसके अलावा खिडकियों के टूटे हुए रंगीन कांच भी बदले जा रहे हैं।
पर्यटकों को निराशा
हवामहल को अपने कैमरे में क्लिक या शूट करने वाले पर्यटकों को मायूसी हाथ लग रही है। पूरी इमारत बल्लियों से कवर है। कुछ मेहमानों को इस बात का सुकून भी नजर आया कि प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतों को समय समय पर संभाला और सहेजा जाता है। एक रशियन ट्यूरिस्ट वॉयसिली का कहना था कि उनके पास हवामहल के बहुत सारे फोटो हैं लेकिन बल्लियों से घिरे हुए हवामहल का कोई फोटो नहीं था, उन्होंने विभिन्न एंगलों से जीर्णोद्धार के कार्यों को क्लिक किया।
हवामहल-विश्व हैरिटेज दिवस पर
विश्व हैरिटेज दिवस के अवसर पर गुरूवार 18 अप्रैल को जयपुर के पुरा स्मारकों पर देशी विदेशी सैलानियों को न सिर्फ निशुल्क प्रवेश दिया गया, बल्कि उनका तिलग लगाकर स्वागत भी किया गया। इन स्मारकों पर अन्य दिनों की बजाय दोगुने पर्यटक पहुंचे। हवामहल की खूबसूरती को को गुरूवार को 1805 पर्यटकों ने निहारा जबकि बुधवार को यहां 504 सैलानी ही आए थे।
हवामहल में डायरामाज लगेंगे
जयपुर के हवामहल में अब राजस्थानी संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी। यहां राजस्थानी के लोगजीवन को बयां करते पुतले, भोपा-भोपी के दृश्य, घूमर नृत्य, होली और स्वयंवर के दृश्यों पर आधारित डायरामाज लगाए जाएंगे। मानवाकृतियों वाले इन डायरामाज को महल के प्रथम चौक, प्रताप मंदिर, भोजनालय और शरद मंदिर में स्थापित किया जाएगा। इनके लिए लकड़ी और कांच के केस तैयार किए जा रहे हैं। काफी लंबे समय से ये डायरामाज महल के कक्षों में बंद थे।
हवामहल का नया रंगरूप
जयपुर शहर की पहचान हवामहल का रंगरोगन का काम पूरा हो गया है और अब यह अपने नए निखरे रंग रूप में लोगों को बहुत लुभा रहा है। हवामहल का रिनोवेशन का काम छह साल पहले हुआ था। इस दौरान इसका कलर फैड हो गया था। गुंबदों पर लगे पीतल के शिखर टूट गए थे या टेढे मेढे हो गए थे। आमेर विकास प्राधिकरण ने इसका सौंदर्यकरण कराया है। बीस दिन चले इस काम के बाद हवामहल फोटोग्राफी के दीवानों और पर्यटकों को खूब लुभा रहा है।