सत्यमेव जयते ( Satyameva Jayate ) का अर्थ है सत्य की विजय, आज तक हम इसके मायने इससे अधिक नहीं समझ सके। ज्यादातर लोगों के दिलों दिमाग में इन दो शब्दों का स्थान मात्र अशोक स्तम्भ के नीचे तक ही सीमित है। सार्थकता के लिहाज से कोई संतोषजनक उत्तर आसानी से नहीं मिलता है। अब एक व्यक्ति द्वारा मुद्दा उठाया जा रहा है और हम नींद से जाग रहे हैं। और यही कारण है कि मैं भी अपने विचार उकेरने से अपने आपको नहीं रोक सका। बड़े अचरज का विषय है, हममें से शायद आज तक किसी ने विचार नहीं किया कि एक आम आदमी किस प्रकार सत्यमेव जयते की शक्ति का उपयोग कर सकता है। भारतीय मुद्रा में इसका अहम स्थान है। वहीं दूसरी ओर हम भारतीय ही सत्यमेव जयते से सम्मानित मुद्रा का उपयोग अनैतिक कार्यों के लिए कर रहे है।
यदि हमारा कोई काम रुकता है तो सबसे पहले हमारे मस्तिष्क में यही विचार आता है – थोड़े पैसे दे देते हैं काम हो जाएगा। दरअसल आज के युग में पैसे से ज्यादा समय का मोल है और उसके लिए हम कुछ भी करने को तैयार हैं। यहीं से भ्रष्टाचार की नीव पड़नी शुरु होती है। तब हम सत्यमेव जयते का अर्थ नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जितना पैसा लग जाए परन्तु काम नहीं रुकना चाहिए, यही हमारी नियति बन चुकी है। कहीं न कहीं एक नए दौर का सूर्योदय हो चुका है। भारतवर्ष में ऐसा दिन जरुर आएगा जब सत्यमेव जयते सत्य में अपनी विजय गाथा का परचम फहराएगा। पहले एक नेता और फिर एक अभिनेता सत्य के अभियान में मैदान में उतरे हैं। पहले ही दिन से इसे अवाम का अभूतपूर्व समर्थन भी मिला है। लगता है कि असत्य की दुंदुभी अब और समय तक नहीं बजेगी।
बड़े गर्व का विषय है कि स्टार प्लस पर प्रसारित पहले कार्यक्रम में राजस्थान को दर्शाया गया। पर अगले ही पल यह शर्मनाक लगा कि हम कन्या भ्रूण हत्या की रेस में कितने आगे हैं। यही नहीं धनाढ्य, उच्चवर्ग व सुशिक्षित लोग इसके प्रमुख भागीदार हैं। सत्य की यात्रा में प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों, व बड़े – बड़े उद्योगपतियों को भी इसमें शामिल हो जाना चाहिए। उद्योगपति शायद एक ऐसा वर्ग है जो भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा परेशान है। आज हमारे देश को एक ऐसे नेता की जरुरत है जो इस देश को नहीं वरन देश की अवाम को साथ ले कर चल सके। उनकी जरुरतों को समझ सके, भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ सके और सत्य एवं सभ्य समाज का निर्माण कर सके। वही सत्यमेव जयते की सार्थकता को सिद्ध कर सकता है।
अश्विनी बग्गा
9636030303
उदयपुर।
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