आमेर ( Amber ) जयपुर का उपनगर है। यह जयपुर शहर से लगभग 11 किमी उत्तर में है। दरअसल कछवाहा वंश के राजाओं की राजधानी आमेर रियासत ही थी। दसवीं सदी में इस क्षेत्र पर मीणाओं का शासन था। कछवाहा शासकों से मीणा शासकों से इस क्षेत्र का मुक्त कराया और यहां शासन स्थापित किया। इसके बाद से आमेर में कछवाहों का ही राज रहा। यही कारण है आमेर का स्थापत्य जयपुर के स्थापत्य से कहीं पुराना और समृद्ध है। जयपुर के स्थापत्य पर जहां राजपूत, मुगल और ब्रिटिश शैलियों का प्रभाव है वहीं आमेर में ठेठ राजपूत, हिन्दू और कहीं-कहीं द्रविड़ शैली का स्थापत्य भी पाया जाता है। अगर यह कहा जाए कि स्थापत्य के इतिहासकारों के लिए जयपुर से अच्छा विषय आमेर हो सकता है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
आमेर अरावली की पहाडियों से घिरा छोटा और सुंदर कस्बा है। जयपुर के करीब होने पर भी पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण आमेर का विकास चारों दिशाओं में नहीं हो सका। सत्रहवीं सदी के अंत तक आमेर में पानी की किल्लत और जनसंख्या का दबाव इतना बढ़ गया था कि नए शहर की परियोजना का अमल में लाना जरूरी हो गया और इस तरह जयपुर की स्थापना हुई।
आमेर आज भी अपनी नागर शैली, द्रविड़ और हिन्दू शैली के मंदिरों, प्राचीन हवेलियों और कई मनोहारी स्थानों के लिए प्रसिद्ध है। फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए आमेर से बेहतर जगह कोई नहीं है। आमेर को फोटोग्राफरों का स्वर्ग भी कहा जा सकता है। आईये आमेर के उन स्थलों की तलाश करें जो पर्यटकों और फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए बेहतरीन हैं-
आमेर महल
आमेर में सबसे ज्यादा स्थानीय, देशी और विदेशी पर्यटक आमेर का महल देखने आते हैं। आमेर का महल विश्व के मौजूदा सबसे खूबसूरत महलों में से एक है। यहां आकर आप हाथी की शाही सवारी का आनंद ले सकते हैं। आमेर महल में जलेब चौक, शिला माता मंदिर, जयगढ़ टनल, दीवाने आम, गणेशपोल, सुख मंदिर, शीश महल, रानियों के महल आदि सभी बेहद खूबसूरत हैं और इतिहास के शानदार स्थापत्य का नमूना पेश करते हैं। यहां कई फिल्मों की शूटिंग हुई है।
मावठा झील
आमेर महल के तल में खूबसूरत मावठा झील है जो इस बार के मानसून की मेहरबानी से लबालब भरी है। यह एक कृत्रिम झील है जिसे महल की सुरक्षा और सुंदरता बढाने के लिए बनावाया गया था। आमेर के हाथियों का यहां क्रीड़ा करना फोटोग्राफी के लिए अच्छा सीन हो सकता है।
केसर-क्यारी
मावठा झील के बीचों बीच एक बहुत छोटा लेकिन खूबसूरत गार्डन है जिसे केसर क्यारी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस छोटे से गार्डन में केसर उगाया जाता था, जिसका महक से आसपास का वातावरण और भी सुरम्य हो जाता था।
जयगढ़
आमेर महल से ऊपर चील पहाड़ी पर जयगढ़ फोर्ट आमेर रियासत की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए बनवाया गया था। दरअसल यह आमेर का वॉच टॉवर भी कहलाता है और चारों दिशाओं पर नजर रखने के लिए बनवाया गया था। आमेर महल और जयगढ़ फोर्ट की पैदल दूरी 11 किमी के करीब है लेकिन एक गलियारानुमा सुरंग दोनो को जोड़ती है जो हाल ही पर्यटकों के लिए खोली गई है। देश की सबसे बड़ी तोप जयबाण यहीं रखी है।
सागर झील
पर्यटकों और फिल्म निर्माताओं के लिए सागर झील भी सुरम्य स्थल है। यह पहाड़ों की खोह में बनी कृत्रिम झील है। इसे पानी का विशाल टांका भी कहा जा सकता है। इसकी लोकेशन आमेर महल के ठीक पीछे है। महल और सागर के बीच एक छोटी पहाड़ी है, यहां से एक ओर जयगढ फोर्ट और दूसरी ओर आमेर की पश्चिमी पहाडियां हैं। सागर झील के चारों ओर बनी खूबसूरत पाल इसे खास और दर्शनीय बनाती है। यहीं से पहाडि़यों पर बनी विशाल प्राचीरों और वॉच टॉवर्स पर भी जाया जा सकता है और आमेर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। आमेर रियासत का मुख्य जलस्रोत सागर झील ही था।
जामा मस्जिद
आमेर कस्बे में दिल्ली रोड पर स्थित जामा मस्जिद कस्बे की सबसे प्राचीन मस्जिद है। मस्जिद का शिल्प विधान और स्थापत्य दर्शनीय है। यह एक खूबसूरत इमारत है और मुस्लिम आस्था का भी बड़ा केंद्र है। इसे जयपुर की सबसे प्राचीन और खूबसूरत मस्जिदों में शुमार किया जाता है।
राजाओं की छतरियां
आमेर में दिल्ली रोड पर आमेर के शासकों की समाधियां हैं। इस छोटे से परिसर में राजा महाराजाओं की खूबसूरत छतरीनुमा समाधियां अपने स्थापत्य और शिल्प के कारण विख्यात हैं। कई फिल्मों में इन समाधियों की लोकेशन को दर्शाया गया है। आमेर से जयपुर राजधानी स्थानांतरित होने से समाधि स्थल भी स्थानांतरित होकर गैटोर हो गया था। गैटोर ब्रह्मपुरी में स्थित है।
जगत शिरोमणि मंदिर-
यदि भारत के असली राजपूत शैली स्थापत्य को देखना हो तो आमेर के जगत शिरोमणि मंदिर के बेहतर कोई जगह नहीं। दरअसल यह भगवान कृष्ण का मंदिर है। यह महल आमेर के राजकुमार जगत सिंह की स्मृति में उनकी माता ने बनवाया था। कहा जाता है कि यह अपने जमाने का सबसे भव्य मंदिर था और इसके निर्माण में 11 लाख रूपए खर्च हुए थे।
हाथी गांव
आमेर में महावतों और हाथी मालिकों की सुविधा के लिए सरकार ने हाथी गांव का निर्माण कराया है। हाथी गांव में हाथियों के लिए बड़े थान और छायादार जगहें बनाई गई हैं। इसी के साथ बड़े कृत्रिम तालाब भी बनाए गए हैं। आमेर में पानी और जलस्रोतों की कमी के चलते हाथी गांव की सर्जना की गई थी।
आमेर के कुछ मॉन्यूमेंट और मंदिर ही नहीं बल्कि पूरा कस्बा देखने योग्य है। बाहर से आने वाले पर्यटक आमेर की गलियों में धूमकर भ्रमण का असली सुख उठाते हैं। आमेर की खंडहर हवेलियों का शिल्प भी दर्शनीय है।
Amber Site Scene
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आमेर महल – फ्री एंट्री
राजस्थान दिवस के अवसर पर 30 मार्च को आमेर महल के दरवाजे आम लोगों के लिए खुले रहेंगे और महल को देखने के लिए कोई शुल्क भी नहीं चुकाना होगा। राजस्थान दिवस के अवसर पर पर्यटन विभाग की ओर से होने वाले कार्यक्रमों की श्रंखला के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है।
आमेर महल
इस बार होली का त्योंहार आमेर महल प्रबंधन के लिए ताजगी और उल्लास लेकर आया। होली की छुट्टियों के दौरान आमेर महल विजिट करने वाले पर्यटकों की संख्या में अच्छी खासी बढोतरी हुई। 28 मार्च को धुलंडी के अगले दिन मौसम में गर्मी के बावजूद बड़ी संख्या में पर्यटक आमेर महल पहुंचे। विभाग के अनुसार करीब 2300 विदेशी और 4400 भारतीय पर्यटकों ने आमेर महल का विजिट किया। आमेर महल प्रबंधन को इस मौसम में पहली बार 7.53 लाख रुपए की आय हुई।
हाथी सवारी
होली के बाद जयपुर में गर्मी बढ़ने लगी है। यह देखते हुए आमेर महल प्रबंधन ने हाथी सवारी के राउंड कम करने का निर्णय लिया है। अभी तक 5 राउंड किए जा रहे हैं। जबकि नई व्यवस्था के तहत अप्रैल में सुबह 7 से 10.30 बजे तक व दोहपर 3.30 से शाम 5 बजे तक का समय रहेगा। मई व जून में यह समय सुबह 7 से 10 व दोपहर को 3.30 से 5 बजे तक रहेगा।
नवरात्र पर आमेर शिला माता दर्शन व्यवस्था
जयपुर के आमेर महल में स्थित शिला माता मंदिर में इस बार नवरात्र पर दर्शनों की विशेष व्यवस्था होगी। गुरूवार 11 अप्रैल को सुबह सवा 6 बजे मंदिर में घट स्थापना की जाएगी। इसके बाद 8 बजे से भक्त दर्शन कर सकेंगे। शुक्रवार से दर्शन को समय सुबह 6 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक तथा शाम को 4 बजे से रात साढे 8 बजे तक रहेगा। दोपहर साढे 12 बजे से शाम 4 बजे तक दर्शन बंद रहेंगे। मंदिर में सुबह 8 से सवा 8 तक बाल भोग, सुबह 11 से साढे 11 बजे तक राज भोग, संध्या आरती शाम 7 बजे होगी व रात्रि भोग रात 8 से सवा 8 बजे तक लगाया जाएगा। दर्शन की समयावधि समाप्त होने के बाद भी कतार में लगे श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जाएंगे।
आमेर में तमाशा
जयपुर में होली के अवसर पर किए जाने वाले लोकनाट्य तमाशा की अगली कड़ी बुधवार को आमेर के अंबिकेश्वर महादेव मंदिर में खेली जा रही है। अब तक यह तमाशा भट्ट परिवार की परंपरा नाट्य समिति की ओर से गोपीजी भट्ट के निर्देशन में किया जाता रहा है। गोपीजी के स्वर्गवास के बाद तमाशा की यह परंपरा उनके पुत्र दिलीप भट्ट निभा रहे हैं। दिलीप स्वयं इस नाट्य में गोपीचंद की भूमिका निभा रहे हैं। मंदिर में यह लोकनाट्य दोपहर 1 बजे आरंभ होकर तीन बजे तक चला।
आमेर शिला माता मंदिर में उमड़े श्रद्धालु
आमेर के शिला माता मंदिर में चैत्र शुक्ल दुर्गाष्टमी पर गुरूवार को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मंदिर में सुबह पूजा अर्चना के बाद जैसे ही पट खुले बड़ी संख्या में भक्तों ने जयकारों के बीच माता के दर्शन किए। कई श्रद्धालु कनक दण्डवत करते माता के द्वार पहुंचे। भक्तों ने मां को चुनरी, नारियल व प्रसाद अर्पित कर मनोकामनाएं मांगी।
ललित कला अकादमी को दी जाएगी बैराठियों की हवेली
जयपुर में पुरातत्व व पर्यटन विभाग आमेर में बैराठियों की हवेली को कला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के उपयोग में लेने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए राजस्थान ललित कला अकादमी के कलकारों को मौके देने की योजना बनाई जा रही है। दोनो विभागों के प्रमुख सचिव ललित कला अकादमी के अफसरों ने हवेली का दौरा भी किया। प्रस्ताव पर्यटन मंत्री बीना काक को भेजा गया है। काक ने इस मुद्दे पर और मंथन कर सुझाव मांगे हैं। उधर, ललित कला अकादमी के चेयरमैन भवानी शंकर ने मामले को अभी शुरूआती स्तर पर बताया है। हवेली को कला एवं संस्कृति के लिए उपयोग में लेने के संबंध में 27 मई को प्रमुख शासन सचिव पर्यटन राकेश श्रीवास्तव, पुरातत्व विभाग के निदेशक मनोज शर्मा सहित आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों की बैठक आयोजित हुई थी। इसके बाद निर्णय लिया गया कि राजस्थान ललित कला अकादमी के राजस्थान के प्रमुख ललित कलाकारों द्वारा यहां उनकी बनाई कला का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके लिए आमेर विकास प्राधिकरण के इंजीनियर्स को हवेली में जरूरी मरम्मत कार्य कराने के आदेश दिए गए थे।
सागर की मरम्मत
जल संसाधन विभाग की ओर से आमेर सागर के सुराख भरने में महीने भर का समय लगेगा। सागर के लीकेज ठीक करने के लिए मशीन से अभी तक करीब 35 जगह ड्रीलिंग का काम किया जा चुका है। इंजीनियरों के मुताबिक अब ड्रीलिंग के साथ ग्राउंटिंग भी की जाएगी। काम जल्द पूरा करने के लिए अतिरिक्त मशीन लगाई जाएगी। विभाग के एक्सईएन रवि सोलंकी का कहना है कि मौजूदा बारिश से काम प्रभावित नहीं होगा। सागर के सभी लीकेज भर दिए जाएंगे और उसमें पानी लंबे समय तक ठहर सकेगा। पिछली बरसात में सत्रह साल बाद सागर छलकने लगा था लेकिन सुराखों के कारण खाली हो गया। बाद में जल संसाधन विभाग ने काम शुरू भी किया लेकिन बीच में वन विभाग ने संचुरी एरिया में मशीनें चलाने पर आपत्ति जाहिर कर काम रूकवा दिया था। इसके बाद यह मामला मुख्य सचिव और पर्यटन मंत्री स्तर पर सुलझाया गया।