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जयपुर- वर्ल्डक्लास सिटी

जयपुर- वर्ल्डक्लास सिटी

सिर्फ साफ सफाई और ऊंची इमारतें किसी शहर को वर्ल्डक्लास नहीं बनाती। जयपुर को किसी और से वर्ल्डक्लास शहर के सर्टिफिकेट की दरकार नहीं है। जयपुर पैदाईशी वर्ल्डक्लास शहर है। अपने जन्म से ही जयपुर दुनिया का ऐसा शहर था, जिसमें एक एक सूत का हिसाब रखा गया था। विश्व स्तरीय शहर मानक, स्थापत्य, सुविधाएं, सेवाएं, व्यापार और सुरक्षा आदि कई मायनों में जयपुर एक वर्ल्डक्लास सिटी था। इस शहर के जन्म के करीब सवा सदी बाद इसे जब गुलाबी रंग में रंगा गया तो इस शहर का खूबसूरत स्थापत्य और गुलाबी रंग देखकर अंग्रेज मेहमानों के मुंह आश्चर्य से खुले रह गए थे। लंदन जैसे शहरो पर राज करने वाले राजपरिवार के लोगों ने भी जयपुर की खूबूसरती का लोहा माना और इसे ’पिंकसिटी’  नाम दिया।
आज जयपुर शहर परकोटा के बाहर मीलों तक बस गया है। लेकिन इसकी खूबूसूरती कम नहीं हुई है। हमने न केवल पुराने शहर की खूबसूरती को बरकरार रखा है बल्कि आधुनिक जयपुर भी कई मायनों में बेहद आकर्षण और रंग-बिरंगा शहर बन गया है। अब हवामहल के साथ साथ मोती संस ज्वैलर्स की टोंक रोड स्थित जगमगाती कमलाकार इमारत देखकर भी ठिठक सकते है। इसके अलावा चंद्रमहल की तुलना जयपुर के शिव विलास होटल से की जा सकती है। या फिर नाहरगढ की बराबरी वर्ल्ड ट्रेड पार्क की इमारत से कर सकते हैं। जवाहर सर्किल पर हवामहल की तर्ज पर बनी इमारत भी यही कहानी कहती है कि जयपुर ने अपने मूल्यों और परंपराओं को बचाते हुए विश्वस्तरीय शहर बनने की दिशा में सधे हुए कदम बढ़ाए हैं।
कई बरसों बाद जयपुर शहर में बाईक से घूमने का मौका मिला। वाकई मेट्रो रेल के आरंभ हो जाने के बाद जयपुर अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने वाला खूबसूरत छोटा मेट्रो शहर बन जाएगा। दरअसल जयपुर साल दर साल सुंदर बनते जा रहा है। जनवरी-फरवरी की सुहानी दोपहरों में कभी गाड़ी लेकर शहर के बाहरी इलाकों में निकलिए। आपको भी लगेगा कि जयपुर एक वर्ल्डक्लास हाईटेक सिटी-

जयपुर- नगर, महानगर और वर्ल्डक्लास मेट्रो सिटी

जयपुर ने 285 साल के अपने इतिहास में बहुत तरक्की की है। इसका जन्म एक पूर्वनियोजित नगर के रूप में हुआ। हर इमारत, हर सुविधा की पहले कागज पर रूपरेखा बनी और फिर वह जीवंत की गई। यहां महल, गलियां, चौक, चौराहे, बाजार, मुहल्ले, व्यापार, सुरक्षा प्राचीर सब कुछ सोच समझ कर गहन अध्ययन और वैज्ञानिक तरीक से रचे गए। भारत का यह पहला पूर्व नियाजित शहर था। धीरे धीरे जनसंख्या बढ़ने के साथ यह शहर परकोटा की हदों से बाहर निकला और आदर्शनगर, राजापार्क, विश्वविद्यालय, बिडला मंदिर, रामबाग, सी स्कीम, बनीपार्क, शास्त्रीनगर जैसे इलाके विकसित हुए। समय के साथ प्रचार और सुविधाओं में भी विस्तार हुआ और छोटा शहर महानगर बनने की दिशा में बढ़ा। इसके बाद विद्याधरनगर जैसे ’नए जयपुर’ की कॉलोनियों का विकास हुआ। चित्रकूट, वैशालीनगर, मानसरोवर, मालवीयनगर, सीतापुरा, जगतपुरा जैसी विशाल कॉलोनियों ने जयपुर को पश्चिम और दक्षिण में खूब बढ़ाया। टोंक रोड, जेएलमार्ग और अजमेर रोड शहर की धमनियां बन गईं। आज शहर में मेट्रो का कार्य चरम पर है। आगरा रोड पर टनल खुल चुकी है। आगरा रोड भी अब तेजी से विकसित होगा। शहर की सड़क्रें और चौराहे अपने स्थापत्य से मन मोह रहे हैं। सरकार सारे देश को छोड़कर जयपुर में ’चिंतन शिविर’ कर चुकी है। हर चीज हाईटेक हो गई है। डेढ़ सौ से ज्यादा लग्जरी होटल, दसों विश्वविद्यालय, उन्नीस इंडस्ट्रियल एरिया, सैंकड़ों कॉलोनियां, बेहतरीन ट्रांजिट सिस्टम आदि सब मिलकर  जयपुर को विश्वस्तरीय शहर बना चुके हैं। कहना चाहिए कि सिर्फ सुविधाएं और इमारतों ने जयपुर को वल्र्डक्लास नहीं बनाया है। पैदाईशी रॉयल शहर जयपुर में होने वाले विश्वस्तरीय समारोहों ने भी इसे एक नई पहचान दी है। जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल, जयपुर फिल्म फेस्टीवल, जयपुर स्टोन मार्ट, जयपुर प्रवासी सम्मेलन, पुस्तक पर्व, स्थापना दिवस समारोह, ट्रेड सेमीनार और सम्मेलन आदि सभी जयपुर को खास शहर बनाते हैं।

जयपुर – तब और अब

जयपुर में जन्म से ही एक वर्ल्डक्लास शहर की खूबियां थीं। जयपुर के विकास के साथ साथ ये खूबियां भी बढ़ी हैं। हालांकि जयपुर के सामने चुनौतियां हैं। लेकिन जयपुर शहर अब उड़ान पर है। आईये, जयपुर को वर्ल्डक्लास शहर की श्रेणी में रखने वाले वे संस्कार और बीज ढूंढते हैं जो जयपुर में अपने जन्म से थे-

1 हैरिटेज –

जयपुर शहर का हैरिटेज एक मिसाल है। अपने जन्म के समय चंद्रमहल, जंतरमंतर, हवामहल, नाहरगढ, अल्बर्ट हॉल, पुराने शहर के मंदिर और हवेलियां, परकोटा और दरवाजे आदि सभी मिलकर जयपुर को हैरिटेज शहर बनाते हैं। वर्तमान में भी जयपुर की हैरिटेज खूबसूरती को ध्यान में रखकर ही निर्माण किए गए हैं। शहर के चौराहों पर धातु प्रतिमाएं, खूबसूरत लाईटें, गुलाबी रंग और उद्यान आदि सभी जयपुर के हैरिटेज को विश्वव्यापी बना देते हैं। साथ ही विद्याधरनगर, जवाहर कला केंद्र, बिड़ला ऑडीटोरियम, मोती संस ज्वैलर्स जैसी इमारतें और शहर के अनेकों मॉल जयपुर को नया हैरिटेज लुक देते हैं।

2 ग्रीनरी –

जयपुर को बसाते समय ग्रीनरी का भी ध्यान रखा गया था। दो तरफ से पहाडि़यों से घिरा यह छोटा शहर उद्यानों से परिपूर्ण था, सिटी पैलेस उद्यान, रामनिवास बाग, पौंड्रीक उद्यान, के अलावा शहर की मुख्य सड़कों के दोनो ओर छांवदार पेड़ लगाए गए थे। आज भी शहर में अमानीशाह नाला प्रोजेक्ट, ग्रीन सिटी प्लान आदि माध्यम से जयपुर को हरा भरा किया गया है। सभी मुख्य सड़कों के बीच और दोनो तरफ छायादार वृक्ष देखने को मिलते हैं। जयपुर नगर निगम और जयपुर विकास प्राधिकरण मिलकर जयपुर का ग्रीन और क्लीन सिटी बनाने की कवायदों में लगे हैं।

3 इंडस्ट्रीज –

किसी भी शहर के विकास में वहां के उद्योग-धंधे और व्यवसाय की प्रमुख भूमिका होती है। जयपुर की स्थापना के समय इस बात पर पूरा फोकस किया गया था। यही कारण था कि शहर के मुख्य मार्गों के दोनो ओर दुकानें बनाई गई थीं और उनमें व्यापारियों को विकसित किया गया था। जयपुर के जौहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, चांदपोल बाजार, गणगौरी बाजार और किशनपोल बाजार जयपुर की समृद्धि में सहायक रहे हैं। उस समय मुख्य मार्ग पर किसी भी प्राईवेट प्रॉपर्टी या फिर घर के दरवाजे नहीं खुलते थे, यही नियम था। मुख्यमार्ग पर सिर्फ दुकानें और सार्वजनिक स्थलों के द्वार खुलते थे। आज जयपुर में 19 इंडस्ट्रियल एरिया हैं जो जयपुर को दुनिया के बड़े व्यापारिक केंद्रों में शुमार करते हैं। स्थानीय बाजार और एक्सपोर्ट का व्यवसाय भी खूब फलफूल रहा है। यहां के वस्त्र, आभूषण और रत्न दुनिया की मंडी में धाक जमा रहे हैं।

4 वॉटर हार्वेस्टिंग –

वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम आधुनिक दुनिया का शब्द है लेकिन कभी आप नाहरगढ़ जाएंगे तो आपको वहां के वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अचंभे में डाल देंगे। जयपुर की यही खासियत है। इस शहर को पूरे नियोजन, हार्वेस्टिंग प्लान, ड्रेनेज सिस्टम, सीवर, नाला आदि से लैस किया गया। गंदे पानी की निकासी और बरसाती जल निकास के प्रबंध अलग अलग किए गए थे। वर्तमान में जेडीए ने हर घर में वॉटर हार्वेस्टिंग की योजना बनाई है और उस पर तेजी से अमल भी किया जा रहा है। नई बनने वाली इमारतों में यह सख्ती से लागू भी की गई है। इसके साथ ही जल निकास भी बेहतर व्यवस्था की गई है।

5 मास ट्रांजिट सिस्टम –

जयपुर अपनी स्थापना के समय बहुत छोटा शहर था। लेकिन यहां की चौड़ी सड़कें और समकोण पर काटती गलियां भविष्य में बेहतर यातायात को ध्यान में रखकर रची गई थी। मुख्य मार्गों की चौड़ाई पर्याप्त थी और आरंभ में एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए बैलगाडि़यां और तांगे हुआ करते थे। ओहदेदार लोग घोड़ों और हाथियों पर सवारी किया करते थे। आज जब जयपुर की जनसंख्या पचास लाख का आंकड़ा छूने को है और इसकी सीमाएं चारों दिशाओं में मीलों तक फैल गई हैं तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी महत्व रखता है। जयपुर पूरी तरह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम से जुड़ा हुआ है। शहर का हर कोना बस सेवा से जुड़ा है। मास ट्रांजिट सिस्टम को तेजी देने के लिए जेएनएनयूआरएम योजना और मेट्रो प्रोजेक्ट गति पर हैं। यातायात नियम भी सुचारू किए गए हैं। कुल मिलाकर जयपुर में एक स्थान से दूसरे स्थान समय पर पहुंचना दिन ब दिन आसान होता जा रहा है।

6 विश्व स्तरीय स्थापत्य –

जयपुर में आमेर महल, जयगढ़ पैलेस, नाहरगढ़, जलमहल, सिटी पैलेस, अल्बर्ट हॉल, बिड़ला मंदिर, खोले के हनुमानजी, गढ गणेश, गलताजी जैसे विख्यात स्थल हैं जो हिन्दू और मुगल शैली के बेजोड़ उदाहरण हैं। समूचा शहर शाही स्थापत्य से तैयार किया गया। सिर्फ सुंदरता ही नहीं वैज्ञानिकता और सुरक्षा का भी खयाल रखा गया। जंतर मंतर को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया और आमेर महल भी इस कतार में है। विश्वस्तरीय स्थापत्य के मामले में आधुनिक जयपुर भी किसी से कम नहीं है। यहां की आधुनिक इमारतों में ओम टावर, शिक्षा संकुल भवन, मोती संस ज्वैलर्स की टोंक रोड स्थित इमारत, जेएलएन मार्ग स्थित श्री ज्वैलर्स की इमारत, उत्तर पश्चिम रेल्वे का मालवीयनगर स्थित मुख्यालय, जवाहर सर्किल स्थित दरवाजा, वल्र्ड ट्रेड पार्क और शहर के मॉल आदि सभी आधुनिक युग के नायाब स्थापत्य हैं जो जयपुर को विश्वस्तरीय शहर बनाते हैं।

7 बुनियादी जरूरतें –

शहरवासियों को उपलब्ध कराई जाने वाली बुनियादी जरूरतें भी किसी शहर को विश्वस्तरीय बनाती हैं। जयपुर की स्थापना आमेर में लगातार बढ़ रही आबादी और घटते जल स्रोतों की वजह से की गई थी। इसलिए नए शहर में वे सभी इंतजामात किए गए जो एक खूबसूरत शहर के लिए जरूरी होते है। जयपुर में जगह जगह कूओ, बावडि़यों और कृत्रिम जलाशयों का इंतजाम किया गया। साथ ही पेयजल की भी सुचारू व्यवस्था की गई। इसके अलावा बिजली, सड़कें, सफाई और अन्य संसाधनों का भी बखूबी इंतजाम किया गया। रोशनी के लिए मुख्य मार्गों पर खूबसूरत पोल लगाए गए जिनमें सांझ ढले तेल डाला जाता था और ये स्ट्रीट लैंप सुबह तक जला करते थे। सफाई के लिए आज के बापू बाजार, नेहरूबाजार और संजय बाजार में एक ट्रैक बिछाया गया था जिसपर रखी गाड़ी में कचरा ढोया जाता था, इस गाड़ी को बैल खींचा करते थे और कचरा श्रीजी की मोरी में डाला जाता था। आधुनिक शहर पूरी तरह सीवर लाईन से जुड़ा है। बिजली के पोल हटाकर अंडरग्राउंड केबल डाली जा रही है। शहर को प्रदूषण फ्री करने के लिए वाहनों को ओएनजीसी से जोड़ा जा रहा है। कचरा उठाने के लिए आधुनिक तकनीक युक्त मशीनरी लगातार काम कर रही है। शहर में जगह जगह ग्रीन बेल्ट विकसित किये जा रहे हैं। इसके अलावा शहर की सुविधाओं को ध्यान में रखकर नित नई योजनाएं बनाई जा रही हैं। घाट की गूणी टनल इसका खूबसूरत उदाहरण है। जहां जाम लगने की समस्याएं होती थीं वहां फ्लाईओवर्स बने हैं। वर्तमान में यह शहर फ्लाईओवरों का शहर भी कहलाने लगा है। इसके अलावा भी बहुत सारे प्रोजेक्ट चल रहे हैं जो जयपुर को एक खुशहाल शहर बनाने के लिए तत्पर हैं।

8 विश्व स्तरीय शिक्षण संस्थान-

जयपुर शहर बसने के साथ ही यहां संस्कृत महविद्यालय, संगीत महाविद्यालय और फाइन आर्ट स्कूल जैसे शिक्षण संस्थानों का प्रावधान किया गया। इसके बाद महारानी और महाराजा स्कूल, कॉलेज, राजस्थान विश्वविद्यालय आदि भी विकसित किए गए। वर्तमान में भी जयपुर में कई विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय खुले हैं। हर विषय के कॉलेज और शिक्षण संस्थान खुल गए हैं। सिर्फ कला ही नहीं, विज्ञान, वाणिज्य, हस्तकला, इंजीनियरिंग, सीए, एनीमेशन, पत्रकारिता के क्षेत्र में भी शिक्षण संस्थानों ने जयपुर का मान बढ़ाया है। जयपुर के स्कूल और कॉलेज आधुनिक और उत्तम शिक्षण के लिए जाने जाते हैं और जयपुर एक एजुकेशनल हब के रूप में उभरा है।

उक्त बिंदुओं पर विचार करने के बाद कहा जा सकता है कि जयपुर अपने जन्म से ही वर्ल्डक्लास सिटी था और अपने वर्तमान स्वरूप में भी यह विश्व के कई खूबसूरत और सभी सुविधाओं से लैस शहर के रूप में अपनी पहचान कायम कर रहा है। मेट्रो जैसी सुविधाएं आकर इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाएंगी।


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