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“ईद” — हम सबकी

आज पाक़ #रमज़ान का महीना पूरा होने और #ईद के मुबारक़ दिन पर इस संकट के समय में हम सब मिलकर क्या कर सकते हैं ?

बचपन में एक कहानी पड़ी थी “ईदी” जिसमें मुख्य पात्र एक गरीब परिवार का बच्चा है जो की सबकी तरह ईद का पर्व खूब हर्षोउल्लास से मनाना चाहता है पर परिवार की आर्थिक स्तिथि उसे इस बात की इजाज़त नहीं देती… बड़ी मुश्किल से उसे कुछ पैसे मिलते है और वो भी ख़ुशी ख़ुशी मैले में जाता है.. पर वो उन पैसों को अपने ऊपर खर्च करने के बजाय वहां से एक चिमटा खरीदता है उसकी दादी के लिए ताकि खाना बनाते वक़्त उनके हाथ ना जले..

यह कहानी हमेशा के लिए मेरे मन मस्तिष्क में घर बनाकर रहने लगी और इसने मुझे जीवन का एक सबक सिखाया जो आगे मेरे जीवन में बहुत काम आ रहा है.. और वो सबक है कि खुश रहने के लिए हमे धन या संसाधनों की आवश्यकता नहीं है.. हम अपनी खुशी दूसरों के चेहरे की मुस्कान में भी पा सकते हैं.. बस जरुरत है उस मुस्कान को पहचानने की..

तो देर किस बात की.. आज इस कोरोना काल में हमारे घर परिवार पड़ोस और समाज में बहुत सारे ऐसे लोग है जो कई परेशानियों का सामना कर रहे है और हमारी तरह ईद का जश्न नहीं मना सकते.. तो क्या आप उनके चेहरे की मुस्कान बनना नहीं चाहेंगे ??

“ईद” के ढेर सारी मुबारक़!! #खुश रहें । #घर पर रहें। #सुरक्षित रहें और #मुस्कराते रहें।😊🙂🙏🙏

प्रेरणा की कलम से ✍️✍️

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