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अमेरिका के लिए एच1-बी वीजा

1 अप्रैल
जयपुर।

एच1-बी वीजा के लिए प्रार्थना पत्र 1 अप्रैल से स्वीकार किए जाने लगे हैं। विदेशों में भारतीय छात्रों और युवा उद्यामियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और सारी दुनिया को अपनी क्षमताओं से परिचित करा दिया है। कई लोग इसे प्रतिभा का पलायन कहते हैं लेकिन भूमंडलीकरण के युग में विदेश में जाकर नौकरी करना अब पलायन नहीं रहा। वरन यह अपनी क्षमताओं का आंकलन करना है। साथ ही अपने देश का नाम विदेशों में गौरवान्वित करने के साथ साथ मोटी कमाई के तौर पर भी देखा जा सकता है। भारत से बड़ी संख्या में युवा अमेरिका का रुख करना पसंद करते हैं। वर्तमान में अमेरिका में जाकर नौकरी करने की राह आसान बनाने के लिए एच1-बी वीजा का उल्लेख किया जा रहा है। आईये जानते हैं क्या है एच1-बी वीजा।

एच1-बी वीजा

दूसरे देश के लोग जो अमेरिका में नौकरी करना चाहते हैं उन्हें यह वीजा उपलब्ध किया जाता है। अमेरिका के इमीग्रेशन एवं नेशनलिटी एक्ट के तहत कंपनियां दूसरे देश के लोगों को नौकरी के लिए हायर कर उनका ट्रांसफर कर सकती हैं। एक्ट के तहत यदि एम्प्लाई नौकरी छोडता है तो उसे वीजा का स्टेटस बदलना पडेगा या अमेरिका छोडकर जाना होगा। एक्ट के अनुसार प्रतिवर्ष 65 हजार लोगों को ही यह वीजा जारी किया जा सकता है। इसके अलावा यूएससीआईएस 20 हजार वीजा दे सकती है। लेकिन यह उन लोगों के लिए जिन्होंने अपनी हायर स्टडीज अमेरिका के इंस्टीट्यूट से की है।

एच1-बी वीजा : शर्तें व सुविधाएं

शुरूआत में यह वीजा तीन साल के लिए जारी किया जाता है। और बाद में तीन साल के लिए रिन्यू किया जाता है। एक्ट के तहत कुछ परिस्थितियों में समय सीमा बढाई भी जा सकती है। एच1-बी वीजा होल्डर अपने परिवार के सदस्यों को भी ले जा सकता है। लेकिन परिवार के सदस्यों को एच4 वीजा दिया जाएगा। जैसे ही एच1 वीजा धारक देश छोडता है तो एच4 धारक को भी देश छोडना पडेगा। एच1 वीजा के दौरान नौकरी करने वाला धारक परमानेंट रेजीडेंसी के लिए आवेदन भी कर सकता है इसे  डुअल इंटेट कहते हैं।

एच1-बी वीजा : योग्यता व प्रमाण पत्र

इस वीजा के लिए आईटी, कंप्यूटिंग, फाइनेंस, अकाउंटिंग, बैंकिंग, मार्केटिंग, एडवरटाइजिंग, पीआर, सेल्स, इंजीनियरिंग, टीचिंग, मेडिकल, टेलीकॉम, बिजनेस, मैनेजमेंट और हॉस्पिटैलिटी फील्ड से जुडे लोग आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के साथ यूएस कंपनी की ओर से मिला जॉब ऑफर लैटर, रिज्यूम  कॉपी, पासपोर्ट कॉपी, एज्यूकेशनल और प्रोफेशनल डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट, प्रोफेशनल लाइसेंस आदि की कॉपी लगाई जा सकती है।

एच1-बी वीजा : मुश्किलें

एच1-बी वीजा की अवधि तीन साल होती है जिस एक बार और तीन साल के लिए ही रिन्यू कराया जा सकता है। इसके बाद अमेरिका में रहने के लिए ग्रीन कार्ड की जरूरत पड़ती है। ग्रीन  कार्ड आसानी से  नहीं मिलता। एच1-बी वीजा भी मिलना बहुत कठिन होता है क्योंकि साल भर में लाखों की तादाद में स्किल्ड प्रोफेशनल अमेरिका जाने के लिए आवेदन करते हैं। अगर आपके पास वैलिड वीजा है तो आप अमेरिका में सर्वाइव कर पाएंगे।

एल1 वीजा : दूसरा रास्ता

अमेरिका में नौकरी करने के लिए दूसरा रास्ता एल1 वीजा है। लेकिन इसमें एच1-बी वीजा  की तरह सुविधाएं नहीं हैं। यह वीजा तीन महीने से एक साल के टेन्योर के लिए होता है। यह उन्हीं कंपनियों के एंप्लोईज को मिलता है जिनका ऑफिस अमेरिका के अलावा उनके देश में भी होता है। इस वीजा पर कंपनी का एकाधिकार होता है कि वो किस एंप्लाई को थोडे समय के लिए अमेरिका भेजना चाहती है।

यूएस की इकॉनॉमी के प्रति दुनियाभर के लोगों में एक उम्मीद होती है। यही कारण है कि दुनियाभर के युवा अमेरिका में नौकरी  करना चाहते हैं। एच1-बी वीजा के लिए प्रार्थनापत्र देने वालों की संख्या में तेजी से बढोतरी इसी बात को पुष्ट  करती है। 2008 के बाद अमेरिका में आर्थिक मंदी आने से लोगों का रुख कम हो गया था लेकिन  हालात सुधरने के साथ एक बार फिर दुनियाभर के युवा अमेरिका जाना चाहते हैं।


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