जयपुर Hindi

जवाहर कला केंद्र (Jawahar Kala Kendra)

Jawaher Kala Kendraजयपुर को ‘सिटी ऑफ आर्ट्स' भी कहा जाता है। वास्तव में जयपुर समृद्ध कलाओं का शहर है। एक कहावत है-यथा राजा तथा प्रजा। जयपुर के राजाओं को कला की कद्र भी थी और परख भी। यही कारण है जयपुर एक ऐतिहासिक कलात्मक नगरी है। यह कला पत्थरों, मीनारों और दीवारों तक ही सीमित नहीं है। जयपुर की हवा में घुल गई है। और सांसों के साथ जयपुरवासियों के दिल में उतर गई है। कला की कद्र की राजसी परंपरा आज भी कायम है। और विभिन्न कलाओं को पनाह देकर सिर आखों पर बिठाने का मुकाम है-जवाहर कला केंद्र।

जयपुर के व्यस्ततम मार्गों में से एक जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर राजस्थान विश्वविद्यालय से दक्षिण की ओर गांधी सर्किल से आगे दाहिने हाथ की ओर जवाहर कला केंद्र का भव्य परिसर है। कलाओं को सिंचित करने वाली यह इमारत स्वयं कला का बेहद उम्दा नमूना है। वर्तमान में इस केंद्र का चप्पा-चप्पा कलाकारों की मौजूदगी से आबाद रहता है। कभी यहां के कॉफी हाउस में आईये, आपको कॉफी में भी कला की महक और स्वाद महसूस होगा।

जवाहर कला केंद्र में एक साथ कई कलात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थानी कला और शिल्प के संरक्षण के उद्देश्य से निर्मित कराया गया था। जवाहर कला केंद्र में आठ ब्लॉक में ऑफिस, आवास, विविध संग्रहालय, थिएटर, सभागार, पुस्तकालय, आर्ट गैलरियां, कला स्टूडियो, ओपन थिएटर, कैफेटेरिया, गार्डन, शिल्पग्राम आदि बनाए गए हैं। यहां दो स्थायी दीर्घाएं हैं और तीन अन्य दीर्घाओं में समय-समय पर कला प्रदर्शनियां लगती हैं। जवाहर कला केंद्र स्वयं कई कार्यक्रमों का आयोजन करता है और साप्ताहिक कार्यक्रम शुक्रवार, शनिवार और रविवार को आयोजित किए जाते हैं जिनमें कलाप्रेमी बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं। केंद्र की ओर से प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर के क्राफ्ट मेले, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं कला प्रोत्साहन कार्यक्रम भी किए जाते हैं।

जवाहर कला केंद्र की इमारत वर्ष 1991 में बनकर तैयार हुई। इसका डिजाईन प्रख्यात वास्तुकार चाल्र्स कोरिया ने वर्ष 1986 में बनाया था। जयपुर की नागर शैली और भवन निर्माण योजना को ध्यान में रखकर ही चाल्र्स ने इमारत के निर्माण, शैली और भित्तिचित्रों में स्थानीय परंपराओं का निर्वहन किया।

जयपुर को वास्तु के आधार पर नौ खण्डों में बसाया गया था। ये नौ खण्ड नौ ग्रहों के प्रतीक थे। जवाहर कला केंद्र में भी इसी नवखण्डीय वास्तु को अपनाते हुए नौ चौकों को मिलाकर परिसर की रचना की गई जिनमें एक वर्ग भाग को खुला छोड़ दिया गया। जवाहर कला केन्द्र चार परिसरों से मिलकर बना है। इसके उत्तरी खुले भाग में शिल्पग्राम है। एक परिसर में थिएटर की इमारत बनाई गई है, थिएटर के दक्षिणमुखी द्वार के सामने पुस्तकालय और वाचनालय भवन है तथा थिएटर एवं पुस्तकालय के बीच जवाहर कला केंद्र के मुख्य परिसर का द्वार है।

थिएटर में रंगायन और कृष्णायन सभागार हैं। भीतरी परिसर में मुक्ताकाशीय मंच स्थित है।

कला की इस भव्य पनाहगाह का आगाज 8 अप्रैल 1993 को हुआ। जवाहर कला केन्द्र में निरंतर शास्त्रीय और लोक परम्पराओं से संबंधित कार्यक्रम होते रहे हैं। किशोर से व्यस्क हो चुका जवाहर कला केंद्र अब इतना सक्षम हो चुका है कि प्रतिवर्ष राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लोक कार्यक्रमों का आयोजन कर सके और उन्हें सफलतापूर्वक संचालित कर सके। यहां अब हर मौसम में राष्ट्रीय स्तर के विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें बड़ी संख्या में कलाप्रेमी मौजूद होते हैं। आम तौर पर यहां नाटक, सेमिनार, संगोष्ठियां, पेंटिंग प्रदर्शनी व गायन-वादन के कार्यक्रम होते रहते हैं। इनके इतर विभिन्न अवसरों पर विशेष सामूहिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इनमें शिल्पग्राम में विभिन्न क्राफ्ट मेलों, पुस्तक मेलों, राजस्थानी लोकरंगों व हस्तशिल्प कार्यक्रमों का आयोजन बड़े स्तर पर किया जाता है। वहीं रंगायन एवं कृष्णायन सभागारों में समय समय पर महत्वपूर्ण सेमिनार, चर्चाएं, फिल्म एवं नाटकों का प्रदर्शन किया जाता है। रंगायन सभागार में हर शुक्रवार फ्राईडे थिएटर का आयोजन किया जाता है। जवाहर कला वर्तमान में न केवल जयपुर और राजस्थान बल्कि भारत और विश्व की संस्कृतियों के मेल-जोल का स्थल बन गया है। कलाप्रेमी जेकेके के इस रूप को पसंद भी कर रहे हैं।

जवाहर कला केंद्र की डिजाईन भारतीय ज्योतिष की अवधारणा पर की गई है। विभिन्न ब्लॉक्स में विभाजित जवाहर कला केंद्र का हर भाग एक ग्रह की विशेषता को दर्शाता है। यह ज्योतिषीय गणना यहां दीवारों पर की गई पेंटिंग्स में भी नजर आती है।

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जवाहर कला केंद्र का पुस्तकालय गुरू अर्थात ब्रहस्पति का मूल केंद्र है, ब्रहस्पति ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है। चंद्र के स्थान में स्थित कॉफी हाउस की दीवारों पर विस्तृत चित्रों के माध्यम से खगोल विज्ञान के पहलुओं को चित्रित किया गया है। जवाहर कला केंद्र में केंद्रीय गुम्बद पर किया गया भित्तिचित्र कार्य आगन्तुकों और पर्यटकों को विशेष रूप से प्रभावित करता है।

जवाहर कला केंद्र परिसर में ही एक बड़े मैदान में राजस्थान के विभिन्न अंचलों की पहचान को समेटने के उद्देश्य से यहां शिल्पग्राम विकसित किया गया है। शिल्पग्राम में राजस्थान के विभिन्न अंचलों में बने घरों के खूबसूरत मॉडल यहां बनाए गए हैं जिन्हें देखकर एक ढाणी होने का आभास होता है। शिल्पग्राम में मारवाड़ी, मेवाड़ी, हाडौती, शेखावाटी, ब्रज, आदिवासी और रेगिस्तानी संस्कृतियों के प्रतीक घरों को देखना अपने आप में संपूर्ण राजस्थान को एक साथ देखने जैसा है। शिल्पग्राम में समय समय पर विभिन्ना शिल्प मेलों, पुस्तक पर्व, लोकरंग व अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यहीं इन झोंपडियों के बीच एक रेस्टोरेंट भी है जो बिल्कुल राजस्थानी अंदाज में भोजन करने का उपयुक्त स्थल है।

जयपुर में रहकर यदि आप जवाहर कला केंद्र से नहीं जुड़े हैं और यहां आकर सांस्कृतिक और लोक रंगों का लुत्फ यदि आपने नहीं उठाया है तो जयपुर की परंपराओं की अमृतधारा आपके इर्द-गिर्द से निकल रही है पर आप उसमें डुबकियां लगाने से वंचित हैं।

भोपाल के भारत भवन से ली प्रेरणा

जयपुर के जवाहर कला केंद्र में कलाओं को विजुअल आर्ट के जरिए बढावा देने के लिए जवाहर कला केंद्र परिसर में भोपाल के भारत भवन की तर्ज पर दीर्घाएं बनाई गई। जवाहर कला केंद्र के ग्राफिक स्टूडियो में लकड़ी, पत्थर और स्किन प्रिंट का काम होता है, फोटोग्राफी व स्कल्पचर स्टूडियो फिलहाल बंद हैं, सुरेख, सुदर्शन, सुकृति, चतुर्दिक, पारिजात 1 व 2  में समय समय पर पेंटिंग और कला प्रदशर्नियां लगती हैं, स्फटिक गैलरी के जवाहर कला केंद्र की अपनी कलाकृतियों का संग्रह किया गया है। परिसर के इन सभी भवनों में यह वीजुअल आर्ट 1993 में ही कार्य प्रक्रिया में आ गई थी।

कला और कलाकार से जुड़ाव

जवाहर कला केंद्र से अब तक अपनी आर्ट के जरिये देश के नामी कलाकार  जुड चुके हैं। इनमें ज्योति भट्ट, अनुपम सूद, जय जरोटिया, मोती जरोटिया, रिन्नी और पीडी धुमाल ग्राफिक आर्टिस्ट थे। अंजनी रेड्डी, जगदीश चंद्र, पीएन चोयल आदि चित्रकार थे। सरबती राय चौधरी, बलवीर सिंह कट, रोबिन डेविड, सीपी चौधरी, ज्ञानसिंह आदि मूर्तिकार थे। जवाहर कला केंद्र में शिल्पग्राम के पास बगीचे में रखे काले पत्थर के स्कल्पचर कोरिया, जापान और दिल्ली के कलाकारों ने बनाए थे। इन्हें यहां राजस्थान ललित कला अकादमी के सहयोग से रखवाया गया था। यह काला पत्थर कोटपूतली के पास भैंसलाना की खदानों से प्राप्त किया गया था।

प्रमुख  प्रदर्शनियां

जवाहर कला केंद्र में कई नामचीन प्रदर्शनियां लग चुकी हैं। इनमें वर्ष 2000 में केंद्रीय ललित कला अकादमी की राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी, 2011 में वेल्स राजस्थान एक्सचेंज एग्जीबीशन, पिंकसिटी आर्ट प्रोजेक्ट और धोरां सूं आदि का प्रदर्शन किया गया था।

पहला स्कलप्चर कैंप

जवाहर कला केंद्र में पहला स्कल्पचर कैंप 1993 में लगा। इस प्रमुख शो में रामगोपाल विजयवर्गीय का रेट्रोस्पेक्टीव, देवकीनंदन शर्मा की सोलो, उषा रानी हूजा की मूर्तिकला का प्रदर्शन किया गया था। यहां दृश्य कला विभाग के पहले निर्देशक धर्म रत्नम रहे थे।

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  • जवाहर कला केंद्र में क्राफ्ट मेला

    जयपुर के जवाहर कला केंद्र में लगे क्राफ्ट मेले के हस्तशिल्प जयपुरवासियों को बहुत लुभा रहे हैं। यहां इतिहास की सुनहरी दास्तान बयान करती बिहार की मधुबनी पेंटिंग हो या टंगाइल, ढाकाइल जामदानी साड़ी में झलकती आर्टिजन की कला। यहां अलग अलग राज्यों की ऐसी ही कला देखने को मिल रही है। यहां डेकोरेशन पीस, ब्लू पॉटरी के बर्तन, फर्नीचर और आर्टिफीशियल ज्वैलरी भी खासी पसंद की जा रही है। यह मेला 17 मार्च तक आयोजित किया जाएगा। मेले में मुरादाबाद की वुड पर कारविंग करके बनाई गई ब्रास पेंटिंग खासी पसंद आ रही है। इसमें प्रकृति व इतिहास को चित्रित किया गया है। कश्मीर की पश्मीना शॉल के साथ पश्मीना सिल्क साड़ी भी जयपुर की महिलाओं को आकर्षित कर रही है। पावर लूम नाम से बनने वाली इस साड़ी की कीमत भी हजार से पंद्रह सौ रुपए के बीच है। क्राफ्ट मेले में आए कोलकाता के आर्टिजंस ने कोलकाता के पारंपरिक गरत सिल्क साड़ी के साथ टंगाइल, ढाकाई, जामदानी, ढाकाई मसलीन, रसाई सिल्क साड़ी और काथा वर्क की कुर्तियों को डिस्प्ले किया है। कोलकाता के शांति निकेतन से ब्लॉक व बाटिक प्रिंट के लदर के हैंडमेड बैग, की चेन, ज्वैलरी बॉक्स, पर्स, मिरर कवर प्रोडेक्ट भी प्रदर्शित किए गए हैं। इसके अलावा बनारस के आर्टिजंस, बनारसी वर्क की साड़ी, कुशन कवर, दीवान कवर, पर्स व बनारसी सिल्क बैग लेकर आए हैं।

  • आगंतुकों के मनोरंजन का भी पूरा इंतजाम
    क्राफ्ट मेले में आने वाले खरीदारों और दर्शकों के स्वाद के लिए जहां फूड कोर्ट लगाया गया है वही उनके मनोरंजन का भी पूरा बंदोबस्त किया गया है। मेले के दौरान कलाकारों का एक दल शिल्पग्राम परिसर में घूम-घूमकर कच्ची घोड़ी नृत्य प्रस्तुत कर भरपूर मनोरंजन कर रहा है। पहले दिन शाम ढलते ही स्टेज पर लोक कलाकारों द्वारा कालबेलिया, चरी नृत्य, ग्रामीण भवाई, खडताल और मयूर नृत्य की भी आकर्षक प्रस्तुतियों ने यहां आने वालों को देर तक रुकने को मजबूर किया। यही नहीं, यहां आने वाले लोग शिल्पग्राम परिसर में बीचोंबीच लगाई गई खाटों पर परिवार और दोस्तों के साथ बैठकर चर्चा करते भी नजर आए।

  • चतुर्दिक आर्ट गैलेरी में भरतपुर
    जवाहर कला केंद्र (Jawahar kala kandra) की चतुर्दिक आर्ट गैलरी में रविवार 24 मार्च से सर्जन संरक्षण संस्था की निर्देशिका उर्वशी श्रीवास्तव ने भरतपुर के फोटोग्राफ्स की प्रदर्शनी आयोजित की। ये सभी फोटोग्राफ भरतपुर के हैं। अपने सृजन में उन्होंने भरतपुर के बाग-बगीचे, महल, ऐतिहासिक दरवाजे, केवलादेव नेशनल पार्क, लक्ष्मण मंदिर, जामा मस्जिद सभी की खूबसूरत तस्वीरें यहां प्रदर्शित की गई हैं। उर्वशी ने ये तस्वीरें वर्ष 2008 के दौरान खींचे थे। यहां भरतपुर की चुनिंदा तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई गई है। राजस्थान पर्यटन विभाग के सहयोग से आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्देश्य राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देना है। प्रदर्शनी का अवलोकन करने वाले दर्शकों को लोहागढ, चौबुर्जा दरवाजा, महल खास, किशोरी महल, कमरा खास, दरवाजे दीवारें, लक्ष्मण मंदिर, जामा मस्जिद, अनाह दरवाजा, कुड व नवग्रह मंदिर आदि देखना बहुत भा रहा है। प्रदर्शनी 30 मार्च तक चलेगी।

  • पेंटिंग प्रदर्शनी
    जवाहर कला केंद्र (Jawahar Kala Kendra) में 28 मार्च गुरूवार से ’ट्रू कलर्स’ पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में 20 आधुनिक पेंटिंग्स सजी। ये सभी पेंटिंग्स सीरिया की आर्टिस्ट आलिया ने बनाई हैं। अपनी कला के बारे में जानकारी देते हुए आलिया ने बताया-
    ’अलग अलग रंगों के साथ पेंटिंग में प्रयोग करना अच्छा लगता है। इससे पहले सीरिया में पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगा चुकी हूं। जयपुर में यह मेरा पहला अनुभव है।’
    आलिया को खास तौर से काले रंग से प्रेम है क्योंकि काला रंग उन्हें डॉमिनेटिंग लगता है और यह हर रंग को अपने अंदर समाहित करने की क्षमता रखता है।
    यह पेंटिंग प्रदर्शनी यहां 30 मार्च तक रहेगी।

  • जवाहर कला केंद्र (Jawahar Kala Kendra) में फूड कोर्ट व क्राफ्ट बाजार
    राजस्थान दिवस समारोह के तहत जयपुरवासियों को एक ही स्थान पर लजीज व्यंजनों का स्वाद और राजस्थान के स्पेशल क्राफ्ट को खरीदने का मौका मिल रहा है। पर्यटन विभाग और रूडा की ओर से आयोजित फूड कोर्ट और क्राफ्ट बाजार में हर शाम जयपुरवासी बड़ी संख्या में विजिट करने यहां आ रहे हैं। फूड कोर्ट हो या क्राफ्ट बाजार, राजस्थान के मंझे दस्तकारों ने यहां अपने हुनर का जलवा बिखेरा है। वे अपने स्वाद और कला से लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। यहां 45 स्टॉल्स लगाई गई हैं जिनपर हर वर्ग के लिए स्पेशल आइटम सजाए गए हैं। महिलाओं के लिए साड़ियां, होम डेकोरशन व श्रंगार के उत्पादों की डिस्प्ले किया गया है। खास बात ये है कि यहां इन्हें बनाने के आधुनिक और पारंपरिक तरीकों की भी जानकारी दस्तकार दे रहे हैं, जिनमें विजिटर्स रूचि दिखा रहे हैं। विजिटर्स को मार्बल के आकर्षक पॉट, ब्लू पॉटरी, बैंगल बॉक्स, लकड़ी के फूलदान, खिलौने, बर्तन व धार्मिक प्रतीक बहुत अच्छे लग रहे हैं।

  • 10 अप्रैल को दो लघु नाटक

    जवाहर कला केंद्र में उज्बेकिस्तान के प्रसिद्ध कहानीकार इब्राहिम रहीम और जयपुर के डॉ हरिराम आचार्य की कहानियों पर आधारित लघु नाट्य संध्या ’सोच’ का आयोजन किया जाएगा। 10 अप्रैल को शाम 7 बजे से होने वाले इस आयोजन में इब्राहिम की कहानी का नाट्य रूपांतर ’शर्त’ और आचार्य लिखित नाटक ’ये पत्ते तूफान के’ का मंचन किया जाएगा। इन नाटकों का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी राजीव आचार्य करेंगे।
    पुरुष प्रधान समाज में नारी को कमतर आंकने की सोच पर व्यंग्य करता नाटक ’शर्त’ उज्बेकिस्तान के परिवेश की बानगी पेश करते हुए इस मानसिकता के वैश्विक स्वरूप की ओर संकेत करता है।
    ’ये पत्ते तूफान के’ युवा पीढी के भटकाव की दास्तान है। छोटे गांव से शहर में पढने आए चार युवा अपने अपने उद्देश्यों से भटक कर अलग अलग विचारधाराओं के छद्म जाल में फंस जाते हैं। उनके भटकाव को प्रदर्शित करता यह नाटक युवाओं की विषम सोच पर व्यंग्य करता है।
    इन लघु नाटकों में जयपुर के युवा कलाकार गौरव, चिरमी, अरुण, आसिफ, प्रांशु, यूथिका, विदित, शिवम, पुनीत, प्रसून आदि विभिन्न भूमिकाओं का निर्वहन करेंगे।

  • जवाहर कला केंद्र की स्थापना 8 अप्रैल को हुई थी। कला और संस्कृति के इस प्रमुख केंद्र का 20 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाने की तैयारियां चल रही हैं। बीस साल के दौरान जवाहर कला केंद्र ने अपनी गतिविधियों से कला और युवा पीढी को खूब प्रमोट किया है।
    इतिहास-
    6 अक्टूबर 1986 को राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरदेव जोशी ने कला एवं संस्कृति मंत्री कमला की अध्यक्षता में जवाहर कला केंद्र की नीवं रखी थी। पद्म भूषण चार्ल्स कोरिया ने अपनी परिकल्पना और वास्तु ज्ञान से इसे आकार दिया था। 9.5 एकड में फैले इस भूखंड पर 30 गुणा 30 मीटर के नौ खण्ड बनाए गए थे। हर खंड एक एक ग्रह को समर्पित है। हर खंड में स्थित ग्रह की विशेषताएं एवं उसके गुणावगुण उस खंड में दर्शाए गए हैं। जवाहर कला केंद्र की इमारत तैयार करने के लिए लाल रंग के पत्थर करौली से लाए गए थे। उद्घाटन से पूर्व यहां के स्फटिक सभागार में 1991 में विदेशी कलाकृतियों से सज्जित प्रदर्शनी ’ कलर्स ऑफ द अर्थ’ जेकेके और ब्रिटिश काउंसिल की ओर से लगाई गई थी। इसके बाद 8 अप्रैल 1993 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा ने राजस्थान के राज्यपाल डॉ एम चन्नारेड्डी के साथ उद्घाटन किया था।

    साप्ताहिक थिएटर : उपलब्धि

    जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में साप्ताहिक थिएटर जवाहर कला केंद्र की उपलब्धि कही जा सकती है। थिएटर के कलाकारों को यहां का माहौल बहुत रास आता है। जो सुकून कलाकारों को यहां थिएटर करने में मिलता है वैसा अन्यत्र नहीं मिलता। यहां रंगमंच से जुड़ी सारी सुविधाएं सहजता से उपलब्ध हो जाती हैं। इस मामले में जवाहर कला केंद्र का विकास सार्थक दिशा में हो रहा है। यहां एक कलाकार एक जुड़ाव महसूस करता है। यहां का रिहर्सल हॉल, ग्रीनरी, कैफेटेरिया और रंगमंचीय सुविधाओं के कारण कलाकार बार बार यहां नाटक करने के लिए प्रेरित होते हैं।

    विभाग और संबंधित ग्रह

    प्रशासनिक विभाग – मंगल (शक्ति)
    कैफेटेरिया – चंद्र (आनंद और विलास)
    प्रदर्शनी स्थल – बुध (संपदा का वाहक)
    म्यूजियम – केतु (नकारात्मक ग्रह)
    स्कल्पचर ग्राफिक स्टूडियो – शनि (पूर्णता में समय)
    प्रदर्शनी स्थल – राहु (छाया)
    पुस्तकालय – गुरू (ज्ञान का देवता)
    रंगायन व कृष्णायन – शुक्र (कला का देवता)
    मुक्ताकाशीय मंच – सूर्य (सौर मंडल का केंद्र)

  • जयपुर के जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में 29 मार्च को राजस्थान दिवस की पूर्व संध्या पर नाटक ’दफा 292’ का मंचन किया गया। रंगायन के मंच पर शाम 7 बजे आरंभ हुए इस नाटक की प्रसतुति दिल्ली की नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के कलाकारों ने की। यह नाटक ख्यातनाम पाकिस्तानी साहित्यकार सआदत हसन मंटो के पत्रों व डायरियों पर आधारित था जिसमें मंटो द्वारा जीवन को नए तरीके से देखने का नजरिया प्रस्तुत करने का सुन्दर प्रयास किया गया। इस नाटक में लघु कहानियों के माध्यम से निर्देशक ने मंटो की समाज के प्रति सोच और समाज का मंटो के प्रति नजरिया दर्शाया गया। इसमें शामिल लघु नाटिकाएं – स्याह हाशिये, अक्ल दाढ़, तीन खामोश औरतें और पशे मंजर पेश की गई। नाटक में अजित सिंह पालावत, राखी कुमारी, दीप कुमार, अनामिका, साजिदा, इप्शिता चक्रर्बोती, सविता बी, अमरिश सैक्सेना आदि कलाकारों ने अभिनय किया। नाटक में कार्डिनेशन अब्दुल कादिर शाह ने किया सेट इन्चार्ज – एम्मानूअल सिंह, लाईट डिजाईन – सौउती चक्रर्बोती, कास्टयूम डिजाइन – इप्शिता चक्रबोर्ती, साउड ऑपरेशन की व्यवस्था मुकेश कुमार ने देखी।

  • जवाहर कला केंद्र स्थापना दिवस कार्यक्रम

    तारीख, कार्यक्रम एवं स्थान

    8-12 अप्रैल- कला निधि -केंद्र के संग्रह की प्रदर्शनी, सुरेख, सुकृति, सुदर्शन कला दीर्घा, अलंकार संग्रहालय मेंप्रात: 11 से शाम 7 बजे

    9 अप्रैल- पंडवाणी गायन, कलाकार- तीजन बाई- मुक्ताकाशी मंच पर शाम 7 बजे से

    10 अप्रैल -नाटक- मंटो मंत्र, निर्देशक- सलीम आरिफ, एसै कम्युनिकेशन मुंबई की प्रस्तुति- रंगायन में शाम 7 बजे से

    11 अप्रैल- माटी री बानी, नगाड़ा वादन- कैलाश सोलंकी, राजस्थानी लोकगायन-सरस्वती धांधड़ा, भवई, चरी, घूमर नृत्य-रूपसिंह व दल- मुक्ताकाशी मंच पर शाम 7 बजे से

    12 अप्रैल- नाटक – सूर्यास्त, लेखक- जेपी दास, निर्देशक- तारिक दाद, द राइजिंग सोसायटी ऑफ आर्ट एंड कल्चर, भोपाल की प्रस्तुति- रंगायन में शाम 7 बजे से

  • गैलरियों में सजी वरिष्ठ कलाकारों की पेंटिंग्स
    जवाहर कला केंद्र के स्थापना दिवस के अवसर पर 8 अप्रैल से यहां पांच दिवसीय कार्यक्रम आरंभ हुए। केंद्र के 20 वें स्थापना दिवस के मौके पर यहां की गैलरियों में वरिष्ठ कलाकारों की पेंटिंग्स सजाई गई। यहां की सुदर्शन, सुरेख और सुकृति कला दीर्घाओं में केंद्र की स्थापना से लेकर वर्तमान तक आयोजित किए गए शिविरों और खरीदे गए चित्रों की प्रदर्शनी लगी। सुरेख में वर्तमान के वरिष्ठ कलाकारों के साथ उन कलाकारों के चित्र भी सजे जो आज हमारे बीच नहीं रहे। इनमें रामगोपाल विजयवर्गीय, कृपालसिंह शेखावत की पेंटिंग्स से दर्शकों को खास तौर पर मुग्ध किया। वर्ष 1992-93 के शिविर के दौरान महेंद्र सिंह सुमहेंद्र की कलाकृतियां भी यहां नजर आई। इसके अलावा गोवर्धल लाल जोशी, देवकीनंदन शर्मा, द्वारका, पीएन चोयल, सुरेश शर्मा, विद्यासागर उपाध्याय, प्रेमचंद गोस्वामी, मोहन शर्मा, शब्बीर हसन काजी, समंदर सिंह खंगारोत, सुरेश राजौरिया, राजीव गर्ग, किशोर सिंह जैसे चित्रकारों की कृतियां सजाई गई हैं। सुदर्शन आर्ट गैलरी में राष्ट्रीय छापा चित्रकारों की कलाएं दिखाई दे रही हैं। इनमें अनुपम सूद, मोती जारोठिया, ज्योति भट्ट, श्याम शर्मा, आनंद शर्मा की कृतियां प्रमुख हैं। यहां जवाहर कला केंद्र से जुड़ी यादों के फोटो की प्रदर्शनी भी लगाई गई है। सुकृति कला दीर्घा में गोपाल स्वामी खेतांची, सुरेश मीना, प्रदीप वर्मा, श्वेत गोयल, गौरीशंकर सोनी, सुमित सैन, सुरेंद्र सिंह, लालचंद मारोठिया, शाहिद परवेज, विरंजन जैसे कलाकारों की खूबसूरत पेंटिंग सजाई गई हैं। इनमें वर्ष 2012 में जैसलमेर शिविर के दौरान महेन्द्र शर्मा सुमहेंद्र द्वारा बनाई अंतिम पेंटिंग भी शामिल है।

  • साबरी बंधुओं का कव्वाली गायन
    जवाहर कला केंद्र के मुक्ताकाशी मंच पर सोमवार 8 अप्रैल को सूफी कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम जवाहर कला केंद्र के स्थापना दिवस के अवसर पर यहां किए जा रहे कार्यक्रमों की श्रंख्ला में शामिल था। पांच दिवसीय इस समारोह के पहले दिन उस्ताद सईद, फरीद और अमीन साबरी का कव्वाली गायन हुआ। इस मौके पर साबरी बंधुओं ने ईश्वरीय सत्ता के प्रति प्रेम को दर्शाने वाली कव्वालियां, शेर और अशआर पेश किए। दर्जनभर फिल्मों में अपने संगीत का लोहा मनवा चुके साबरी बंधुओं ने यहां ’ मेरी तकदीर के कातिब, मेरी पहचान लिख देना’, ’छाप तिलक सब छीनी रे, मो से नैना मिलाय के’, ’इश्क करता हूं मगर रसूक समझा ही नहीं’ एवं ’दमादम मस्त कलंदर’ जैसी मशहूर नजमों का गायन कर खूब दाद पाई।

    ’डिवाईन कलर्स ऑफ श्रीनाथजी’ जारी
    जवाहर कला केंद्र के स्थापना दिवस समारोह में केंद्र की महानिदेशक आशा सिंह और जयपुर के राजपरिवार की पदि्मनी देवी ने केंद्र की ओर से प्रकाशित पोर्टफोलियो डिवाइन कलर्स इन वनरेशन ऑफ श्रीनाथजी का विमोचन कर बिक्री के लिए जारी किय। केंद्र की ओर से प्रकाशित किए गए पोर्टफोलियो की श्रंख्ला में यह आठवां अंक था। इसमें वल्लभ संप्रदाय के आराध्य श्रीनाथजी से सम्बद्ध आलेख व उनकी विविध झांकियों को 10 प्लेटों के माध्यम से दर्शाया गया है।

    पंडवाणी गायन –
    समारोह के दूसरे दिन 9 अप्रैल को केंद्र के मुक्ताकाशी मंच पर शाम 7 बजे पद्मभूषण सम्मान प्राप्त गायिका तीजन बाई पंडवाणी गायन की प्रस्तुति देंगी।

  • मंटोमंत्रा का मंचन आज
    जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में बुधवार 10 अप्रैल को धर्म सज्जन ट्रस्ट की एवं केंन्द्र की ओर से शाम 7 बजे नाटक मंटोमंत्र का मंचन किया जाएगा। ऐसे कम्यूनिकेशन मुंबई की ओर से आयोजित इस कार्यकम के निर्देशक रंगमंच के जाने माने कलाकार सलीम आरिफ हैं। यह नाटक सदाअत हसन मंटो की पांच मशहूर लघु कथाओं पर आधारित है। इसमें पर्यटन विभाग ने भी सहयोग प्रदान किया है। यह आयोजन जवाहर कला केंद्र स्थापना दिवस के अवसर पर किया जाएगा। नाटक में प्रवेश निशुल्क है।

  • तीजन बाई का पंडवाणी गायन

    जवाहर कला केंद्र के पांच दिवसीय स्थापना दिवस समारोह के दूसरे दिन मंगलवार को पद्मभूषण सम्मानित तीजन बाई के पंडवाणी गायन ने समां बांध दिया। लगभग डेढ़ घंटे की इस प्रस्तुति में तीजन ने तंबूरे के साथ अपनी आंगिक भाषा से करुण, रौद्र और वीर रसों की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तीजन बाई ने अपनी प्रस्तुति में द्रौपदी की करुण पुकार, कृष्ण द्वारा चीर बढ़ाकर लज्जा बचाना, द्रौपदी द्वारा अपने केश खोलकर दुशासन के रक्त से धोने पर ही पुन: केश बांधने का प्रण, भीम द्वारा दुशासन की भुजा उखाड़ कर उसके रक्त से केश धोने का प्रण, महाभारत युद्ध के सत्रहवें दिन भी द्वारा दुशासनक को युद्ध के लिए ललकारना, दुशासन को परास्त करना व द्रौपदी का उसके लहू से अपने केश धोने आदि प्रसंगों को जिस भावुक अंदाज में शब्दों में पिरोया उसे सुनकर दर्शकों की आंखें नम हो गई।

  • ‌‌‌मंटो के मंत्र ने किया मुग्ध

    जवाहर कला केंद्र की स्थापना दिवस के अवसर पर यहां आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों की श्रंखला में बुधवार 10 अप्रैल को नाटक मंटोमंत्र का मंचन किया गया। धर्म सज्जन ट्रस्ट के सहयोग से हुए इस नाटक में अफसानानिगार सआदत हसन मंटो की चार कहानियों ’हतक’, ’काली सलवार’, ’नंगी आवाजें’ और ’मोहम्मद भाई’ को एक साथ पेश किया गया। नाटक का निर्देशन मुंबई के वरिष्ठ रंगकर्मी सलीम आतिफ ने किया। ऐसे कम्यूनिकेशन मुंबई की इस प्रस्तुति का निर्माण लुबाना सलीम ने किया। नाटक में समाज में व्याप्त विद्रूपताओं और लोगों के दोहरे चरित्र को बखूबी जीवंत किया गया। नाटक में कलाकारों का अभिनय और संवाद प्रस्तुति शानदार थी। मंच पर यासीर, अरशद खान, प्रियंका सेतिया, अंकित वार्ष्णेय, संवेदना सुवालका, शाह फैजल, गौरव जयंत घाटनेकर, आकाश धर, शाहिद वैद, सिद्धार्थ चौधरी और चंद्रप्रकाश सोनी ने अभिनय किया। स्टेज व्यवस्था शाह फैजल, प्रकाश परिकल्पना अल्तमश खान और ध्वनि प्रवाह सारंग परवाल ने किया।

  • युवा फोटोग्राफर्स के लिए वर्कशॉप

    जवाहर कला केंद्र में रॉबर्ट डेविस एजुकेशनल सोसायटी और मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी की ओर से फोटोग्राफी वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप में मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी वेल्स यूके की फेमस फोटोग्राफर एंड्रीया लिगिन्स और सारा टिरीनी ने युवा फोटोग्राफर्स को फोटोग्राफी की बारिकियां बताई। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी में कैमरा छोटा या बड़ा नहीं होता। बल्कि फोटोग्राफर का सेंस और फोटो लेने का तरीका बड़ा होता है। उसी पर फोटो की सफलता और विफलता निर्भर करती है।

  • जयपुर इंटरनेशनल फोटोग्राफी एग्जीबीशन-2013

    जवाहर कला केंद्र की चतुर्दिक आर्ट गैलरी में चल रही ’जयपुर इंटरनेशनल फोटोग्राफी एग्जीबीशन-2013’ में सोमवार को सैंकडो फोटो प्रेमियों ने विजिट किया। प्रदर्शनी मिें रोजमर्रा की लाइफ से जुडी 200 से ज्यादा फोटो को डिसप्ले किया गया। एग्जीबीशन की खास बात यह रही कि इन 200 फोटो में से 150 फोटो जयपुर के ही कॉलेज विद्यार्थियों द्वारा खींचे गए हैं। जिनमें जयपुर के लोकशन और पर्यटन स्थल दिखाए गए हैं।

  • पुरस्कृत हुए फोटोग्राफर

    जयपुर के जवाहर कला केंद्र की चतुर्दिक आर्ट गैलरी में चार दिन अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफी एग्जीबीशन के बाद बुधवार को इसमें अव्वल रहने वाले स्टूडेंट फोटोग्राफर्स को पुरस्कृत किया गया। यह एग्जीबीशन इंग्लैंड की स्वानसा एंड मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी और जयपुर के स्टूडियो बिग बॉस की ओर से आयोजित की गई थी। प्रदर्शनी में जयपुर के दर्जनों विद्यार्थियों और शौकिया फोटोग्राफर्स ने इंग्लैंड की जानी मानी फोटोग्राफर एंड्रा लिगिन्स और सराह टियरने की फोटोग्राफी कला के साथ अपने हुनर का भी प्रदर्शन किया। प्रदर्शनी में अव्वल रहने वाले छात्रों व फोटोग्राफर्स को पुरस्कृत भी किया गया। इसमें यश गुप्ता को प्रथम, तबीना अंजुम को द्वितीय, कैद बाला को तृतीय पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा युगल किशोर, योगांशु गिरधर, चंदन एस राठौड, अभिषेक वर्मा, भुवन विक्रम गौड को सांत्वना पुरस्कार से नवाजा गया। इस प्रदर्शनी में चयनित कुछ फोटो को केंद्र की ओर से अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भी शामिल किया जा सकता है।

  • गुरूवारीय संध्या में हवेली संगीत

    जवाहर कला केंद्र में गुरूवारीय संध्या में किशनगढ हवेली संगीत भक्ति शैली के सुर गुंजायमान हुए। यहां के रंगायन सभागार में कलाकार चंद्रप्रकाश ने अपने गायन से श्रोताओं को कृष्ण भक्ति के रंग में रंग दिया। चंद्रप्रकाश ने राग धनाश्री में परमानंद रचित ’सुबल श्री दामा कहत सखन से’ गाकर शुरूआत की। इसके बाद ’आओ गोकुल के चंदा’ और ’बैठे लाल फूलन के चौबारे’ पेश कर दर्शकों को मंत्रमुध्य कर दिया।

  • ग्रुप आर्ट एग्जीबीशन

    जवाहर कला केंद्र की सुरेख आर्ट गैलरी में शुक्रवार से ग्रुप आर्ट एग्जीबीशन शुरू हो रही है। चतुष्कोण आर्ट ग्रुप की ओर से हो रही इस एग्जीबीशन में आर्टिस्ट तीर्थंकर बिस्वास, अशिम रंजन चक्रबर्ती, शुवांकर बिस्वास और डॉ बिजॉय कुमार दत्ता की कलाकृतियों का डिस्प्ले किया जाएगा। यह प्रदर्शनी 23 अप्रैल तक चलेगी।

  • श्रुति मंडल का संगीत समारोह

    जवाहर कला केंद्र में 24 अप्रैल से श्रुति मंडल, कला साहित्य व संस्कृति विभाग व जवाहर कला केंद्र की ओर से दो दिवसीय संगीत समारोह होगा। रंगायन में होने वाले इस समारोह में डॉ हनुमान सहाय बनस्थली वाले का गायन होगा। तबले पर परमेश्वर कथक संगत करेंगे। दूसरे दिन इंडियन रॉयल्स का फ्यूजन होगा।

  • चतुर्दिक में ’मृणमयी’ 22 से

    जवाहर कला केंद्र की चतुर्दिक आर्ट गैलरी में 22 अप्रैल से 1 मई तक मृणमयी एग्जीबीशन आयोजित होगी। प्रदर्शनी का उद्घाटन पूर्व मुख्य सचिव सलाउद्दीन अहमद शाम 3.30 बजे करेंगे। विशिष्ट अतिथि मुकुंद लाठ होंगे। इसके साथ सुकृति आर्ट गैलरी में शनिवार से युवा कलाकार नंदिनी नौटियाल की बनाई पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसका उद्घाटन शनिवार शाम साढे 5 बजे किया जाएगा। प्रदर्शनी 22 अप्रैल तक चलेगी। इस प्रदर्शनी का टाइटल ’ग्लिंपसेज थ्रो विंडो’ है। कार्यकम के मुख्य अतिथि राजस्थान ललित कला अकादमी के चेयरमैन प्रो भवानी शंकर शर्मा व विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार अशोक राही होंगे।

  • ताज की कहानी, रंगों की जुबानी

    दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल के पीछे की कहानी की कल्पना शहर के मिनिएचर आर्टिस्ट नवीन शर्मा ने अपनी कलाकृति ’रिव्यू ऑफ ताज चेस’ में दर्शाई है। इस पेंटिंग को जवाहर कला केंद्र की सुरेख कला दीर्घा में गुरूवार को शुरू हुई पेंटिंग एग्जीबीशन ’ताजमहल’ में डिस्प्ले किया गया है। एग्जीबीशन में 22 पेंटिंग्स डिस्प्ले की गई हैं। जो मुगल साम्राज्य को दर्शाती हैं। प्रदर्शनी में आर्टिस्ट की नेशनल विनिंग पेंटिंग ’हिस्ट्री एंड इनोग्रेशन ऑफ ताजमहल’ को भी प्रदर्शित किया गया है। इसके अलावा पेंटिंग ’ड्रीम ऑफ शाहजहां’ में ब्लैक ताजमहल दर्शाया गया है। अन्य पेंटिंग्स में मुगल दरबार को भी दिखाया गया है।

  • जेकेके में श्रुतिमंडल का कार्यक्रम

    वायलिन, गिटार तबले के साथ जैसे ही इंडियन क्लासिकल राजस्थानी फोक और वेस्टर्न म्यूजिक का जादू चला, वहां बैठा हर शख्स फ्यूजन की इस मस्ती में खो गया। श्रुति मंडल और कला सहित्य व संस्कृति विभाग की ओर से जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में आयोजित दो दिवसीय संगीत सम्मेलन का समापन गुरूवार को इसी अंदाज में हुआ। इस मौके पर इंडियन रॉयल्स बैंड की ओर से सिंगिंग और इंस्ट्रूमेंटल की परफारमेंस हुई। सिंगर सुमंत मुखर्जी और फोक सिंगर कुटला खां ने मनभावन गीत पेश किए।

  • ’वाह क्या फैमिली है’ का मंचन

    जवाहर कला केंद्र के रंगायन थिएटर में फ्राइडे थिएटर की सिरीज में इस शुक्रवार शाम 7 बजे नाटक ’वाह क्या फैमिली है’ का मंचन किया जाएगा। ज्योति कला संस्थान जयपुर के रंगकर्मी इस नाटक का मंचन करेंगे। सुंदर अगनानी लिखित इस नाटक का निर्देशन वरिष्ठ नाट्यकर्मी सुरेश संधु करेंगे।

  • जवाहर कला केंद्र में भरतनाट्यम

    जवाहर कला केंद्र के मंच पर सोमवार की शाम भोपाल की नृत्यांगना डॉ लतासिंह मुंशी ने भरतनाट्यम पेश किया। लता ने इस मौके पर सुर, लय, ताल के बेहतरीन संयोजन के साथ प्रेम के विविध रूपों को दर्शाया। कार्यक्रम में भगवान कृष्ण की मन मोह लेने वाली लीलाएं साकार की गई। वर्ल्ड डांस डे के अवसर पर सोमवार को दर्शकों ने भी प्रस्तुति को बहुत सराहा। कार्यक्रम का प्रारंभ वात्सल्य रस से सरोबोर रचाना ’यशोदा हरि पालने झुलावै’ से किया गया। लता ने राम और कृष्ण की चार प्रमुख लीलाओं को जीवंत किया। इनमें कालिया मर्दन, रूक्मणी हरण, सीता स्वयंवर और द्रौपदी चीर हरण कथाएं अपनी जीवंतता के कारण सभी को पसंद आई। उन्होंने कई खेलों को भी मुद्राओं से प्रकट किया। गिल्ली डंडा, कंचे और पिट्ठू जैसे खेलों की नृत्यात्मक अभिव्यक्ति को दर्शकों ने बहुत सराहा।

  • सुरेख में ग्रुप एग्जीबीशन

    जवाहर कला केंद्र की सुरेख आर्ट गैलरी में अलग अलग राज्यों की ग्रुप एग्जीबीशन शुक्रवार को आरंभ हुई। रविवार 5 मई तक चलने वाली इस एग्जीबीशन में पेंटिंग्स, ड्राइंग, फोटोग्राफी और स्कल्पचर, हर आर्ट वर्क में रंगों का प्रयोग तो दिलचस्प है ही इसके पीछे की कहानी भी कम रोचक नहीं है। एग्जीबीशन स्टूडियो इलेवन की ओर से लगाई गई है। प्रदर्शनी का समय सुबह 11 से शाम 7 बजे तक है। प्रदर्शनी का उद्घाटन शुक्रवार शाम राजस्थान ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष आर बी गौतम ने किया। कार्यक्रम संचालक वडोदरा के अजीत जी वर्मा के अनुसार जयपुर में इससे पहले दो बार प्रदर्शनी लगा चुके हैं। यहां के लोग कला और कलाकारों की कद्र करते हैं। शायद इसीलिए जयपुर कलाकारों को अपनी ओर खींचता है। 16 कलाकारों की इस ग्रुप एग्जीबीशन की कोई केंद्रीय थीम नहीं है। किसी पेंटिंग में नारी मन की भावनाए हैं तो किसी में द्वंद्व। कहीं स्कल्पचर है तो कहीं प्राकृतिक सौंदर्य।

  • फ्राइडे थिएटर में ’खजूर ते अटक्या’

    जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में शुक्रवार को ’फ्राइडे थिएटर’ के तहत नाटक खजूर ते अटक्या का मंचन किया गया। देश में फैली अवयवस्थाओं पर सटायर करते हुए पंजाबी नाटक ’खजूर ते अटक्या’ का आयोजन जवाहर कला केंद्र और उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से किया गया था। इस पारिवारिक हास्य नाटक का मंचन पटियाला पंजाबी विश्वविद्यालय के नाट्य और टेलिविजन विभाग के रंगकर्मियों ने किया। लेखक जयरूप जीवन लिखित इस नाटक का पंजाबी भाषा में अनुवाद गुरूप्रीत सिंह ने किया। नाटक का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी जसपाल कौर देओल ने किया। नाटक की कहानी वकील नवीन वर्मा और पत्नी शांति के इर्द गिर्द घूमती है। ये दोनो जासूसी उपन्यास पढने के शौकीन हैं और एक दिन अचानक कुछ अपराधी और संदेहास्पद व्यक्ति इनके घर में घुस जाते हैं। इसके बाद हास्यास्पद परिस्थितियां पैदा होती हैं।

  • जवाहर कला केंद्र में ’रेंज ऑफ विजन’

    जवाहर कला केंद्र की सुकृति और सुदर्शन कला दीर्घाओं में बुधवार से पेंटिंग प्रदर्शनी ’ रेंज ऑफ विजन’ आरंभ होगी। एग्जीबीशन में देश के विभिन्न शहरों से 29 कलाकारों की पेंटिंग प्रदर्शित की जाएंगी। पेंटिंग्स के साथ साथ मूर्तियों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

  • जवाहर कला केंद्र में गुरूवारीय संध्या

    जवाहर कला केंद्र में गुरूवारीय संध्या के तहत गुरूवार 9 मई को उस्ताद अली हाफिज खां प्रस्तुति देंगे। यूके में रहकर संगीत साधना करने वाले हाफिज खां गुरूवार को ठुमर, दादरा व गजल की प्रस्तुति देंगे। इन्हें ब्रिटेन में किंग ऑफ इंडियन म्यूजिक का खिताब मिला हुआ है।

  • ’रेंज ऑफ विजन’ में रेंज भी दिखी और विजन भी

    जवाहर कला केंद्र की सुदर्शन और सुकृति आर्ट गैलरी में बुधवार 8 मई से समकालीन अमूर्त चित्रों के नए रंग और असीमित भावनाओं को दर्शाती चित्र प्रदर्शनी ’रेंज और विजन’ का प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनी में देश के 28 कलाकारों की पेंटिंग एग्जीबीशन में रंगों और अनुभूतियों का सुंदर समागम देखा गया। कैनवास ने स्त्री जाति की शक्तियों को खूबसूरती से पेश किया। प्रदर्शनी का उद्घाटन वरिष्ठ चित्रकार विद्यासागर उपाध्याय ने किया। देशभर के इन 28 कलाकारों ने यहां अपनी पेंटिंग्स, फोटोग्राफी और मूर्तियों का डिस्प्ले किया है। हर कृति कलाकार की सोच और कलात्मकता का प्रदर्शित करती है।
    यहां अलीगढ की सुहानी जैन ने अपनी पेंटिंग में नारी जीवन के सकारात्मक पहलुओं को चित्रित किया है। उनका मानना है कि नारी अब अबला नहीं रही। सामाजिक दायरे भी बेमानी हो गए हैं। संस्कृति का दामन पकड़े नारी कंधे से कंधा मिलाकर नई सोच के समाज का निर्माण कर रही है। कलाकार ने त्रिकोणीय फॉर्म में टेक्स्चर दिए है हैं जो नारी के त्रिकोणीय जिम्मेदारियों का अहसास कराते हैं।
    कलाकार आशीष मोहन ने बंदूक पकड़े दहाड़ते शेर को उकेरा है। जो सैनिकों की भांति प्रोटेक्शन को दर्शा रहा है। अलीगढ की ही रूना शालिन ने प्रकृति की खूबसूरती को कैनवास पर दर्शाया है। इसमें तितलियों के झुंड भी बहुत खूबसूरती से उकेरे गए हैं।
    स्वाति चौधरी ने एक्रेलिक रंगों से बनाई अपनी पेंटिंग में खून के आंसू बहाती लड़की और पेड़ों को दर्शाया है। इस पेंटिंग में मौजूदा दौर में लड़की और पेड़ों की बदहाली को सहज ही देखा और महसूस किया जा सकता है।
    नीतिश अग्रवाल ने अपने फोटोग्राफ्स में प्रकाश और छाया का खूबसूरत प्रयोग किया है। आनंद शर्मा ने स्कल्पचर में लोहे की रिंग में चारों ओर हाथों को लटकते हुए दर्शाया है। जिन्हें हैंगिंग हैंड्स नाम दिया गया है। गाजियाबाद के यवुा कलाकार कमलेश शर्मा ने चारकोल व एक्रेलिक कलर से औरत के असली अर्थ को समझाने का प्रयास किया है। इस नित्रों में युवतियों के साथ हो रही ज्यादतियां झकझोरती हैं। युवा कलाकार मनोज ने सूर्योदय और सूर्यास्त के ताने बाने पर अपनी कृतियों की रचना की है। एग्जीबीशन 11 मई तक चलेगी।

  • गुरूवारीय संध्या : ठुमरी और गजलें

    जवाहर कला केंद्र का रंगायन ऑडिटोरियम में गुरूवार 9 मई को शास्त्रीय गायकी में रामपुर और बरेली घरानों की गूंज सुनाई दी। यूके में रहकर संगीत साधना कने वाले उस्ताद अली हाफिज खां ने गुरूवारीय संध्या में सुर और ताल से समां बांध दिया। रामपुर घराने के उस्ताद मुश्ताक हुसैन खां एवं उस्ताद लताफत हुसैन खां के शिष्य हाफिज खां ने इस सुरमई शाम का आगाज राग कौशिक ध्वनि आधारित ठुमरी ’काटे कटे ना हि रैन, तकते तकते राह तिहारी तरस गए मोरे नैन’ से किया। इसके बाद उन्होंने पंजाब अंग प्रधान ठुमरी ’सखि रो रो बाट निहारी’ को राग मिश्र मुलतानी काफी में निबद्ध कर प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अगले पायदान पर उन्होंने उस्ताद बड़े गुलाम अली खां साहब की राग कौशिक ध्वनि पर आधारित सुप्रसिद्ध ’याद पिया की आए, अब तो रहा नहीं जाए’ सुनाई। उस्ताद अली हाफिज खां ने ठुमरियों की दिलकश प्रस्तुति के बाद गजलों की मखमली प्रस्तुति देकर महफिल को परवान चढाया। गजलों के इस दौर की शुरूआत उन्होंने कमर जलालाबादी की गजल ’वो सर खोले हमारी लाश पर दीवाना यार आए, इसी को मौत कहते हैं तो या रब बार बार आए’ से की। मेंहदी बदायूनी की गजल ’ मेरे हमराह जब वो चलते हैं, देखने वाले हाथ मलते हैं’ की प्रस्तुति राग दरबारी एवं भीमलासी में पिरोकर अपने शास्त्रीय गायन का प्रदर्शन किया।

  • फ्राइडे थिएटर में ’नमस्कार आदाब’
    जवाहर कला केंद्र के रंयागयन सभागार में फ्राइडे थिएटर के तहत इस शुक्रवार नाटक ’नमस्कार आदाब’ का मंचन किया गया। नाटक का संदेश था दो देशों के बीच होने वाली जंग से किसी समस्या का हल नहीं होता। जंग सेतो सरहदें जीती जा सकती हैं, दिल नहीं। विकल्प नाट्य संस्था की ओर से प्रस्तुत इस नाटक का लेखन और निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी हेमंथ थपलियाल ने किया। नाटक में कलाकारों ने हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी किरदारों के माध्यम से अमन का पैगाम देने की अच्छी कोशिश की।

  • उत्तराखंड की संस्कृति हुई साकार

    जवाहर कला केंद्र के दक्षिण विंग में शनिवार 18 मई को उत्तराखंड की संस्कृति साकार हो उठी। यहां मुंबई से आए साठ कलाकारों ने ढोल, दमाव, सराई, हुडक और मश्कबाज जैसे पारंपरिक वाद्ययंखें से उत्तराखंड की संस्कृति की झलकियां पेश की। कलाकारों ने ’हो नंदा सुनंदा, तू देणी है जाई’, पैण पैण नंदा, हाथों की धागुली’ सहित कई आराधना गीतों पर नृत्य पेश किया। मुंबई उत्तराखंड नंदा देवी यात्रा नेशनल आयोजन ट्रस्ट की ओर से मां नंदा देवी राजरात यात्रा में मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, इंदोर के बाद जयपुर में यह कार्यक्रम हो रहा है। इसके बाद यात्रा दिल्ली, देहरादून, हल्द्वानी, नंदकेसरी जाएगी। जयपुर पहुंचने पर कलाकारों का स्वागत उत्तराखंड महासभा राजस्थान के बीएस रावत व गढवाल सभा के राजीव अरोड़ा ने किया। इस दौरान कलशयात्रा भी निकाली गई। रविवार को परिसर में उत्तराखंड के व्यंजनों का स्वाद भी लिया जा सकेगा।

  • धूप के कारण आर्ट गैलरियां सूनी

    जयपुर शहर में पारा 43-44 डिग्री पर ठहरा हुआ है। दोपहर को तेज धूप और लू ने कलाकारों को भी मायूस किया है। शहर के जवाहर कला केंद्र में कुल छह आर्ट गैलरियां हैं। गर्मी के कारण यहां कलाओं का डिस्प्ले देखने बहुत कम लोग पहुंच रहे हैं। इसके लिए जेकेके प्रशासन ने आर्ट गैलरियों में एसी लगवाए। लेकिन कलाकारों का कहना है कि एसी लगाने से कोई विशेष लाभ नहीं हो रहा है। क्योंकि इतनी गर्मी में कोई भी घर से निकलने को तैयार नहीं है। ऐसे में आर्ट गैलरियां गर्मियों में सूनी ही रहती हैं और बहुत कम दर्शक मिल पाते हैं। कलाकारों का कहना है कि कला को एसी की नहीं कद्रदानों की जरूरत है। जो धूप पानी और कोहरे में भी घरों से निकल कला का आनंद लेने पहुंचें।

  • न संगीत संध्या, ना फ्राइडे थिएटर

    जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में होने वाले नियमित कार्यक्रम गुरूवारीय संध्या और फ्राइडे थिएटर 17 मई के बाद नहीं हो पाए हैं। इसकी वजह यहां चल रहा ग्रीष्मकालीन शिविर है। वर्कशॉप की कक्षाएं ऑडीटोरियम में भी हो रही हैं। इसका कारण फ्राइडे थिएटर व गुरूवारीय संगीत कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि जून के पहले हफ्ते में ही यहां नियमित होने वाले कार्यक्रम एक बार फिर से आरंभ हो जाएंगे।

  • फ्यूजन कहरवा

    जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभगार में 9 जून को भारतीय शास्त्रीय संगीत और राजस्थानी लोक संगीत पर आधारित फ्यूजन कहरवा की प्रस्तुति होगी। परिकल्पना और निर्देशन तबला वादक डॉ विजय सिद्ध कर रहे हैं। कार्यक्रम में जोग कहरवा, कहरवा फॉर विक्ट्री और कहरवा फोर पीस को प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा सोलो कहरवा, राग देस आधारित कहरवा, मांड ’केसरिया बालम’ आधारित कहरवा, सबरंग कहरवा, सूफी कहरवा, लोक कहरवा अदि रचनाएं पेश की जाएंगी।

  • सांस्कृतिक संध्या

    जवाहर कला केंद्र में चले ग्रीष्मकालीन शिविर के समापन के अवसर पर गुरूवार शाम सतरंगी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने ’गाइये गणपति जग वंदन’ गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरूआत की। इस प्रस्तुति पर सभागार तालियों से गूंज उठा। सांस्कृति कार्यक्रम में सुगम संगीत के विद्यार्थियों ने राग बिलावल आरोह, अवरोह, अलंकार, ताल त्रिताल, माध्यम लय में ’ख्याल ते हरिनाम सुमिरन’ पेश कर मंत्रमुग्ध कर दिया।

  • यादगारे गालिब

    जवाहर कला केंद्र में 26 जून को ’यादगार-ए-गालिब-2013’ का आयोजन किया जाएगा। मिर्जा गालिब सोसायटी के तीन दिवसीय कार्यक्रम में सुकृति आर्ट गैलरी में गालिब के खुतूत और मीर अम्मन की किताब ’बागो बहार-1803 फोर्ट विलियम कॉलेज’ के अंश प्रदर्शित होंगे।

  • प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा के रंग

    जवाहर कला केंद्र की सुरेख आर्ट गैलरी में मंगलवार 18 जून से ’एमॉर’ थीम पर पेंटिंग एग्जीबीशन की शुरूआत हुई। इस श्रंखला में कलाकार अर्चना गुप्ता ने प्यार और सकारात्मक ताकत पर कला को केंद्रित किया है। प्रेम के खूबसूरत एहसास को दर्शाने वाली इन पेंटिंग्स को देखकर दर्शक अभिभूत हैं। अर्चना का कहना है कि हिंसा और नकारात्मकता का अत्यधिक प्रदर्शन मुझे आहत करता है। इसलिए मैने प्रेम की अनुभूति और सकारात्मक ऊर्जा को एक्रेलिए और ऑयल रंगों से कैनवास पर उकेरा है। कैनवास की बनावट में भी प्रयोग किए गए हैं। फ्रेम को कर्व दिया गया है जिससे पेंटिंग्स उभरी हुई नजर आई हैं। प्रदर्शनी 23 जून तक रहेगी।

  • पेंटिंग एग्जीबीशन

    जवाहर कला केंद्र की सुकृति आर्ट गैलरी में गुरूवार को पेंटिंग प्रदर्शनी आरंभ होगी। इसमें गिफ्टी थॉमस की ’इमोशंस ऑफ वीमन’ थीम पर बनाई गई 21 पेंटिंग्स की सीरिज का प्रदर्शित किया जाएगा। इन चित्रों में कैनवास पर ऑयल रंगों के माध्यम से औरत की जिंदगी के विभिन्न स्तर दिखाने का प्रयास किया गया है। चित्रों में औरत का समाज में संघर्ष भी नजर आएगा। प्रदर्शनी 23 जून तक चलेगी।

  • बांसुरी वादन

    जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में गुरूवार को संगीत संध्या में बांसुरी वादक डॉ बाबूलाल शर्मा की प्रस्तुति होगी। शर्मा राग मेघ मल्हार और हेमतवी में गायकी और तंत्रकारी पेश करेंगे। उनके साथ तबले पर निसार हुसैन खां और तानपूरे पर गिरिराज कुमार बालोदिया संगत करेंगे। शर्मा ने बांसुरी वादन की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता देवकी नंदन से ली है। उस्ताद करामत खां के मार्गदर्शन में अपनी कला को उन्होंने परवान चढाया है।

  • कैलीग्राफी वर्कशॉप

    जवाहर कला केंद्र में सोमवार 24 जून से विलुप्त होती सुलेखन शैली को प्रमोट करने के लिए कैलीग्राफी वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा। पारिजात कला दीर्घा में होने वाली आठ दिवसीय इस वर्कशॉल में हिन्दी और अंग्रेजी कैलीग्राफी के गुर सिखाए जाएंगे। वर्कशॉप को कैलीग्राफी आर्टिस्ट हरिशंकर बालोठिया कंडक्ट करेंगे।

  • ‘तलवार पर भारी तूलिका‘

    जवाहर कला केंद्र की सुदर्शन आर्ट गैलरी में सोमवार से अंतरराष्ट्रीय मादक द्रव्य एवं तस्कारी विरोधी दिवस के उपलक्ष में राज्य स्तरीय एग्जीबीशन शुरू होगी। संवेदना रिसर्च फाउंडेशन, नशा मुक्ति केंद्र कोटा की ओर से आयोजित इस एग्जीबीशन की थीम ’ड्रग विरोधी जागरूकता जंग में तलवार पर भारी तूलिका’ रखी गई है।

  • ऑल इंडिया मुशायरा

    जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में रविवार को देश के नामी शायरों ने अपने कलाम सुनाए। यहां ऑल इंडिया मुशायरे में एक से बढकर एक रचनाएं पेश की गईं। अंजुमन तरक्की उर्दू और जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित इस मुशायरे में शायरों ने दर्शकों की खूब दाद पायी। बरेली के अकील नोमानी ने ’मैं कब से अपने अंधेरों के साथ जिंदा हूं, मुझे में मेरी सहर है, मुझे खबर ही नहीं,’ और दिल्ली के आदिल रशीद ने ’रोटी की फिक्र ने उसे रिक्शा थमा दिया, भटका बहुत वो हाथ में डिग्री लिए हुए’ शेर सुनाया। नोएडा के मलिकजादा जावेद ने ’हवा हो तेज तो शिकवा नहीं किया जाता, नए चरागों को रूसवा नहीं किया जाता’ किसी से इश्क करो या किसी से जंग करो, कोई भी काम अधूरा नहीं किया जाता’ पेश किया। दिल्ली की डॉ सलमा शाहीन ने ’खौफ नकदा गुाहों के पलेंगे कब तक, दाग सीने में अभी और सजेंगे कब तक’ मेरठ की उजमा परवीन ने ’ईमान की इस तरह हिफाजत किया करो, तुम अपने घर में रोज तिलावत किया करो’ से दाद लूटी।

  • थिएटर एक्टिंग वर्कशॉप 28 से

    जवाहर कला केंद्र में 28 जून से 45 दिवसीय थिएटर अभिनय कार्यशाला शुरू होगी। नेशनल स्कूल आफ ड्रामा और जेकेके के सहयोग से सार्थक थिएटर ग्रुप की ओर से वरिष्ठ रंगकर्मी साबिर खान के निर्देशन में इस वर्कशॉप का आयोजन होगा। वर्कशॉप में संगीत, नृत्य, अभिनय, योगा, बॉडी मूवमेंट, संगीत संस्कृति, थिएटर क्राफ्ट, मेकअप, थिएटर हिस्ट्री, डिजाइन और लाइट के बारे में बताया जाएगा। बांसुरी वादन 26 जून को-श्रुति मंडल और कला, साहित्य व संस्कृति विभाग की ओर से 26 जून को महाराणा प्रताप ऑडीटोरियम में पं रूपक कुलकर्णी का बांसुरी वादन होगा। कार्यक्रम में तबला पर आदित्य कल्याणपुर और बांसुरी पर वरहद कथापुरकर संगत करेंगे।

  • यादगार-ए-गालिब

    जवाहर कला केंद्र में बुधवार से तीन दिवसीय ’यादगार-ए-गालिब’ कार्यक्रम की शुरूआत हुई। कार्यक्रम के पहले दिन बुधवार को शायरी के शहंशाह गालिब को याद कर एक से बढकर एक गजलें पेश की गई। इस मौके पर गालिब के चुनिंदा खत और मीर अम्मान की पुस्ताक बागे बहार 1803 फोर्ट विलियम कॉलेज के अंशों पर आधारित प्रदर्शनी भी खास रही। मिर्जा गालिब सोसायटी और जेकेके के इस साझे आयोजन की शुरूआत सुबह प्रदर्शनी से हुई। इसमें जयपुर के शायर और सोसायटी के सचिव मिर्जा हबीब बेग पारस द्वारा खते दीवानी शैली में लिखे गए गालिब के चुनिंदा खत और मीर अम्मान की पुस्तक ‘बागे बहार 1803 फोर्ट विलियम कॉलेज’ के अंश प्रदर्शित किए गए। खते दीवानी शैली में लिखे होने की वजह से प्रदर्शनी देखने आने वाले दर्शकों कका इससे रिश्ता कायम नहीं हो सका। समारोह के दौरान शाम को केंद्र के कृष्णायन ऑडीटोरियम में उस्ताद नाजिम हुसैन उनके शिष्य सखावत हुसैन और खादिम हुसैन ने मिर्जा गालिब की 12 गजलें सुनाई। शुरूआत सखावत हुसैन ने राग गोरख कल्याण के सुरों से सजी गजल ’कोई उम्मीद नजर नहीं आती’ से की। खादिम हुसैन ने राग मिश्र भैरवी में ’दिल ही तो है ना संगो खिश्त, दर्द से भर न आए क्यों, रोएंगे हम तो जार-जार, कोई हमें सताए क्यों’ पेश की। इसके बाद उस्ताद नाजिम हुसैन ने मंच संभाला। पुरअसर गजलों को नाजिम ने शास्त्रीय बारिकियों से सजाकर और भी असरदार बना दिया। तबले पर इंतजार हुसैन और की बोर्ड पर बाबर हुसैन ने संगत की। दिल्ली के डॉ ए रहमान, डॉ शाहिद माहौली और डॉ अबुल फैज ने समारोह का उद्घाटन किया। समारोह के तहत गुरूवार को मिर्जा गालिब की इल्मी, अदबी व तहकीकी शख्सियत पर सेमिनार का आयोजन किया जाएगा।

  • आनंदिता का मंचन आज

    जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागर में शुक्रवार 28 जून को शाम 7 बजे नाटक ’आनंदिता’ का मंचन किया जाएगा। फ्राइडे थिएटर के तहत खेले जाने वाले इस नाटक में जाधुपर के रंगकर्मी अभिनय करेंगे। नाटक का लेखन एवं निर्देशन डॉ कुमार राजीव ने किया है। इसमें प्रवेश टिकट के जरिए होगा।

  • प्रो. फिरोज अहमद को गालिब अवार्ड

    जवाहर कला केंद्र में चल रहे यादगार-ए-गालिब समारोह में गुरूवार को प्रो. फिरोज अहमद को मिर्जा असदुल्लाह खां गालिब अवार्ड से नवाजा गया। उनकी प्रकाशित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। समारोह में अहमद ने मिर्जा गालिब के व्यक्तित्व और उनकी रचनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। समारोह का समापन शुक्रवार को होगा।

  • आनंदिता का मंचन

    जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभगार में फ्राइडे थिएटर में शुक्रवार 28 जून को नाटक ’आनंदिता’ का मंचन हुआ। नाटक में टूटते पारिवारिक रिश्तों को केंद्र में रखकर यह संदेश दिया कि जब परिवार के लोगों की आपसी समझ घटने लगती है तो रिश्ते भी दरकने लगते हैं। जोधपुर के अपूर्वा ग्रुप की ओर से पेश इस नाटक का लेखन और निर्देशन डॉ कुमार राजीव ने किया। नाटक के कथानक के अनुसार जब परिवार में आपसी तालमेल कमजोर पडने लगाता है तो पति पत्नी आपस में लडते झगड़ते हैं और एक दूसरे पर कटाक्ष करते हुए जीवन को ढोते हैं। ऐसी परिस्थिति में उन परिवारों के बच्चों की मानसिक दशा पर गलत असर होता है। वे इस परिस्थिति से घबराने लगते हैं और इस घुटन के कारण कई बार वे अपने जीवन से खिलवाड़ कर बैठते हैं। इसलिए बच्चों की खुशी और परिवार की खुशहाली के लिए कभी भी रिश्तों में दरार नहीं आनी देनी चाहिए।

  • संसाधनहीन बच्चों ने दिखाया हुनर

    जवाहर कला केंद्र के मंच पर रविवार को आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों ने अपनी सांस्कृतिक प्रतिभा का कमाल दिखाया। हाल ही गठित नियो फ्यूजन क्रिएटिव फाउंडेशन ने इन बच्चों के दर्द को समझा और उनके भीतर छिपी सांस्कृतिक प्रतिभा को उभारने का बीड़ा उठाया। कार्यक्रम में बच्चों ने संगीतमय नाटक ’लिटिल विंग्स मुझे उड़ने दो’ के माध्यम से पिछले दिनों आयोजित कार्यक्रम में सीखे सबक का प्रदर्शन किया। इसमें करीब 75 बच्चों ने अपने अभिनय और नृत्य से सभी दर्शकों का दिल जीत लिया। युवा चित्रकार अनुभूति भटनाकर लिखित व मनोज स्वामी निर्देशित नाटक में लेखक ने खुद की कहानी को विभिन्न पात्रों के माध्यम से पेश किया। नाटक में बच्चों ने अपने जीवन से जुड़ी बातों को भी सुंदर ढंग से पेश किया।

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