कोविड टीके के प्रति जन जागरण में मीडिया ने निभाई अहम भूमिका

उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग एवं लोक संवाद संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में यूनिसेफ एवं प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी)के सहयोग से बुधवार को सुखाड़िया विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती अतिथि गृह सभागार में ‘कोविड टीकाकरण में मीडिया की भूमिका' विषयक मीडिया वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यशाला में स्वास्थ्य विशेषज्ञों और मीडियाकर्मियों ने कोविड टीकाकरण को लेकर किए गए प्रयासों में मीडिया की भूमिका को रेखांकित किया साथ ही टीकाकरण से वंचित इलाकों में जन जागरण की आवश्यकता बताई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर आईवी त्रिवेदी ने आभासी माध्यम से अपने उद्बोधन में कहा कि कोविड टीकाकरण के प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में मीडिया ने अहम भूमिका का निर्वाह किया था लेकिन आदिवासी अंचल में आज भी जागरूकता का अभाव है। इस कारण कई क्षेत्र टीके की पहली, दूसरी या बूस्टर डोज से वंचित रहे है। प्रो त्रिवेदी ने कहा कि सरकारी प्रयासों के साथ यदि मीडिया सकारात्मक भूमिका निभाता है तो शत-प्रतिशत परिणाम प्राप्त होते हैं। राजस्थान यूनिसेफ के कम्यूनिकेशन प्रमुख अंकुश सिंह ने कहा कि यूनिसेफ ने विभिन्न प्रकार के टीकाकरण की दिशा में प्रदेश में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं लेकिन बिना मीडिया के सहयोग के लक्ष्य तक पहुंचना बहुत मुश्किल कार्य होता है इसीलिए इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित करके मीडिया कर्मियों के साथ संवाद स्थापित किया जाता है। राजस्थान यूनिसेफ के हेल्थ कम्यूनिकेशन एक्सपर्ट कमलेश बंसल ने कहा कि यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार 20 प्रतिशत बच्चे आमतौर पर टीकों से वंचित रह जाते हैं। इनमें 12 से 14 वर्ष के बच्चे शामिल होते हैं लेकिन कोविड टीकाकरण में राजस्थान ने 11 करोड़ 15 लाख टीके लगाकर महत्वपूर्ण रिकॉर्ड दर्ज किया। इसके पहले रूबेला मीजल्स के टीके ने एक करोड़ 51 लाख क्या कढ़ी के साथ रिकॉर्ड बनाया था। उन्होंने कहा कि उदयपुर संभाग ने टीकाकरण की दिशा में बेहद मुस्तैदी और जागरूकता दिखाई और अन्य जिलों के मुकाबले उदयपुर में 30 प्रतिशत अधिक गति से टीकाकरण किया गया जो कि एक अहम उपलब्धि है। बंसल ने पूरे राजस्थान के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि कोविड की तीसरी डोज लगवाने के लिए और जन जागरूकता फैलाने की जरूरत है क्योंकि कोविड के मामले बढ़ रहे हैं और हमें यह समझना होगा कि करुणा अभी गया नहीं है, इसके प्रति लापरवाही ठीक नहीं है।

इस अवसर पर शिशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन अधिकारी (आर सी एच ओ) डॉ अशोक आदित्य ने कहा कि उदयपुर का टीकाकरण पूरे राजस्थान के लिए एक मिसाल बन गया। सामाजिक संगठनों, शिक्षण संस्थाओं एवं अन्य इकाइयों द्वारा बड़े पैमाने पर कोविड टीकाकरण के शिविर आयोजित किए गए। ऐसा उदाहरण आमतौर पर देखने को नहीं मिलता है। डॉ आदित्य ने कहा कि टीके के प्रति शुरू में लोगों के बीच संशय का माहौल था और सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और फेक तथ्यों के कारण भी लोगों में असमंजस का वातावरण बना। इस कारण सबसे पहले शासन, प्रशासन और चिकित्सा कर्मियों ने को टीका लगाने की पहल की गई ताकि आम जनता में कोविड टीके के प्रति भरोसा जागृत हो सके। उन्होंने कहा कि यह भरोसा जगाने में उदयपुर की मीडिया ने बेहद सराहनीय और उल्लेखनीय कार्य किया और उसी का परिणाम यह रहा कि हम प्रदेश के टीकाकरण में ऊंचे पायदान पर दिखाई दिए।

लेकसिटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार कपिल श्रीमाली ने इस अवसर पर कहा कि कोविड की दूसरी लहर में बेहद खतरनाक हालात थे लेकिन मीडिया कर्मियों ने जान की परवाह किए बिना मुस्तैदी के साथ अस्पतालों और कोविड सेंटर्स से विश्वसनीय खबरों को लोगों तक पहुंचाया। श्रीमाली ने कहा कि मीडिया खासकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक में छपी और प्रसारित हुई खबरों को लोग बेहद भरोसे की नजर से देखते हैं। इस लिहाज से भी पत्रकारों के कंधों पर विशेष जिम्मेदारी होती है, जिसका निर्वहन मीडिया कर्मी बखूबी करते हैं और लोगों में जो भ्रांतियां थी उसको दूर करने की दिशा में मीडिया ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर सीआर सुथार ने कहा कि डेल्टा वेरीएंट का दौर सबसे घातक सिद्ध हुआ जिसने कई लोगों को हमसे अलग कर दिया। वे खुद भी डेल्टा से ग्रसित होकर दहशत में रहे थे। इस दौर में लोगों के बीच रोग और भय दोनों ही साथ साथ चल रहे थे लेकिन वैज्ञानिक तथ्य और उस दौर में शुरू हुआ टीकाकरण को मीडिया की जागरूकता की वजह से ही जन जन तक पहुंचाया जा सका। उन्होंने कहा कि अभी शेष रह गए लोगों में टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के सह अधिष्ठाता प्रोफेसर प्रदीप त्रिखा ने टीका करण में कुछ तकनीकी समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने अपना जर्मनी यात्रा का अनुभव साझा करते हुए बताया कि टीकाकरण के दौर में जिन लोगों ने विदेश यात्राएं की उनको भारतीय और यूरोपियन देशों के बीच क्यू आर कोड स्कैनिंग में समस्याओं का सामना करना पड़ा, हालांकि बाद में इस समस्या का समाधान कर लिया गया था।

जयपुर से आये वरिष्ठ पत्रकार विनोद भारद्वाज ने कहा कि कोविड-19 की दोनों लहर के दौरान लोगों में अखबारों के प्रति भी संशय का वातावरण बनाया गया। लोगों ने वायरस के प्रसार की आशंका के चलते अखबारों को खरीदना भी बंद कर दिया। यह सब फेक न्यूज़ के कारण हुआ जबकि कोविड जन जागरण में प्रिंट मीडिया ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि ऐसी महामारी के दौरान जब वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं हुआ था, दवाइयों और टीके के प्रति लोगों में संशय का वातावरण था,ऐसे में मीडिया कर्मियों ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के जरिए तथ्यपरक सूचनाओं का प्रसार करके अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया। भारद्वाज ने कहा कि हालांकि सोशल मीडिया के जरिए इस दौरान फेक न्यूज़ का प्रसार चिंता का विषय बना रहा था। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ कुंजन आचार्य ने किया। डॉ आचार्य ने शुरू में कार्यशाला का विषय प्रवर्तन भी किया। लोक संवाद संस्थान के सचिव कल्याण सिंह कोठारी ने सभी अतिथियों और पत्रकारों का धन्यवाद ज्ञापित किया एवं प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र का वितरण किया।

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