जब और राजस्थान की धरती पर कदम रखते हैं तो गर्व और सम्मान से भर जाते हैं। यह एक तथ्य है कि दुनियाभर में राजस्थान एक ऐसा क्षेत्र है जो अपनी गौरवशाही परपंराओं और समृद्ध विरासतों से आगंतुकों को गौरवान्वित महसूस कराता है। इस समृद्धशाली क्षेत्र की राजधानी जयपुर एक ऐसी मिसाल है जो इस गर्व को रूह से महसूस करने का अवसर प्रदान करता है, एक ऐसा शहर जिसने अपनी ऐतिहासिक परंपराओं की जड़ों को कायम रखते हुए आधुनिकता के आयाम छुए हैं, आप देखगें, तो बस अभिभूत हो जाएंगे।
जयपुर भ्रमण करने के कुछ विशेष कारण–
1 राजस्थान की संस्कृति ही है मेहमान को सिर-आंखों पर बिठाकर आव-भगत करना। यहां के प्रसिद्ध लोकगीत ’पधारो म्हारे देस’ में एक मनुहार सुनाई देती है। इस मनुहार में मेजबानी की उत्कंठा है। बढ़ते वैश्वीकरण और बदलते जीवन मूल्यों के बीच जयपुर ही एक ऐसी जगह है, जहां मेहमाननवाजी का जटिल व्यावसायीकरण नहीं हुआ है। यहां के लोग अपनी परंपराओं से गहराई से जुड़े हैं और मेहमाननवाजी यहां की प्रमुख परंपरा है। आप जब जयपुर आएंगे तो स्थानीय लोग आपको इस तरह आत्मसात कर लेते हैं जैसे आपका यहां से पूर्व जन्म का कोई रिश्ता रहा हो।
2 जयपुर कला की नगरी है। कला के दीवाने दुनियाभर में मौजूद हैं और कला देश-दुनिया की सीमाओं और जुबान की बंदिशों से परे है। जयपुर की माटी कला का संरक्षण करना और उसे उत्कृष्ट रूप में बयान करना जानती है। जयपुर में जवाहर कला केंद्र, रवीन्द्र मंच की कला दीर्घाएं कलाओं और कलाकारों की मौजूदगी से महकती रहती हैं। कलाकारों की अद्वितीय कल्पना और प्रतिभा की प्रस्तुतियों को आप सांस थामकर महसूस करेंगे और कलाएं आपको सांस लेती मालूम होंगी। जयपुर एक कलात्मक शहर है और इस शहर की कला का आभास करने के लिए लोग सात समंदर पार से आते हैं और अभिभूत होकर लौटते हैं।
3 राजस्थान के लोकनृत्य भी मेहमानों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। खास तौर से कालबेलिया और घूमर नृत्य विेदेशी मेहमानों को को आनंदलोक की सैर कराते हैं। नृत्य यहां की सांस्कृतिक विरासत का विशिष्ट अंग हैं और विदेशी पर्यटक यहां की संस्कृति से कुछ समय के लिए जुड़कर गौरवान्वित महसूस करते हैं। राजस्थान और जयपुर में राज्य सरकार व पर्यटन विभाग बहुत सारे कार्यक्रमों में लोकनृत्यों को तरजीह देते हैं। मेहमान इन कार्यक्रमों का न केवल साथ नाचकर लुत्फ उठाते हैं बल्कि अपने कैमरे में नृत्य के वे जीवंत लम्हे कैद कर यादों में संजो लेते हैं।
4 जयपुर का हस्तशिल्प भी दुनियाभर में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। यहां की शिल्पकारी मंत्रमुग्ध करती है। जयपुर के कारीगरों के बनाए अद्भुत शिल्प हैरत में डाल देते हैं। यहां के स्थानीय बाजार हस्तशिल्प उत्पादों से अटे होते हैं और सस्ती कीमत पर शानदार शिल्प मिल जाते हैं। प्रशासन की ओर से समय समय पर हस्तशिल्प और हस्तकरघा उत्पादों की प्रदर्शनी और बाजार सजाए जाते हैं जिनमें स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक बड़ी संख्या में उपस्थित होते हैं। यहां के हस्तकरघा में बगरू प्रिंट के वस्त्र, सांगानेरी प्रिंट की चादरें, सूती वस्त्र, खादी के विभिन्न उत्पाद एवं हस्तशिल्प में पत्थर, लकड़ी और चमड़े से बना सामान विशेष रूप से आकर्षित करता है।
5 स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से रूबरू होना हर पर्यटक को अच्छा लगता है। सैंकड़ों मील की दूरी तय करके एसी कमरों और उन्नत सुविधाओं की चाह प्राथमिक नहीं होती। बल्कि पर्यटक भ्रमण वाले स्थान की स्थानीय खूबियों का पता लगाने और उनके बारे में जानने की चाह रखता है। इसी तथ्य के आधार पर जयपुर में चोखी ढाणी और आपणो राजस्थान जैसे स्थान विकसित किए गए। इन स्थानों पर राजस्थानी रहन-सहन और लोकपरंपरा का माहौल तैयार किया गया, स्थानीय तरीके से खाना परोसना, आवभगत करना, आंचलिक खूबियों के साथ लोकरंग व नृत्यों की प्रस्तुति इन्हें विशेष बनाती है और यही कारण है कि पर्यटक यहां आकर स्वयं को राजस्थान की माटी का अंग महसूस करते हैं।
6 जयपुर अपनी परंपराओं का निर्वहन बखूबी कर रहा है लेकिन इस कारण यह आधुनिक दुनिया और आधुनिक जीवन शैली से कटा हुआ क्षेत्र नहीं है। जयपुर में मॉल संस्कृति पर्याप्त विकसित है और जयपुर में आप किसी भी अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड को यहां के चमचमाते मॉल्स में प्राप्त कर सकते हैं। जयपुर में मॉल्स की कोई कमी नहीं है। यहा के पॉश इलाकों में एमजीएफ, क्रिस्टल कोर्ट, पिंक स्क्वायर, हाईपरसिटी जैसे दर्जनों आधुनिक मॉल मौजूद हैं।
7 इतिहास भी पर्यटन का प्रमुख हिस्सा है, यदि आप ऐतिहासिक इमारतों और तथ्यों से लगाव रखते हैं तो जयपुर से बेहतर कोई जगह नहीं। जयपुर को दुर्गों और प्राचीन इमारतों का नगर भी कहा जाता है। जयपुर ही नहीं जयपुर के आस-पास भी तीसरी-चौथी सदी तक के स्मारक देखे जा सकते हैं। जयपुर में नाहरगढ़, जयगढ़, आमेर महल, मोती महल, जल महल, हवामहल सिटी पैलेस, आमागढ़ आदि प्रमुख दुर्ग और महल हैं। इसके अलावा जयपुर के पास सामोद, चौमूं हाउस, आभानेरी, भानगढ़, टोडारायसिंह जैसे ऐतिहासिक महत्व के स्थल है।
8 जयपुर को छोटी काशी भी कहा जाता है। इसका कारण यहां की धार्मिक आस्थाएं हैं। जयपुर में अनेक विश्वप्रसिद्ध मंदिर और धार्मिक स्थल हैं। जयपुर का गलता तीर्थ देशभर की आस्था का केंद्र है। यहां गोविंददेवजी का प्राचीन मंदिर जयपुर के राजाओं से लेकर आम जन तक का आस्था स्थल रहा है। इसके अलावा यहां मोती डूंगरी गणेशजी, गढ गणेशजी, बिरला मंदिर, ताड़केश्वरजी, खोले के हनुमाजी, काले हनुमानजी, चांदपोल हनुमानजी, इस्कॉन टेम्पल, जामा मस्जिद, कई चर्च और अनेक धार्मिक स्थल हैं।
9 जयपुर शहर का गुलाबी रंग भी इसे बाकी दुनिया से अलग श्रेणी में खड़ा करता है। जयपुर के महाराजा रामसिंह ने ब्रिटिश महारानी के आगमन की खुशी में परकोटा स्थित शहर को गुलाबी रंग में रंगवा दिया था। मेहमाननवाजी की ऐसी मिसाल और कहां मिलेगी। परकोटा स्थित पुराना शहर अपने आप में एक विशाल म्यूजियम है। वास्तु के अनुसार नौ खण्डों में बने इस अद्वितीय नगर को देखना एक अनोखा अनुभव है।
10 जयपुर शहर अपने राजसी ठाठ-बाट और रहन सहन के कारण दुनिया भर में मशहूर है। जयपुर के राजमहल में आज भी राज परिवार निवास करता है और शहर के विशेष त्योंहारों की खुशी जनता के साथ शेयर करता है। आज बदलते परिवेश में राजसी लोगों का रहन सहन, खान पान और मौजूदगी दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करती है। सिटी पैलेस यहां का मुख्य नगरप्रासाद है। यहां एक विशाल एरिया में म्यूजियम में राजसी वस्तुओं का संग्रह भी किया गया है। सिटी पैलेस के पास ही जंतर-मंतर वेधशाला भी स्थित है जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का ऐलान किया है।
जयपुर भ्रमण करने के सैंकड़ों कारण हैं। देखने वाले का अपना नजरिया है। हो सकता है गलता के पावन कुण्डों और मंदिरों की प्राचीरों पर अठखेलियां करते सैकड़ों वानर ही किसी की नजर में जयपुर की सबसे खूबसूरत खूबी हों, बस यहां आकर ही आप ये जान सकते हैं कि फिर भी यह मंकी टेम्पल नहीं बल्कि गालव ऋषि की तपोस्थली है। जयपुर आईये, आपको आने की वजहें हजार मिलेंगी, बस लौटने के कारण कम पड़ जाएंगे।
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