हवामहल रोड़ पर गुप्ता कॉलेज भवन परिसर में मौजूद कल्कि मंदिर अपनी तरह का अनोखा मंदिर है। अपनी दक्षिणी शैली वाले काले पत्थर की गुम्बद वाला ये अनोखा मंदिर कई मायनों में खास है। यह कल्कि भगवान का मंदिर है। मान्यता है कि कल्कि विष्णु के अंतिम अवतार होंगे और भविष्य में जन्म लेंगे। मंदिर के पुजारी का कहना है कि कलियुग में पाप का घड़ा जब पूरी तरह भर जाएगा तो भगवान कल्कि अवतार लेकर पापियों का नाश करेंगे। कलियुगी अवतार होने के कारण ही उन्हें कल्कि कहा गया है। मंदिर के खुले अहाते में एक छतरीनुमा गुमटी भी बनी है जो चारों ओर जाली वाले पत्थरों से ढकी हुई है। इस बंद गुमटी में बेशकीमती पीले संगमरमर के घोडे़ की मूर्ति बनी हुई है। इस घोडे़ के खुर का अग्रभाग खंडित है। कहा जाता है कि जिस दिन घोडे़ के पैर का यह घाव भर जाएगा उस दिन भगवान कल्कि का अवतरण होगा। मंदिर के पुजारी का कहना है बरसों पहले यह खंडित भाग बडा था और अब यह अंश बहुत कम रह गया है।
ऐसी ही मान्यताओं, परंपराओं और उत्कट आस्थाओं से ही जयपुर की अपनी विशिष्ट पहचान बनी है।
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