जयपुर, 22 नवंबर। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से यहां बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च में विज्ञान पत्रकारिता विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन शुक्रवार को विभिन्न तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया।
श्री नारायणन ने बताया कि मोबाइल में फिल्म बनाते वक्त वीडियो को फिल्म बनाने की दृष्टि से बनाया जाता है ना कि आम वीडियो की तरह लिया जाता है। उन्होंने बताया कि फिल्म में शूटिंग सिचुएशन को ब्रेक करती है जबकि एडिटिंग के माध्यम से सिचुएशन को जोड़ा जाता है। उन्होंने फिल्म मेकिंग में लोंग शॉट, मिड शॉट तथा क्लोज अप्स जैसे विभिन्न टूल्स को समझाते हुए बताया कि विभिन्न एंगल तथा विभिन्न लेंस का प्रयोग करके वीडियो को अलग टेस्ट मिलता है। उन्होंने सत्र में प्रतिभागियों द्वारा मोबाइल से लघु फिल्म का निर्माण तथा वीडियो एडीटिंग भी करवाया।
उन्होंने मोबाइल से इंटरव्यू लेने की बेसिक्स को भी समझाया। उन्होंने बताया कि इंटरव्यू लेते वक्त माइक को हमेशा ऑन रखना चाहिए। साथ ही कैमरामैन को सभी प्रश्नों का पता होना चाहिए जिससे वह कैमरे का एंगल सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने कहा कि इंटरव्यू लेते समय कैमरा मैन के आसपास रुकावट के लिए कोई खड़ा नहीं होना चाहिए। उन्होंने वीडियो के माध्यम से इंटरव्यू लेने की प्रक्रिया को समझाया।
विज्ञान फिल्म निर्माता श्री राजेश अमरोही तथा श्री हिमांशु मल्होत्रा ने अंतिम तकनीकी सत्र में विज्ञान फिल्म निर्माण पर चर्चा की। उन्होंने स्वयं द्वारा निर्मित जलवायु परिवर्तन, जल संकट एवं वन्य जीवन से संबंधित शॉर्ट डॉक्यूमेंटरी फिल्में प्रदर्शित कर विज्ञान फिल्म के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि फिल्म निर्माण के लिए अच्छा विचार, केन्द्रीय आग्र्यूमेंट, फिल्म एलिमेंट, लक्षित समूह, रिसर्च मेथडोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने रिपोर्टिंग कार्य को बहुत जिम्मेदारी वाला बताते हुए कहा कि इसके लिए कंटेट बहुत महत्वपूर्ण है।
कार्यशाला के अन्त में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की शासन सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह कार्यशाला काफी फलदायी रहेगी और विज्ञान से संबंधित पत्रकारिता करने में सहूलियत पहुंचाएगी। कार्यशाला में जनसम्पर्क अधिकारी, पत्रकार, रिसर्च स्कॉलर एवं पत्रकारिता से जुड़े विद्यार्थी उपस्थित थे।
