जयपुर Hindi

चांद बावड़ी

Chand Baori

Chand Baoriराजस्थानी में बावड़ी का अर्थ होता है कृपा होना। राजस्थान जैसे प्राय: अकालग्रस्त रहने वाले राज्य में जल हमेशा से ही अमृत का पर्याय रहा है। वर्षा जल को संचित रखने के लिए यहां बावडियां बनाई जाती थी। इन बावडियों से अकाल के समय पानी इस्तेमाल करना एक विकल्प होता था। बावड़ी एक प्रकार का कदम-कूप होता है। ऐसा कुआ जिसमें सीढियों से उतरकर जाया जा सके। चांद बावड़ी के बारे में एक लोक-कहिन ये भी है कि अकाल के दौरान चरवाहे बड़ी संख्या में अपने पशुओं को लेकर यहां आते थे और सैंकड़ों की संख्या में पशु एक साथ बावड़ी में उतरकर प्यास बुझाया करते थे। चांद बावड़ी को अपने सीढिनुमा जाल के कारण स्टेपवेल भी कहा जाता है। आमतौर पर एक और धारणा है चांद बावड़ी के बारे में। यह बावड़ी प्राचीन हर्षत माता मंदिर के ठीक सामने स्थित है। इतिहासकारों का मत है कि बावड़ी विशाल मंदिर के प्रांगण में ही स्थित थी। मंदिर आने वाले श्रद्धालु यहां हाथ पांव प्रक्षालित करते थे।

चांद बावड़ी ( Chand Baori ) – आभानेरी ( Abhaneri)

<

p style=”text-align:justify;”>AbhaneriAbhaneriविशाल जलाशय चांद बावड़ी राजस्थान की प्राचीनतम बावडियों में से एक है। 9 मीटर से भी गहरी इस बावड़ी का निर्माण निकुम्भ राजवंश के राजा चांद ने करवाया था। राजा चांद को चन्द्र के नाम से भी जाना जाता है जिन्होंने 8वीं-9वीं सदी में आभानेरी पर शासन किया था। आभानेरी को आभानगरी के नाम से भी जानी जाती थी। स्थापत्य कला प्रेमी राजा चांद ने यह विशाल बावड़ी और हर्षत माता का अदभुद मंदिर बनवाया था। इन भव्य धरोहरों को तुर्क आक्रान्ताओं ने जी भर कर भग्न किया। हर्षत माता का संपूर्ण मंदिर उन्हीं भग्न टुकड़ों का जोड़कर पुन: बनाया गया है। जबकि चांद बावड़ी अपने मौलिक रूप में आज भी बनी हुई है। अनगिनत सीढियों के जाल होने के कारण देखने में यह बावड़ी अदभुद है। सीढियों के दो तरफा गहरे सोपान होने के कारण इसे स्टेपवेल भी कहा जाता है।

बावड़ी के चारों ओर दोहरे खुले बरामदों का परिसर है जबकि प्रवेश द्वार के दायें ओर छोटा गणेश मंदिर व बायें ओर स्मारक परिसर का कार्यालय कक्ष है।

यह बावड़ी योजना में वर्गाकार है तथा इसका प्रवेशद्वार उत्तर की ओर है। नीचे उतरने के लिए इसमें तीन तरफ से दोहरे सोपान बनाए गए हैं। जबकि उत्तरी भाग में स्तंभों पर आधारित एक बहुमंजिली दीर्घा बनाई गई है। इस दीर्घा से प्रक्षेपित दो मंडपों में महिषासुरमर्दिनी और गणेश की सुंदर प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं। बावड़ी का प्राकार, पाश्र्व बरामदे और प्रवेशमंडप मूल योजना में नहीं थे और इनका निर्माण बाद में किया गया।

चांद बावड़ी के भीतर बनी तीन मंजिला तिबारियां, गलियारे और कक्ष भी अपनी बेमिसाल बनावट, पाषाण पर उकेरे गए शिल्पों और भवन निर्माण शैली से विजिटर्स को हैरत में डालते हैं। चांद बावड़ी के चारों ओर लोहे की लगभग तीन फीट की बाधक मेढ लगाई गई है। आमतौर पर इसे लांघने की इजाजत नहीं है और बावड़ी के बाहर से ही इसका नजारा लिया जा सकता है। लेकिन पुरातत्व विभाग, जयपुर से विशेष अनुमति से बावड़ी के निचले हिस्से में जाने और वीडियो शूट करने आज्ञा मिल सकती है। चांद बावड़ी ऊपर से विशाल और चौरस है। यहां से दो तरफा सोपान वाली कई सीढि़यां इसके तीन ओर बनी हुई हैं जो सीढियों का जाल सा प्रतीत होती हैं। ये सीढियां पानी की सतह तक जाती है। सोपान हर स्तर पर एक प्लेटफार्म तैयार करते हैं और नीचे की ओर जाने पर बावड़ी की चौडाई क्रमश: सिकुड़ती जाती है। पानी के कुछ ऊपर एक ऊंची बाधक मेढ लगाई गई है जिसे लांघने की मनाही है।

बावड़ी में पानी एक आयताकार छोटे कुंड में भरा है। कुण्ड के तीन ओर जालनुमा सीढियां और एक ओर तिबारियां व खुले कक्ष बने हुए हैं, जिनमें स्नान के बाद वस्त्र बदले और सुखाए जाते थे। बावड़ी की इन्हीं तीन मंजिला तिबारियों और झरोखों में कुछ सुंदर छोटे मंदिर भी बने हैं।

चांद बावड़ी का विजिट करने दुनियाभर के पर्यटक यहां आते हैं और जालनुमा सीढियों के इस हजार साल से भी पुराने शिल्प को देखकर हैरत में पड़ जाते हैं।

चांद बावड़ी ( Chand Baori ) के बरामदों में सदियों पुराना शिल्प

Chand Baori Chand Baori

बावड़ी के चारों ओर चौरस खुला धरातल है जिसके बाद चारों ओर खुले बरामदे और गलियारे बने हैं। इन बरामदों और गलियारों में हर्षत माता मंदिर और आस-पास के इलाकों से प्राप्त पुरामहत्व की भग्न मूर्तियां, द्वारशाखाएं, प्रतिमाएं आदि रखी हैं। ये पुरामहत्व की भग्न प्रतिमाएं पुरावेत्ताओं के लिए अध्ययन का विषय बनी हुई हैं। आभानेरी में ऐतिहासिक विषयानुसंधान के दौरान तीसरी और चौथी सदी की कुछ मूर्तियां एवं कलात्मक पाषाण स्तंभ मिले हैं, जो वर्तमान में जयपुर के अल्बर्ट हॉल म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे हैं। म्यूजियम में आभानेरी से प्राप्त कुछ पाषाणखण्ड, द्रविड शैली की द्वारशाखाएं, नागबंध, गंधर्व और मिथुनाकृतियां भी आपने शिल्प विधान से चौंकाती हैं।

वर्तमान में हर्षत माता मंदिर और चांद बावड़ी भारत सरकार द्वारा संरक्षित राष्ट्रीय स्मारक हैं।

आशीष मिश्रा
09928651043
पिंकसिटी डॉट कॉम
नेटप्रो इंडिया

For English: Chand Baori

Chand Baori Gallery

Chand Baori Dausa district of Rajasthan state in India

Tags

About the author

Pinkcity.com

Our company deals with "Managing Reputations." We develop and research on Online Communication systems to understand and support clients, as well as try to influence their opinion and behavior. We own, several websites, which includes:
Travel Portals: Jaipur.org, Pinkcity.com, RajasthanPlus.com and much more
Oline Visitor's Tracking and Communication System: Chatwoo.com
Hosting Review and Recommender Systems: SiteGeek.com
Technology Magazines: Ananova.com
Hosting Services: Cpwebhosting.com
We offer our services, to businesses and voluntary organizations.
Our core skills are in developing and maintaining goodwill and understanding between an organization and its public. We also conduct research to find out the concerns and expectations of an organization's stakeholders.

Add Comment

Click here to post a comment

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: