जयपुर Hindi

जयपुर- हैंडमेड पेपर

jaipur-handmade-paper

जयपुर के हैंडमेड (Jaipur Handmade) प्रोडक्ट्स पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इसकी दो वजहें है। एक-इन प्रोडेक्ट्स का ईको-फ्रेंडली होना और दूसरा-इनकी खूबसूरत डिजाइंस। लोगों में जैसे-जैसे पर्यावरण के लिए जागरुकता बढ़ी है वैसे-वैसे ईको फ्रेंडली उत्पादों का प्रयोग और महत्ता भी बढ़ गई है।

जयपुर में बड़े पैमाने पर हैंडमेड शीट्स, हैंडमेड पेपर बैग, हैंडमेड जरनल एवं नोटबुक्स, हैंडमेड फोटा एलबम और डायरीज, कैरी बैग्स, गिफ्ट बॉक्स, स्टेशनरी सेट्स, लैंप शेड्स, फोटो फ़्रेम और पेपर स्टार्स बनाने के काम में ली जा रही है। जब से पॉलीथीन पर प्रतिबंध लगा है तब से इन पेपर्स का यूज बहुत बढ़ गया है। लगातार बढ़ रही मांग के चलते अब हैंडमेड क्रॉकोडयल पेपर और वेलवेट पेपर भी विकसित किए गए हैं। इन पेपर्स की सुंदरता और क्रिएटिविटी चीजों को और भी खूबसूरत बना देती है।

आईये, जानते हैं जयपुर के हैंडमेड पेपर के बारे में- जयपुर में हैंडमेड पेपर का इतिहास बहुत पुराना है। जयपुर के सांगानेर कस्बे में कागजी समुदाय के लोग हैंडमेड पेपर तैयार करते थे। इतिहास में उल्लेख मिलता है कि 14 वीं सदी में फिरोज शाह तुगलक के शासन में भी हैंडमेड पेपर इस्तेमाल किया जाता था। उस समय उत्तर भारत में हैंडमेड पेपर सरकारी स्टेशनरी के तौर पर काम में लिया जाता था। हैंडमेड पेपर को सरकारी दस्तावेजों, मिनिएचर पेंटिंग्स, सुलेख, बहीखाते और कुरान जैसे पवित्र ग्रंथों की प्रतिलिपियां बनाने में इस्तेमाल किया जाता था। 16 वीं सदी में आमेर के शासक मानसिंह ने राज-काज में हैंडमेड पेपर्स की महत्ता का अनुमान लगाकर कागजी समुदाय के लोगों को सांगानेर कस्बे में ले आए और यहां सरस्वती नदी के किनारे बसाया। हैंडमेड पेपर के निर्माण के लिए साफ पानी की उपलब्धता जरूरी है, इसीलिए इन्हें नदी किनारे बसाया गया था। इस प्रकार सांगानेर उत्तर भारत में हैंडमेड पेपर्स प्रोडक्शन में अग्रणी केंद्र बन गया।

जयपुर के हैंडमेड पेपर एक बड़ी इंडस्ट्री के रूप में विकसित हो चुकी है। सांगानेर में एएल पेपर हाउस, सुप्रीम हैंडमेड पेपर्स, रीयल हैंडमेड पेपर, नेशनल हैंडमेड इंडस्ट्रीज, सांगानेर पेपर इंडस्ट्री, अवेटी ओवरसीज, ताज हैंडमेड पेपर उद्योग, चिनार हैंडमेड पेपर, श्रीराम पेपर, शिवम पेपर्स, रॉयल पेपर बार्ड इंडस्ट्री, श्रीकरुणासागर हैंडमेड पेपर इंडस्ट्रीज, शिव सागर हैंडमेड पेपर्स, क्रीसेंट पेपर्स, नेशनल पेपर उद्योग, राजलक्ष्मी हैंडमेड पेपर्स आदि इंडस्ट्री इस क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।

क्या आप जानते है,

  • जब आप स्टेशनरी के रूप में सादा कागज इस्तेमाल करते हैं तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वनों के कितने बड़े नाश के भागीदार बन रहे होते हैं-
  • कागज के लिए दुनिया में प्रति सेकंड 2.4 एकड़ वन काटे जाते हैं। जो कि दो फुटबॉल के मैदानों से भी बड़ा भाग है।
  • प्रति मिनट 149 एकड़ वन काटे जाते हैं।
  • प्रतिदिन 14 हजार एकड़ वनक्षेत्र काटा जाता है जो न्यूयार्क शहर से बड़ा भाग है।
  • प्रति वर्ष 78 मिलियन एकड़ वन काट दिए जाते हैं जो कि पोलैंड से बड़ा भाग है।
  • कागज के लिए वनों की इस अंधाधुंध कटाई के कारण प्रतिदिन औसतन 137 जीव-प्रजातियां विलुप्त हो जाती हैं। इस तरह सालभर में 50 हजार जीव-प्रजातियों को हम कागज की भेंट चढ़ा रहे हैं।

हैंडमेड पेपर पूरी तरह ईको फ्रेंडली होता है। यह सौ प्रतिशत लकड़ी मुक्त उद्योग है। यह पर्यावरण को बिना कोई नुकसान पहुंचाए बनाया जा सकता है। बल्कि इसका पुनर्नवीनीकरण भी किया जा सकता है। हैंडमेड पेपर की उम्र साधारण कागज से कहीं ज्यादा होती है और यह दुगना मजबूत भी होता है। कई लोग अपना हस्तलेखन सुधारने के लिए हैंडमेड पेपर्स का इस्तेमाल करते हैं। हैंडमेड पेपर फैशनेबल, आम पेपर से महंगा और उत्तम दर्जे का होता है। यह खराब कपड़े, फूलों की पंखुडियों, जूट, ऊन और घास से बनाया जाता है। हैंडमेड पेपर्स के निर्माण में रसायनों और कृत्रिम फैब्रिक्स का भी कम प्रयोग होता है। यह खुशी की बात है कि एक टन हैंडमेड पेपर 270 वृक्षों और 400 बांस के पेडों का जीवन बचाता है। लेकिन हस्तनिर्मित होने के कारण इस पेपर का उत्पादन कम होता है, वहीं लागत और कीमत भी ज्यादा होती है। इसलिए इस पेपर का इस्तेमाल करना महंगा भी होता है।

जयपुर में हैंडमेड पेपर का इस्तेमाल राजकाज में प्रयुक्त होने वाली स्टेशनरी के लिए किया जाता था। लेकिन यह जयपुर की संस्कृति का ही हिस्सा है कि हम अपनी परंपरा को मरने नहीं देते। आज भी जयपुर हैंडमेड पेपर्स का प्रोडेक्शन बड़े पैमाने पर कर रहा है। लोगों में पर्यावरण के लिए जागरुकता बढ़ी है और अब साठ से ज्यादा हैंडमेड प्रोडेक्ट बाजार में उपलब्ध हैं। इनमें सजावट के सामान, फ्रेम और शादियों के कार्ड तक शामिल हैं।

Tags

About the author

Pinkcity.com

Our company deals with "Managing Reputations." We develop and research on Online Communication systems to understand and support clients, as well as try to influence their opinion and behavior. We own, several websites, which includes:
Travel Portals: Jaipur.org, Pinkcity.com, RajasthanPlus.com and much more
Oline Visitor's Tracking and Communication System: Chatwoo.com
Hosting Review and Recommender Systems: SiteGeek.com
Technology Magazines: Ananova.com
Hosting Services: Cpwebhosting.com
We offer our services, to businesses and voluntary organizations.
Our core skills are in developing and maintaining goodwill and understanding between an organization and its public. We also conduct research to find out the concerns and expectations of an organization's stakeholders.

Add Comment

Click here to post a comment

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading