व्यक्तित्व Hindi

विद्याधर भट्टाचार्य : महान शिल्पकार

विद्याधर भट्टाचार्य : महान शिल्पकार (Vidyadhar Bhattacharya : The Great Architect)

Vidyadhar-Bhattacharya

जयपुर भारत में वास्तु के अनुसार नियोजित किया गया पहला खूबसूरत शहर है। प्राय: जयपुर को राजस्थान का गुलाबी नगर भी कहा जाता है। इन नाम के पीछे भी एक कहानी है। प्रिंस ऑफ वेल्स जयपुर के दौरे पर आने वाले थे। तब यह शहर रंग बिरंगा था। आम शहरों की तरह। खास मेहमान के आगमन की खुशी और स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग में रंग दिया गया। कहा जाता है कि शहर को रंगने के लिए बहुत सारे रंगों की कमी थी, जबकि गेरूआं रंग पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध था, इसलिए जल्दबाजी में पूरे शहर को गुलाबी रंग में रंगा गया। जयपुर यहां के खूबसूरत स्मारकों और पुराने बाजार के कारण प्रसिद्ध है। जयपुर के हस्तशिल्प से लेकर यहां के उद्यान सब कुछ खास है। जयपुर के लोग उत्साह और मुस्कान के साथ आगंतुकों का स्वागत करते हैं। जयपुर के अद्भुत किले, यहां की खूबसूरत झीलें व तालाब और रेत के टीलों के कारण विविधताओं भरा खूबसूतर शहर है। सिर्फ कृत्रिम ही नहीं प्राकृतिक रूप से भी जयपुर एक लाजवाब और खूबसूरत शहर है जो दुनियाभर के पर्यटकों को अपना दीवाना बना लेता है। जयपुर में दुनिया के बेहतरीन होटलों की लंबी श्रंख्ला ने भी पर्यटकों को विशेषरूप से आकर्षित किया है।

महान शिल्पकार : विद्याधर

जयपुर शहर अपने बेजोड़ शिल्प और वास्तु स्थापत्य के कारण दुनियाभर में मशहूर है। कहा जाता है कि जयपुर को अगर नापा जाए तो एक सूत का भी अंतर नहीं आता। यहां के रास्ते, गलियां, समकोण चौराहे, चौपड़ें, भवन, हवेलियां, बरामदे, महल, झरोखे, कंगूरे, महल आदि सभी बहुत ही नपे तुले और शानदार शिल्प से युक्त हैं। इस शहर को शाहकार बनाने का श्रेय जाता है जयपुर रियासत के तत्कालीन युवा शिल्पज्ञाता और वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य को। विद्याधर एक बंगाली ब्राह्मण था जो जयपुर बसने से पूर्व आमेर रियासत में महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के खास हुनमंद दरबारियों में से एक था। आमेर रियासत के कोषागार में विद्याधर एक लिपिक के रूप में कार्य करता था। लेकिन वास्तव में वह एक प्रकांड विद्वान होने के साथ साथ शिल्प, स्थापत्य और वास्तु का अच्छा जानकार था। महाराजा जयसिंह भी उसके हुनर के कद्रदान थे। जब आमेर में पेजयल की कमी और बढ़ती जनसंख्या के लिए अतिरिक्त आवास की जरूरत पड़ी तब महाराज जयसिंह ने नया नगर बसाने पर विचार किया। उन्होंने सभी मंत्रियों, आमात्यों से परामर्श मांगा। तब विद्याधर ने प्रस्तावित नगर का नक्शा बनाया। यह नक्शा ज्यामितीय और वास्तु के आधार पर बनाया गया था। पूरे शहर को ग्रहों की स्थिति के अनुसार नौ खंडों में बांटा गया था। केंद्रीय स्थिति में मुख्य महल को रखा गया था। दो खंड़ों में शानदार राजमहल की कल्पना की गई थी और शेष सात खंडों में प्रजा का निवास कल्पित किया गया। शहर के मुख्य रास्तों पर बाजार की कल्पना की गई। शहर को परकोटे और सात दरवाजों से सुरक्षित किया गया। महाराजा जयसिंह द्वितीय को यह नक्शा इतना पसंद आया कि उन्होंने तुरंत नए नगर की नींव रख दी और निर्माण कार्य देखने की जिम्मेदारी इस युवा वास्तुकार को दे दी। विद्याधर की निगरानी में ही 1727 से 1732 तक नए नगर जयपुर का ढांचा तैयार हो गया था। एक एक चौकड़ी की प्लानिंग की गई थी। शहर में पेयजल, यातायात, बाजार, मंडियां, महल, मंदिर, चौक आदि को पूरी योजना से तैयार किया गया था। जयपुर शहर पहला ऐसा शहर था जिसे हिन्दू वास्तुविधि और भारत के प्राचीन ’शिल्प शास्त्र’ के आधार पर रचा गया था।

जयपुर का इतिहास

जयपुर शहर का इतिहास लगभग तीन सौ साल पुराना है। देश में मुगल साम्राज्य का धीरे धीरे पतन हो रहा था। जयपुर की स्थापना महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1727 में की थी। जयसिंह कछवाहा राजपूत थे। उन्होंने आमेर और फिर जयपुर पर सन 1699 से 1744 तक राज किया। आरंभ में कछवाहा राजपूतों की राजधानी आमेर थी। आमेर वर्तमान में जयपुर शहर से 11 किमी उत्तर में पहाड़ियों से घिरा एक उपनगर है। पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां पेयजल की समस्या थी। चारों ओर पहाड़ियां होने के कारण रियासत को फैलाया नहीं जा सकता था। फिर मराठों के आक्रमण का भय भी था। इन सभी समस्याओं के मद्देनजर महाराजा ने नया नगर बसाने की योजना की।

जयपुर देश का पहला पूरी तरह नियोजित तरीके से बसाया गया शहर था। लेकिन एक पूरे शहर का कागज पर नक्शा बनाकर शहर तैयार करना आसान कार्य नहीं था। इसके लिए महाराजा जयसिंह जो कि स्वयं भी वास्तु, ज्योतिष और शिल्पशास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे, ने दुनियाभर के शिल्पशास्त्रों, वास्तु ग्रंथों का विषद अध्ययन किया। एक एक वस्तु और स्थिति के बारे में लंबी परिचर्चाएं की गई। शहर में सभी सुविधाएं जुटाने के लिए ज्ञानवान मंत्रियों और अमात्यों के विचार और सुझाव जाने गए। चूंकि यह भारतीय इतिहास का पहला शहरी नियोजन था इसलिए हर एक चीज को बहुत ही मंथन के बाद तैयार किया गया। विद्याधर भट्टाचार्य की अगुवाई में एक शानदार, वास्तुआधारित, ज्योतिषीय गणना के मुताबिक खूबसूरत जयपुर शहर का निर्माण किया गया।

अद्भुत नियोजन

सभी परिचर्चाओं और सलाह मशवरे के बाद कागज पर नए शहर की योजना तैयार थी। इतिहास में उल्लेख मिलता है कि नया शहर बसाने से पूर्व पुराने आमेर रोड़ पर वरदराजजी की घाटी में एक महान यज्ञ किया गया था। इसके बाद वर्तमान जयपुर के गंगापोल या तालकटोरे के आसपास जयपुर शहर की नींव प्रकांड पंड़ितों के निर्देशन में महाराजा सवाईजयसिंह द्वितीय ने रखी। कहा जाता है कि शहर के नींव पूजन कार्यक्रम में कई रियासतों के राजा सम्मिलित हुए। यहां कुल देवी की उपासना के बाद नींद में स्वर्ण, हीरे मोती और माणक रखे गए। इसके बाद हजारों की तादाद में कुशल कारीगर और मजदूर एक साथ लगे और चार साल में भव्य शहर का ढांचा तैयार कर दिया। इन चार साल में महल, चौकड़ियां, प्रमुख हवेलियां और बाजार विकसित कर दिए गए। इसके बाद मुख्य महल आमेर से जयपुर स्थानांतरित हुआ। प्रमुख ओहदेदारों को हवेलियां अलॉट की गईं। देश प्रदेश से कुशल कारीगरों को चौकड़ियों में बसाया गया। प्रमुख ओहदेदारों के नाम पर गलियों का नाकरण हुआ। बड़ी संख्या में प्रजा आमेर से जयपुर स्थानांतरित कर दी गई। लेकिन प्रजा का बहुत बड़ा हिस्सा अब भी आमेर ही रहा। शहर का उत्तरी दरवाजा देर रात तक खुला होता था ताकि आमेर आने-जाने वालों को किसी तरह की परेशानी न हो।

क्रमिक विकास

विद्याधर भट्टाचार्य ने एक खूबसूरत शुरूआत दी। इसके बाद जब भी जयपुर में कुछ नया किया गया, विद्याधर की सोच और शिल्प को बनाए रखने की ही कवायद की गई। जैसा की ऊपर उल्लेख किया जा चुका है कि जयपुर अपनी स्थापना के समय एक रंग बिरंगा शहर था, लेकिन  1853 में प्रिंस ऑफ वेल्स जयपुर को देखने के लिए आए। उनके आने की सूचना जब महाराजा रामसिंह को लगी तो वे बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने सारे शहर को गुलाबी रंग में रंगने का आदेश दे दिया। तब से जयपुर गुलाबी शहर बन गया।

एक युवा शिल्पकार वास्तुकार की सोच सदियों से भी आगे निकल गई। आज जयपुर में मेट्रो योजना पर तेजी से काम हो रहा है। लेकिन शिल्पकारों और इंजीनियरों को हिदायत दी गई है कि मेट्रो, मेट्रो स्टेशनों और पिलरों को जयपुर का गुलाबी रंग ही दिया जाए। यह विद्याधर भट्टाचार्य की अमरता है। उन्होंने वाकई दुनिया को एक लाजवाब शहर दिया है।

विद्याधर की याद में

जयपुर शहर ने भी विद्याधर की स्मृति को सिर आंखों पर रखा है। विद्याधर की याद में आगरा रोड पर ’विद्याधर बाग’ का निर्माण किया गया। इस खूबसूरत बाग के ऊंचे नीचे स्तर, लॉन, छतरियां, बरामदे, श्रीकृष्ण राधा के भित्तिचित्र, फूलों के पौधे, फव्वारे सब इस गार्डन को बहुत खूबसूरत लुक देते हैं। आरंभ में यह बाग राजपरिवार के सदस्यों, रानियों व राजकुमारियों के विहार का प्रमुख स्थल था। लेकिन अब आम जनता इस बगीचे का सौंदर्य निहारती है। विद्याधर को ही नमन करते हुए यहां के शहरी विकास विभाग और नगर निगम ने मिलकर विद्याधरनगर आवासीय योजना शुरू की। पूरा विद्याधरनगर नियोजित तरीके से बनाया गया है और इसके भवनों और इमारतों में गुलाबी रंग का इस्तेमाल भी किया गया है। मल्टीस्टोरी इमारतों से युक्त यह खूबसूरत उपनगर अतीत को वर्तमान की छोटी सी भेंट है। विद्याधर तब तक याद किए जाएंगे, जब तक जयपुर रहेगा।

Tags

About the author

Pinkcity.com

Our company deals with "Managing Reputations." We develop and research on Online Communication systems to understand and support clients, as well as try to influence their opinion and behavior. We own, several websites, which includes:
Travel Portals: Jaipur.org, Pinkcity.com, RajasthanPlus.com and much more
Oline Visitor's Tracking and Communication System: Chatwoo.com
Hosting Review and Recommender Systems: SiteGeek.com
Technology Magazines: Ananova.com
Hosting Services: Cpwebhosting.com
We offer our services, to businesses and voluntary organizations.
Our core skills are in developing and maintaining goodwill and understanding between an organization and its public. We also conduct research to find out the concerns and expectations of an organization's stakeholders.

1 Comment

Click here to post a comment

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

  • […] विद्याधर भट्टाचार्य द्वारा नियोजित, जयपुर भारत में पहला नियोजित शहर होने का गौरव रखता है। अपने रंगीन रत्नों के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध, राजस्थान की राजधानी महानगर के सभी लाभों के साथ अपने प्राचीन इतिहास के आकर्षण को जोड़ती है। हलचल भरा आधुनिक शहर स्वर्ण त्रिभुज के तीन कोनों में से एक है जिसमें दिल्ली, आगरा और जयपुर शामिल हैं। […]

%d