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विधानसभा में हंगामा, सत्‍ता पक्ष को घेरा

विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। शुक्रवार को विपक्ष ने सत्‍ता पक्ष को घेरने की कोशिश की। संतुष्‍ट न होने पर माकपा विधायकों ने वॉकआउट भी किया। स्वायत्तशासी निकायों की ओर से संस्थाओं को रियायती दरों पर भूमि देने के मामले को लेकर विपक्षी सदस्यों ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में सरकार को घेरने का प्रयास किया। राज्य के स्वायत्तशासी मंत्री शांति धारीवाल ने इस पर हुई बहस के जवाब में कहा कि इन मामलों की जांच के लिए सभी नगर निगमों, परिषदों, पालिकाओं, यूआईटी, जयपुर और जोधपुर के जेडीए में समितियों का गठन किया जाएगा। ये समितियां तीन माह में रिपोर्ट देंगी। बहस के दौरान माकपा सदस्यों ने बिड़ला समूह को दी जमीन के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया। प्रश्नकाल के दौरान भाजपा के गुलाब चंद कटारिया ने अपने मूल प्रश्न के साथ पूरक प्रश्नों में कहा कि इन संस्थाओं को कौडिय़ों के दाम पर जमीन देने का जनता को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ये संस्थाएं इसके बदले लाखों करोड़ों रुपए कमा रही हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समाजों को दी जाने वाली भूमि को इससे अलग रखा जाए। सामाजिक जमीन का उपयोग समाज के हित में किया जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिन संस्थाओं को जमीन दी गई है, वे तय समय सीमा में वहां निर्माण नहीं करती है। इससे जमीन आवंटन का उद्देश्य पूरा नहीं होता है। उन्होंने जानना चाहा कि ऐसी कितनी जमीन है, जिसे वापस लिया या जब्त किया गया है। साथ ही कितने ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की, जिन्होंने जमीन वापस लेने में या कोई एक्शन लेने में कोताही बरती। इस बहस के दौरान ही कांग्रेस प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि ऐसी लूट दोनों की सरकारों के समय में हुई है। उन्होंने कहा कि जिनको जमीन दी गई है, उनकी पड़ताल के लिए कल से ही अभियान चलाया जाए तो वे उनके साथ जाने को तैयार हैं। माकपा के अमरा राम ने एक प्रतिष्ठित औद्योगिक घराने को जमीन देने का मामला उठाया, लेकिन अध्यक्ष ने अंकित नहीं करने के निर्देश दे दिए। इसके बाद भी धारीवाल की ओर से दिए जवाब से असंतुष्ट होकर माकपा सदस्यों ने बहिर्गमन कर दिया।


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