गोडावण : राज्य पक्षी
राजस्थान वन विभाग शीघ्र ही कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। अब तक बाघों के संरक्षण में सिर खपाने वाले वन विभाग ने अब अन्य दुर्लभ जीवों की सुध लेना भी शुरू कर दिया है। इनमें से एक दुर्लभतम पक्षी है ’द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ यानि गोडावण। सरकार के वन विभाग ने गोडावन की रक्षार्थ गोडावन संरक्षण प्रोजेक्ट की शुरूआत की है। राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण है। रेगिस्तानी इलाकों पाया जाने वाला यह पक्षी अब दुर्लभ है। बड़े आकार और अपने वजन के कारण यह एक दुर्लभ पक्षी है। गोडावन भारी होने के कारण उड़ नहीं सकता लेकिन लंबी और मजबूत टांगों के सहारे बहुत तेजी से दौड़ सकता है। गोडावन को बचाने के लिए राज्य सरकार ने हाल ही में एक प्रोजेक्ट तैयार किया है। प्रोजेक्ट का विज्ञापन ’मेरी उड़ान न रोकें’ जैसे मार्मिक वाक्यांश से की गई। गोडावन को बचाने का यह प्रोजेक्ट है ’ ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’
गोडावण की रक्षा और संरक्षण के लिए इस प्रोजेक्ट के रूप में कार्य आरंभ करने वाला राजस्थान पहला राज्य बन चुका है। वन विभाग गोडावण संरक्षण के लिए 400 हैक्टेयर में क्लोजर का निर्माण करने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के अलावा भी सरकार अन्य प्रोजेक्ट पर शीघ्र कार्य आरंभ करने जा रही है। इनमें सरिस्का बाघ परियोजन का पुनरूद्धार, वन एवं वन्यजीव संबंधित सेंटर फोर एक्सीलेंस, जयपुर एवं उपकेंद्र रणथंभौर, मुकन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व कोटा, मुकंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान कोटा, कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान राजसमंद, पेंथर कन्जर्वेशन प्रोजेक्ट पाली, सेमी केप्टिव एक्जीबिट सेंटर फोर साइबेरियन क्रेन भरतपुर, शाकंभरी, गोगेलाव, रोटू, बीड, झुंझनू, उम्मेदगंज और जवाई बांध लैपर्ड कन्जर्वेशन रिजर्व, रणथंभौर टाइगर रिजर्व में कोरिडोर विकास आदि कार्यक्रम शामिल हैं। इन घोषणाओं से वन्यजीव प्रेमियों में खुशी और उत्साह की लहर है। सरकार ने इन प्रोजेक्ट के साथ ही लगभग 1800 वनरक्षकों, सुरक्षाकर्मियों की भर्ती और 144 वाहनों के क्रय का भी लक्ष्य रखा है।
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