शख्सियत : उषा रानी हूजा (Usha Rani Hooja)
जयपुर कलाओं और कलाकारों की नगरी है। जहां तक मूर्तिकला की बात है, जयपुर मूर्तिकारों का गढ़ रहा है। जयपुर में चांदपोल बाजार में खजाने वालों का रास्ता और आसपास की गलियों में मूर्तियों को कारोबार होता है। इलाके में सैंकड़ों मूर्तिकार प्रतिदिन पत्थर को खूबसूरत मूर्ति में तब्दील करते हैं। विलक्षण प्रतिभाओं और कला की इस गुलाबी नगरी को जयपुर की प्रख्यात मूर्तिकार उषा रानी हूजा ने कई बेजोड़ स्कल्पचर दिए, जो आज भी जयपुर के विविध प्रमुख स्थानों की शोभा बढ़ा रहे हैं। उषा देवी का कला-सफर 21 मई 2013 को जयपुर में उनकी सांसों के साथ थम गया। नब्बे वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। लेकिन जयपुर में जगह जगह स्थापित उनके शिल्प सैकड़ों वर्षों तक जयपुर के कला जगत को इस विलक्षण मूर्तिकार की याद दिलाते रहेंगे।
परिचय
उषा रानी का जन्म 18 मई 1923 को दिल्ली में हुआ था। उनके पति भूपेंद्र हूजा, पुत्र राकेश हूजा और पुत्रवधु मीनाक्षी हूजा सभी प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं। पूरी तरह शैक्षणिक वातावरण में बीते बचपन में भी उषा रानी ने अपने भीतर एक कलाकार बनने की ठान रखी थी। एक बार वे अपनी भाभी के साथ सेंट स्टीफंस कॉलेज गई। वहां मूर्तिकला की कक्षा देखने के बाद उनके मन में मूर्तिकार बनने का इरादा पक्का हो गया। मूर्तिकला में पुरूषों का ही दबदबा था। उषा रानी ने कई चुनौतियां स्वीकार की और स्कल्पचर आर्ट को अपना पैशन बना लिया। उन्होंने अपने आस पास के वातावरण से प्रेरणा ली और ह्यूमन फिगर पर फोकस किया। 1962 में उन्हें पहला कमर्शियल ब्रेक मिला। यह था जयपुर में पुलिस मैमोरियल बनाना। त्रिमूर्ति सर्किल पर तीन शहीद जवानों की मूर्तियां आज भी अपनी जीवंतता से भाव जगाती हैं। वे जिस कार्य में जुट जाती थी, उसे पूरी तन्मयता से पूरा करती थीं।
प्रमुख शिल्प
उषा रानी ने जयपुर के अलावा देश विदेश में प्रमुख स्कल्पचरों का निर्माण किया और अपनी पहचान बनाई। जयपुर में त्रिमूर्ति सर्किल स्थित पुलिस मैमोरियल के अलावा रवींद्र मंच स्थित रवींद्र नाथ ठाकुर की विशाल प्रतिमा, इंदिरा बाजार में पुरूषार्थ प्रतीक, एसएमएस अस्पताल में डॉक्टर और मरीज के प्रतीक स्कल्पचर, संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में दंपत्ति की प्रतिमा आदि उषा रानी के यादगार स्कल्पचर हैं। इनके अलावा कोटा में पंख फैलाए गरुड़ उनके सबसे खूबसूरत स्कल्चर में से एक है। विदेशों में वाशिंगटन, स्वीडन, फिजी और फिलीपींस में भी उनके स्कल्पचर प्रमुख स्थानों पर शोभायमान हैं। वे एक अंतर्राष्ट्रीय स्कल्पचर आर्टिस्ट थीं।
राजस्थान की एकमात्र महिला शिल्पी
जयपुर में मोती डूंगरी रोड निवासी उषा रानी हूजा ने अपने प्रण और परिश्रम से राजस्थान की एकमात्र महिला शिल्पी का गौरव हासिल किया और वह स्थान हासिल कर लिया जो जयपुर के बड़े बड़े शिल्पी हासिल न कर पाए। उन्होंने लंदन में रहकर शिल्पकारों को न केवल अपने हुनर से प्रभावित कर लिया था बल्कि युवा शिल्पकारों और स्कल्पचर आर्टिस्टों की प्रेरणा भी बन गई थी। साठ के दशक में शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से लंदन में रही उषा ने अपनी कला से वहां के कलाविदों को भी अपने प्रभाव में ले लिया था।
’बिगेस्ट शो’
जवाहर कला केंद्र की स्थापना के बाद 1994 में यहां उषा रानी के सृजन की प्रदर्शनी तब तक के आयोजनों में सबसे बड़ा आयोजन थी। किसी कलाकार के जीवन पर आधारित इस प्रदर्शनी को ’बिगेस्ट शो’ का गौरव मिला। उषा रानी का यहां अंतिम एकल शो 20 अगस्त 2009 को आयोजित किया गया था।
कला जगत में शोक
उषा रानी के निधन से जयपुर के कला जगत में शोक की लहर छा गई। राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष डॉ भवानी शंकर शर्मा, पूर्व अध्यक्ष डी सीएस मेहता, मूर्तिकार अर्जुन प्रजापति, अंकित पटेल, अशोक गौड, सुमन गौड, संस्कृतिकर्मी संदीप भूतोड़िया, चित्रकार विद्यासागर उपाध्याय, सुरेंद्र पाल जोशी, शाकिर अली, सुनिता घिल्डियाल, विनय शर्मा, डॉ मीनू श्रीवास्तव, हर शिव शर्मा, संगीता जुनेजा, डॉ जगमोहन माथोडया साथ साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
उषा रानी हूजा को श्रद्धांजलि
प्रदेश की जानी मानी मूर्तिकार उषा रानी हूजा को अकादमी संकुल में श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष प्रो भवानीशंकर शर्मा, उपाध्यक्ष राधावल्लभ गौतम, कोषाध्यक्ष नाथूलाल वर्मा, विद्यासागर उपाध्याय, सुरेंद्र जोशी, विनय शर्मा, समंदर सिंह खंगारोत, लालचंद मारोठिया, अशोक गौड सहित कई कलाकार और कला प्रेमी मौजूद थे। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उषा रानी के परिवार की ओर से मीनाक्षी हूजा और डा रीमा हूजा भी मौजूद थीं।