लक्ष्मणगढ़ दुर्ग : सीकर (Faxmangarh Fort : Sikar)

राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी भाग में जयपुर की सीमा से लगा से जिला है सीकर। सीकर सतत किसान आंदोलनों के कारण राजस्थान के इतिहास में अहम स्थान रखता है। संघर्ष की इस धरती पर धार्मिक पर्यटन के कुछ बड़े केंद्र हैं। खाटू श्याम मंदिर इसका उदाहरण है। सीकर जिले की तहसील लक्ष्मणगढ़ का दुर्ग अपनी बनावट और इतिहास से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
लक्ष्मणसिंह की शान
लक्ष्मणगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर सीकर शहर से लगभग 30 किमी उत्तर में स्थित एक छोटा कस्बा है। इस छोटे से कस्बे में सीकर के राजा लक्ष्मणसिंह द्वारा बनवाया गया भव्य किला है जिसे लक्ष्मणगढ़ दुर्ग के नाम से जाना जाता है। लक्ष्मणगढ़ दुर्ग एक श्रेष्ठ राजसी आवास के साथ साथ यहां स्थित प्रसिद्ध घंटाघर, बहुत सी प्राचीन हवेलियों, शानदार भित्तिचित्रों और छतरियों के लिए प्रसिद्ध है। इसीलिए लक्ष्मणगढ़ दुर्ग को राजस्थान के ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण किलों में शुमार किया जाता है। यह अद्भुत किला लक्ष्मणगढ शहर के पश्चिम में स्थित है।
प्रजा की रक्षा के लिए किया निर्माण
सीकर के राजा लक्ष्मणसिंह ने सीकर की प्रजा की रक्षा के लिए लक्ष्मणगढ़ की पहाड़ी पर इस दुर्ग का निर्माण 1862 में कराया और 1864 में इस दुर्ग के चारों ओर लक्ष्मणगढ़ शहर बसाया। अवधि को देखते हुए यह राजस्थान के अन्य दुर्गों में से सबसे नया माना जा सकता है। इससे पहले यह क्षेत्र बेरगांव के नाम से जाना जाता था, बेरगांव लंबे समय तक मील जाट शासकों की राजधानी रहा था। कहा जाता है कि कानसिंह सालेढ़ी ने सीकर ठिकाने को घेर लिया था। इसके अलावा भी सीकर ठिकाना आस पास के राजपूत राजाओं के निशाने पर रहता था। इसलिए सीकर को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्नीसवीं सदी के मध्य में राव राजा लक्ष्मणसिंह ने इस दुर्ग को बनवाया और सीकर की प्रजा की सुरक्षा मजबूत की। इतिहास के खूबसूरत स्थापत्य का यह दुर्ग शानदार उदाहरण है। वाकई पर्यटन की दृष्टि से लक्ष्मणगढ़ दुर्ग विशेष स्थान रखता है।
लक्ष्मणगढ़ कस्बे की सघन बस्ती के पश्चिमी छोर पर मध्यम ऊंचाई की पहाड़ी पर बना यह दुर्ग सारे कस्बे से नजर आता है। दुर्ग की सीधी खड़ी इमारत बहुत प्रभावशाली है। राजस्थान में ही नहीं, बल्कि भारत में यह किला अपने स्थापत्य और गोलाकार चट्टानों के विशाल खंडों पर बना होने के कारण बहुत प्रसिद्ध है।
अब निजी संपत्ति
यह खूबसूरत किला दुर्भाग्यवश वर्तमान में सीकर के एक व्यवसायी की निजी संपत्ति है। इसलिए आम जनता के लिए किला नहीं खोला गया है। फिर भी राजस्थान के इस दुर्ग का भ्रमण करने का रास्ता पूरी तरह बंद नहीं हुआ है। दुर्ग के मुख्यद्वार के बाहर से एक रैंप बना हुआ है। यह रैंप दुर्ग में बने एक मंदिर तक जाता है, यह मंदिर आम जनता और पर्यटकों के लिए खुला है। ऊंचाई पर बने इस मंदिर से लक्ष्मणगढ़ का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। रैंप के ही ठीक नीचे आप लक्ष्मणगढ़ की प्रसिद्ध चार चौक की हवेली का दृश्य भी देख सकते हैं। हवेलियों के लिए प्रसिद्ध सीकर जिले की यह खास हवेली है। रैंप से उतरने के बाद अपनी बनावट, स्थापत्य और भित्तिचित्रों के कारण आकर्षण का केंद्र इस हवेली के दर्शन किये जा सकते हैं। इसके अलावा यहां राधिका मुरली मनोहर मंदिर, चेतराम संगनीरिया हवेली, राठी परिवार हवेली, श्योनारायण कयल हवेली और डाकनियों का मंदिर आदि दर्शनीय स्थल हैं।
खूबसूरत हवेलियां
शेखावाटी की हवेलियों और किलों में बनी सुंदर फ्रेस्को पेंटिंग्स दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इसी के चलते शेखावाटी अंचल को ’राजस्थान की ओपन आर्ट गैलरी’ भी कहा जाता है। 1830 से 1930 के दौरान व्यापारियों ने अपनी सफलता और समृद्धि को प्रमाणित करने के उद्देश्य से सुंदर एवं आकर्षक चित्रों से युक्त हवेलियों का निर्माण कराया। इनमें चार चौक की हवेली, चेतराम संगनीरिया की हवेली, राठी परिवार की हवेली, श्योनारायण कयल की हवेली आदि प्रमुख हैं। इन हवेलियों के रंग शानों-शौकत के प्रतीक थे, समय गुजरा तो परंपरा बन गए और अब विरासत का रूप धारण कर चुके हैं।
कैसे पहुंचें लक्ष्मणगढ़
जयपुर से सीकर के लिए मीटर गेज की ट्रेनें चलती हैं। साथ ही बसों की भी अच्छी व्यवस्था है। सीकर में रेल्वे स्टेशन और बस स्टैंड पास पास ही हैं। यहां से लक्ष्मणगढ़ की दूरी लगभग 30 किमी है। सीकर से टैक्सी के जरिये भी लक्ष्मणगढ़ पहुंचा जा सकता है।
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