बाडमेर Hindi

बाड़मेर रिफायनरी, राजस्थान

Rajasthan refinery

राजस्थान को रिफायनरी मिल गई है। एचपीसीएल बोर्ड ने बाड़मेर में रिफायनरी को मंजूरी दे दी है। 14 मार्च को जयपुर में एमओयू के बाद रिफायनरी पर काम शुरू हो जाएगा। यह रिफायनरी चार साल में बनकर तैयार हो जाएगी। बाड़मेर के बायतु में प्रस्तावित यह रिफायनरी तीन हजार एकड़ भूमि पर निर्मित होगी। इसपर 37,230 करोड रुपए की लागत आएगी। इस रिफायनरी की उत्पादन क्षमता 90 लाख टन प्रतिवर्ष होगी। रिफायनरी जैसे बड़े प्रोजेक्ट से लैस राजस्थान देश का 15 वां प्रदेश बन जाएगा, देश की यह 26 वीं रिफायनरी होगी। इस रिफायनरी से रोजगार के दो लाख नए अवसर पैदा होंगे। यहां से 11 तरह के बायोप्रोडेक्ट निकलेंगे और 129 अलग अलग उत्पादों की सैकड़ों इकाइयां लगेंगी। रिफायनरी 2016 से तेल रिफाइन करना आरंभ कर देगी।

मतलब, राजस्थान विकास के घोड़े पर सवार है। जिस राजस्थान को बंधन और थार की मार से झुलसा प्रदेश माना जा रहा था, वही थार अब सोना उगलेगा। पश्चिमी राजस्थान में बाड़मेर रिफायनरी का रास्ता साफ हो गया  है। ऑयल इंडिया जैसलमेर सेक्टर से प्रतिदिन 30 हजार बैरल ऑयल निकालने का लक्ष्य लेकर बढ़ रहा है और केयर्न बाड़मेर में प्रतिदिन 10 लाख घन मीटर गैस का उत्पादन करने लिए कमर कसे हुए है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बहुत जल्द राजस्थान की तस्वीर कैसी  होगी। आपको याद होगा कि पश्चिमी राजस्थान के लोग दशकों से उनके साथ भेदभाव होने का आरोप लगाते आए हैं। बीकानेर से तो एक लहर उठ खड़ी हुई थी। पश्चिमी राजस्थान को ’मरू प्रदेश’ के रूप में अलग राज्य का दर्जा देने की। ऊंटों के काफिले बीकानेर के धोरों से राजधानी जयपुर तक आए थे।

और अब देखिए, विकास की लहर चली तो ऐसा लगा कि सच में भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। अगर इतिहास पर गौर करें तो बाड़मेर  और जैसलमेर जिले आरंभ से अति पिछड़े जिलों और बंजर धरती के नाम से पुकारे जाते रहे। लोग वहां से रोजगार के लिए पलायन करते रहे। 2009 तक इन जिलों में तेल का उत्पादन शून्य था। केवल दो वर्षों में ही हुए तेल दोहन ने राजस्थान को देश का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक प्रदेश बना दिया। पहला स्थान सम्रुद के साथ लगे महाराष्ट्र का है और दूसरा राजस्थान का। राजस्थान की तेल उत्पादन कंपनियों ने सवा तीन लाख बैरल प्रतिदिन के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इस तरह हम बहुत जल्द नम्बर वन बन जाएंगे।

राजस्थान में कुछ अरसे से क्रूड ऑयल का उत्पादन तो रहा था लेकिन रिफायनरी नहीं होने से हमारे विकास का रास्ता आधा था। अब रिफायनरी आने और अन्य दो बड़े प्रोजेक्टों पर काम बढ़ने से राजस्थान की प्रगति तीव्र गति से होगी। हमारी रिफायनरी देश की सबसे आधुनिक वैक्स ऑयल तकनीक पर आधारित होगी। यह रिफायनरी आने से लाखों की संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा और सैंकड़ो छोटी बड़ी कंपनियां भी इस रिफायनरी के आसपास आएंगी। रिफायनरी के आरंभिक चरण में लगभग चालीस हजार करोड़ का निवेश होगा। यह निवेश बढ़कर एक लाख करोड़ भी हो सकता है। रिफायनरी से राज्य की राजस्व आय में तीव्र बढोतरी होगी। विकास के इस सफर में केयर्न की ओर से प्रतिदिन निकलने वाली दस लाख घन मीटर गैस, जैसलमेर में हवा से बनाई जाने वाली बिजली और जोधपुर में सौर ऊर्जा के प्लांट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। और अब रिफायनरी के आने से तो प्रदेश की काया ही बदल जाएगी। राजस्थान का इतिहास एक नए सिरे से लिखा जाएगा, जिसमें पलायन, गरीबी, बेरोजगारी, सूखा और बंजर जैसे शब्द नहीं होंगे।

राजस्थान के बाड़मेर में रिफायनरी के प्रस्ताव को एचपीसीएल कंपनी के बोर्ड ने मंगलवार 5 मार्च को मंजूरी दे दी। इसे प्रदेश के विकास के लिए बड़ा फैसला माना जा रहा है। इससे पश्चिमी राजस्थान सहित पूरे प्रदेश के विकास को गति मिलेगी। उधर, एचसीपीएल बोर्ड की स्वीकृति के बाद केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा माइली ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फोन पर बधाई दी। गहलोत ने उनका शुक्रिया अदा किया। माइली 13 मार्च को जयपुर आएंगे और  14 मार्च को गहलोत और मोइली की मौजूदगी में रिफायनरी के लिए एमओयू होगा। बाडमेर में रिफायनरी लगाने को लेकर प्रदेश सरकार लंबे समय से प्रयास कर  रही थी। पिछले दिनों केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद प्रोजेक्ट के वायबिलिटी गैप को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने 15 साल के लिए 56,040 करोड़ का पैकेज ब्याज रहित कर्ज के रूप में  दिया था। एचपीसीएल बोर्ड की बैठक में करीब दो घंट की चर्चा के बाद मुहर लगाई गई। रिफायनरी के लिए बाड़मेर के बायतु क्षेत्र में लीलाला, जादुओं की ढाणी, सबरामणी में जमीनें अवाप्त की जा रही हैं। रिफायनरी में राज्य की 26 फीसदी हिस्सेदारी होगी। शेष 74 प्रतिशत में एचपीसीएल, ओएनजीसी व इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के शामिल होने की संभावना है।

बाड़मेर में खुशी की लहर-

  • बाड़मेर में रिफायनरी की घोषणा के बाद लोगों ने मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया।
  • बाड़मेर के बायतु में रिफायनरी आने से बाड़मेर की तस्वीर बदल जाएगी।
  • बात 2004 की है। देशी विदेशी तेल कंपनियों ने राजस्थान में तेल खोज के लिए लाइसेंस तो ले लिए थे। लेकिन खोज का काम नहीं कर रही थी। तब राजस्थान के विभिन्न संगठनों, मीडिया और जागरुक लोगों ने अभियान चलाकर केंद्र और राज्य सरकारों को बाध्य किया।
  • इसी माह आरंभ हो जाएगा गैस उत्पादन- केयर्न इंडिया के राजस्थान ब्लॉक से प्राकृतिक गैस का उत्पादन मार्च के अंत तक शुरू होगा। कंपनी ने पेट्रोलियम मंत्री से गैस की  कीमत तय करने और बिक्री की अनुमति मांगी है। कंपनी प्रतिदिन 10 लाख घन मीटर गैस का उत्पादन करेगी।
  • ऑयल इंडिया के पूनम-1 को अनुमति-हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय ने राजस्थान में ऑयल इंडिया प्रालि की तेल  खोज को वाणिज्यिक घोषणा पत्र जारी कर दिया है। इस तेल क्षेत्र को पूनम-1 नाम दिया गया है। यहां प्रतिदिन 30 हजार बैरल तेल का उत्पादन हो सकेगा।

बस इतने कदम दूर-

  • सीसीईए में रिफायनरी की पत्रावली को 3-4 दिन में मंजूरी मिलेगी। 14 मार्च को एमओयू होगा। इसके साथ ही रिफायनरी लगाने की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।
  • कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को शिलान्यास के लिए आमंत्रित करने सीएम दिल्ली जा सकते हैं। अगले माह शुरू हो सकता है काम।
  • रिफायनरी लगाने में करीब 4 साल लगेंगे। इस अवधि में उत्पादित तेल की ब्रिकी के लिए टर्मिनल मार्केट व अन्य सुविधाओं का  विस्तार किया  जाएगा।

फायदे होंगे ये-

  • पश्चिमी राजस्थान होगा औद्योगिक इकाइयों का  हब
  • एक लाख से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार
  • क्रूड ऑयल से मिल रही सालाना 5 हजार करोड की आय चार गुना बढ़ेगी।

रिफायनरी से खुलेंगे समृद्धि के द्वार-
बाड़मेर में रिफायनरी स्थापित करने की थार के बाशिंदों एवं प्रदेश सरकार की बहुप्रतीक्षित मांग पर एचपीसीएल संचालक मंडल की बुधवार को बैठक हुई। बैठक में स्वीकृति की मुहर लगने के साथ ही रिफायनरी को लेकर लंबे समय से जारी असमंजस भी खत्म हो गया है।

सबसे पहले होगा यह-
इस स्वीकृति के बाद बायतु क्षेत्र में लीलाला, जादुओं की ढाणी और सबरामणी की ढाणी में हाइड्रोकार्बन संयंत्र के प्रयोजनार्थ की जाने वाली करीब दस हजार बीघा भूमि की अवाप्ति प्रक्रिया तेज होगी।

अभी तेल पाइप लाइन सलाया तक-
बाड़मेर के मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल से गुजरात के सलाया ताक अभी तेल का परिवहन पाइप लाइन के जरिए हो रहा है। वहां से तेल रिफाइन होने के लिए रिफायनरी तक भेजा जा रहा है। बाड़मेर में रिफायनरी लगने के बाद यहां का तेल यहीं रिफाइन होगा। करीब नौ मिलियन टन क्षमता वाली रिफायनरी के लिए और तेल की जरूरत रहती है। तो सलाया तक बिछाई गई पाइप लाइन का उपयोग बाड़मेर तक किया जा सकता है।

जमीनें फिर होंगी आसमान पर-
अब बाड़मेर में जीमनों के दामें में और बूम आएगा। भावों में वृद्धि से यहां के बाशिंदों को जमीनों के रुपए मिलेंगे। इसके अलावा निर्माण और अन्य क्षेत्रों की विभिन्न निजी कंपनियों के आने से यहां सूने पड़े मकानों और होटलों में फिर रौनक आ जाएगी। इससे पहले एल एण्ड टी समेत बड़ी कंपनियों के यहां मौजूदगी के दौरान मकानों के किराए चालीस हजार से एक लाख तक पहुंच गए थे। बाड़मेर में आलीशान मकान भी बड़ी संख्या में तैयार हो गए थे। यहां खुली नई होटल्स की डिमांड भी बढ़ जाएगी। बायतु क्षेत्र में पिछले चार माह से जमीनों के दाम कम हो गए थे। लेकिन कुछ दिन पहले पुन: बढ़ गए। बाड़मेर से जोधपुर, जैसलमेर और अहमदाबाद मार्ग पर स्थित जमीनों के दाम भी बढ़ेंगे।

इनका कहना है-

‘रिफायनरी संबंधी बाधाएं दूर हुई हैं। अब जल्दी ही घोषणा हो जाएगी। केंद्र राज्य सरकार, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयासोंसे बाड़मेर और राजस्थान के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा।'

हरीश चौधरी, सांसद बाड़मेर

‘रिफायनरी को एचपीसीएल के बोर्ड में मंजूरी मिल गई  है। अब इसके लिए एमओयू किया जाएगा।'

सुधांश पंत, पट्रोलियम व खान सचिव

‘बाड़मेर में रिफायनरी से पेट्रो केमिकल, पेट्रो  इंजीनियरिंग, मेट्रो मेडिसनल रिसर्च, हीटिंग ऑयल इंडस्ट्रीज को बल मिलेगा। रिफायनरी मदर ऑफ इंडस्ट्री है। इससे नेफ्था निकलता है, जिससे पेट्रोल बनता है। यहां नेफ्था, पेट्रोल, डीजल, केरोसीन और  एविएशन फ्यूल बनेगा। 30 से 40 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे राजस्थान रिफाइन हो जाएगा।'

जगदीश मेहता, पूर्व एमडी मंगलोर रिफायनरी

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  • राजस्थान में रिफायनरी की राह आसान

    राजस्थान को रिफायनरी की सौगात मार्च माह में ही मिल सकती है। बाड़मेर में रिफायनरी लगाने के लिए राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच 17 मार्च तक समझौता हो सकता है। राज्य सरकार ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री से एमओयू पर हस्ताक्षर के लिए 12 से 17 मार्च के बीच का समय मांगा है। मंत्रालय से 13 मार्च का समय मिलने की संभावना भी जताई गई है। पेट्रोलियम विभाग के उच्चाधिकारियों के मुताबिक केंद्र से रिफायनरी को लेकर हरी झंडी मिल चुकी है। ऐसे में एचपीसीएल बोर्ड बैठक में राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी मिलना तय है। राज्य सरकार ने समझौता पत्र तैयार करने की तैयारी कर ली है। समझौता पत्र पर दिल्ली में हस्ताक्षर होंगे। रिफायनरी को हरी झंडी देने के लिए एचपीसीएल बोर्ड की बैठक 5 मार्च को होनी है। इसमें राज्य सरकार की ओर से एचपीसीएल को 56 हजार करोड का पैकेज देने पर मुहर लगेगी। इसके बाद रिफायनरी के लिए केंद्रीय केबीनेट की वित्तीय मामलों की सब कमेटी से अनुमोदन कराया जाएगा। अनुमोदन के बाद राज्य सरकार व एचपीसीएल के बीच केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री की अध्यक्षता में समझौता पत्र तैयार होगा। इसके साथ ही राज्य में रिफायनरी का काम शुरू हो जाएगा। यह रिफायनरी पहले 4.5 से 6 मिलियन टन के बीच प्रस्तावित थी। अब रिफायनरी पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स के साथ 9 मिलियन टन की लगेगी। एचपीसीएल के अलावा इसमें ओएनजीसी, इंजीनियरिंग इंडिया लिमिटेड तथा राज्य सरकार की हिस्सेदारी होगी।

  • बाड़मेर रिफायनरी

    राजस्थान के विकास की यात्रा में सबसे बड़ा कदम मानी जा रही बाड़मेर रिफायनरी पर आखिर सरकार और हिन्दुस्तान पट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के बीच एमओयू हो गया। रिफायनरी की स्थापना से पेट्रोकेमिकल, पेट्रोइंजीनियरिंग और अन्य सम्बंधित क्षेत्रों में अनेक नए उद्योग भ्ी स्थापित होंगे। इस उपक्रम में लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। निश्चय ही रिफायनरी प्रदेश के विकास और खुशहाली की दिशा में युग परिवर्तन का कदम साबित होगी।
    रिफायनरी से प्रदेश में पाइप, टायर, एडेसिव, ऑटोमोटिव्ज पार्ट्स, शूज सोल, बकेट्स, बोटल्स, टीवी पार्ट्स, प्रोटेक्टिव कोटिंग, फुटबॉल, फोम जैसे अनेक उद्योगों की संभावनाएं बढ़ गई हैं। पश्चिमी राजस्थान में इस रिफायनरी से आर्थिक सामाजिक विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। औद्योगीकरण की राहें खुलेंगी और जीवन स्तर सुधरेगा। रिफायनरी की निर्माण अविध में नौकरियों, कर राजस्व और रोजगार के अवसर भी बढे़ंगे। कहा जा सकता है कि प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से चार लाख लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। समूचे प्रदेश में शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन, बैंकिंग और अन्य सेवा क्षेत्रों में भी अवसर बढेंगे। रिफायनरी लगभग चार साल में अपना काम करना आरंभ कर देगी। लेकिन रिफायनरी का असर अभी से आरंभ हो गया है।
    राजस्थान के बाड़मेर में रिफायनरी कम पट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स के लिए 14 मार्च को राज्य सरकार और हिन्दुस्तान पट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के बीच एमओयू हो गया। रिफायनरी के लिए हिस्सा राशि के रूप में राज्य सरकार 800 करोड रुपए प्रतिवर्ष अगले चार साल तक देगी। पांचवें साल से 15 साल तक 3736 करोड रुपए की राशि वायबिलिटी गैप फंड के रूप में दी जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय के सभागार में सुबह 9 बजे आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोईली, पट्रोलियम राज्य मंत्री पी लक्ष्मी, राज्य के पट्रोलियम मंत्री राजेन्द्र पारीक, मुख्य सचिव सीके मैथ्यू, पेट्रोलियम मंत्रालय के विशेष सचिव सुधीर भार्गव और एचपीसीएल के सीएमडी एस राय चौधरी मौजूद थे।
    राजस्थान में रिफायनरी के बाद देश में रिफाइनरी की क्षमता बढ जाएगी।क्षेत्र के विकास में कंपनी अपनी भागीदारी निभाएगी। प्रदेश में कई इंडस्ट्री लग जाएंगी।

    रिफायनरी-विशेष बिंदू

    -राजस्थान का क्रूड ऑयल सबसे बेहतर है। बाड़मेर सांचोर बेसिन के मंगला और अन्य ऑयल फील्ड में इतना क्रूड ऑयल है कि रिफायनरी के लिए इसे बाहर से मंगवाने की जरूरत नहीं होगी।
    -रिफायनरी का तत्काल प्रभाव रोजगारों के अवसरों के रूप में देखा जा रहा है। इससे 45 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, जबकि सवा लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार संभावित होगा।
    -रिफायनरी के लिए राजस्थान का इक्विटी शेयर 15 से 26 प्रतिशत और एचपीसीएल का 51 से 74 प्रतिशत होगा।
    -रिफायनरी के लिए बाड़मेर में 9610 बीघा जमीन अवाप्त की जाएगी। इस जमीन के लिए जमीन के मालिकों को मोटा मुआवजा दिया जाएगा।
    -रिफायनरी से 11 तरह के बायो प्रोडक्ट निकलेंगे। इनसे 129 तरह के उत्पाद तैयार होंगे। इसके लिए प्रदेश में 500 से अधिक छोटे बड़े उद्योग लगने की संभावना है।
    -रिफायनरी से पॉली प्रोपीलीन, पॉली इथयलीन आदि से संबंधित बड़े उद्योग जमेंगे। पॉली प्रोपीलीन संबंधी कई इकाईयां जोधपुर में लगेंगी। जबकि नट, बोल्ट, बियरिंग, मशीन, औजार, पंप, मोटर और इनकी मरम्मत से संबंधित छोटे उद्योग भी पनपेंगे।
    -प्रदेश में अभी क्रूड ऑयल से 6000 करोड रुपए की सालाना आय हो रही है। रिफायनरी के बाद यह सालाना आय बढ़कर 35000 करोड हो जाएगी।
    -अभी राजस्थान में केयर्न द्वारा पौने दो लाख बैरल प्रतिदिन क्रूड ऑयल का उत्पादन हो रहा है। इसे जल्द ही साढे तीन लाख बैरल प्रतिदिन किए जाने की संभावना है।
    -तीन से चार महीनों में रिफायनरी के लिए वित्तीय और तकनीकी जरूरतों को पूरा कर लिया जाएगा। इस कॉम्पलेक्स को बनने में 46 माह से अधिक का समय लग सकता है। इस तरह जनवरी 2017 तक रिफायनरी से उत्पादन शुरू होने की उम्मीद की जा सकती है।

  • रिफाइनरी के लिए बनेगी टास्क फोर्स
    बाड़मेर में प्रस्तावित रिफाइनरी एंड पेट्रो केमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना के जिए राज्य सरकार टास्क फोर्स स्थापित करने जा रही है। मुख्य सचिव सी के मैथ्यू की अध्यक्षता में गठित होने वाली इस टास्क फोर्स में खान एवं पेट्रोलियम विभाग के सचिव, जल संसाधन विभाग, पीएचईडी तथा राजस्व विभाग के प्रमुख, उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव, पीडब्लूडी के प्रमुख सचिव, तकनीकि शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के साथ एचपीसीएल कंपनी के प्रतिनिधि शामिल होंगे। मुख्य सचिव की ओर से तैयार इस टास्क फोर्स के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री से मंजूरी मिलना बाकी है। यह टास्क फोर्स रिफाइनरी की स्थापना के काम को समयबद्ध कराने के साथ इसमें आने वाली अड़चनों को दूर करने और जरूरतों को पूरा करने का काम देखेगी। अभी रिफाइनरी की स्थापना के लिए सबसे पहला काम जमीन की अवाप्ति करना है।

  • बाड़मेर में और मिले तेल भंडार
    केयर्न इंडिया ने बाड़मेर के आरजे-ओएन-90/1 ब्लॉक की 26 वीं तेल खोज करने की घोषणा की है। इस खोज से जुडे़ तेल की संपूर्ण मात्रा और संसाधन आधार जानने के लिए आंकलन जारी है। आरजे-ओएन-90/1 ब्लॉक के लिए तेल खोज कार्ययोजना को प्रबंधन समिति ने 14 फरवरी 2013 को अनुमोदित किया था। इसके बिाद केयर्न इंडिया ने ब्लॉक के दक्षिण में 25 फरवरी को पहले अन्वेषण कुएं की ड्रीलिंग रागेश्वरी साउथ 1 के रूप में की। तकनीकी आंकलन ये दर्शाते हैं कि इस क्षेत्र में लगभग 10 मीटर का तेल युक्त कॉलम धारवी डूंगर फार्मेशन में मौजूद है। रागेश्वरी तुकाराम क्षेत्र में पहली बार तेल की खोज धारवी डूंगर सैंड से हुई है जबकि पहले हुई खोजें इससे कम गहराई पर थुम्बली सैंड्स के स्तर पर थी। केंद्र की ओर से 14 फरवरी 2013 से की गई तेल खोज नीति में बदलाव के अब सुखद परिणाम आने लगे हैं। दूसरे फेज की पहले खोज से कंपनियों का हौसला बढा है। केयर्न की 26 वीं तेज खोज महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसके तहत दो वर्षों में सौ कुएं खोदे जाएंगे। 13 फरवरी तक नीति में प्रावधान था कि जिस ब्लॉक में कोई कंपननी तेल उत्पादन कार्य कर रही है उसके समानांतर उस ब्लॉक में खोज नहीं होगी।

  • 15 करोड़ बैरल तेल उत्पादन का रिकॉर्ड
    राजस्थान के थार के रेगिस्तान में चार साल पहले मंगला तेल कुएं से पहली बूंद मिलने के बाद बुधवार तक 15 करोड़ बैरल तेल उत्पादन का रिकॉर्ड बन गया है। मंगला, एश्वर्या और भग्यम क्षेत्रों में उन्नत तेल प्राप्ति का भंडार एक अरब बैरल तक पहुंच सकता है। केयर्न इंडिया ने 2004 में बाडमेर सांचोर बेसिन में तेल खोज की शुरूआत की थी। पांच साल बाद 2009 में मंगल से तेल की पहली बूंद निकली तो उम्मदों को पंख लग गए थे। उसके बाद भाग्यम, ऐश्वर्या, रागेश्वरी सहित 26 तेल भंडार खोजे जा चुके हैं। अकेले मंगला में रोजाना 1.75 लाख बैरल तेल का उत्पादन हो रहा है। जानकारी के अनुसार केयर्न ने मंगलवार को जब 26 वें तेल भंडार की खोज की घोषणा की तो उसी दौरान इस क्षेत्र से तेल उत्पादन का आंकडा भी 15 करोड बैरल तक पहुंच गया जो कि एक रिकॉर्ड है। केयर्न के मुताबिक इस क्षेत्र में लगभग एक अरब बैरल तेल भंडार हैं।

  • किसानों ने मांगा भारी मुआवजा
    राजस्थान के बाड़मेर में रिफायनरी लगने से पहले ही पेंच फंसने लगे हैं। बाडमेर में प्रभावित गांवों के किसानों ने जमीन की एवज में 1 करोड रूपए प्रति बीघा का मुआवजा मांगा है। ऐसे में असरकार की मुश्किलें बढ गई हैं। यदि सरकार किसानों को उनकी मांग के मुकाबले बीस फीसदी भी मुआवजा देतो करीब दो हजार करोड रूपए की जरूरत होगी। इस बीच बाडमेर कलेक्टर ने किसानों से मिलकर मांगपत्र राज्य सरकार को भेज दिया है। सरकार तीन माह में अवाप्ति का काम शुरू कर इसके शिलान्यास की तैयारियां कर रही थी। लेकिन एमओयू को एक माह बीतने के बाद भी अवाप्ति की स्थिति जस की तस है। रिफाइनरी लगा 2017 तक वाणिज्यिक उत्पादन का लक्ष्य अब दूर लगने लगा है। किसानों ने मुआवजे केअलावा क्रूड ऑयल से होन वाली आय में भी 10 फीसदी सालाना रॉयल्टी मांगी है। सरकार यदि एक प्रतिशत भी रॉयल्टी देने पर राजी हो जाती है तो सालाना 300 करोड किसानों को देने होंगे।

    विकल्पों की तलाश-

    सरकार अब इस समस्या के विकल्पों पर विचार कर रही है। सरकार के पास रिफाइनरी पचपदरा में शिफ्ट करने का विकल्प है। यहां करीब 20 हजार बीघा सरकारी जमीन है। लीलाला गांव की जमीन बाडमेर से 40 किमी की दूरी पर है जबकि पचपदरा 100 किमी दूर है। सरकार के पास लीलाला के किसानों से अनिवार्य अधिग्रहण करने का भी विकल्प है लेकिन चुनावी वर्ष के सरकार इस फैसले से बचने की कोशिश कर सकती है। बाडमेर रिफाइनी 5950 बीघा में लगने वाली है। 2100 बीघा व्यावसायिक उपयोग के लिए चाहिए जबकि 1600 बीघा में आवासीय कॉलोनियां बसाई जाएंगी। एक अनुमान के मुताबिक 634 खातेदार इससे प्रभावित होंगे, इसमें डेढ हजार परिवार शामिल हैं। जमीन अवाप्ति वाले गांव हैं-लीलाला, सगरमणि गोदारों की ढाणी, जांदुओं की ढाणी, लीलासर कालू व मीठिया तला गांव।

  • लीलाला में ही रिफाइनरी संभव

    बाड़मेर के लीलाला में ही रिफाइनरी लगेगी। साथ ही जून में शिलान्यास होने की भी संभावना है। रिफाइनरी के लिए एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड के नाम से कंपनी का गठन होगा। उद्योग विभाग और रीको मिलकर औद्योगिक पार्क विकासित करेंगे। गुरूवार को मुख्य सचिव सीके मैथ्यू की अध्यक्षता में हुई टास्कफोर्स की पहली बैठक में ये निर्णय लिए गए। प्रजेंटेशन के माध्यम से निर्माण कार्य, वित्तीय स्थिति व संचालन के बारे में बताया गया। पेट्रोलियम सचिव सुधांश पंत ने बताया कि रिफाइनरी में एचपीसीएल की भागीदारी 74 फीसदी और राजस्थान सरकार की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत होगी।

  • जमीन अवाप्ति के लिए किसानों से बात की जाएगी

    बाड़मेर में रिफाइनरी के लिए किसानों से जमीन अवाप्ति का रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो जून तक जमीन अवाप्ति की कार्रवाई पूरी कर ली जाएगी। टास्कफोर्स ने जमीन अवाप्ति की प्रक्रिया जल्दी पूरी करने के लिए संभागीय आयुक्त जोधपुर की अध्यक्षता में जिला कलक्टर बाडमेर व अन्य अधिकारियों की कमेटी को किसानों के साथ मुआवजे को लेकर बात करने को कहा है।

  • अवाप्ति की कार्रवाई अब तक पूरी नहीं

    बाड़मेर में लगनी वाली रिफाइनरी के लिए जमीन अवाप्ति की कार्रवाई अब तक पूरी नहीं हो पाई है। न ही अवाप्ति के लिए मुआवजे की दरों का निर्धारण हो पाया है। रिफाइनरी के लिए 9610 बीघा जमीन अवाप्त की जा रही है। दरों का निर्धारण नहीं होने से पूरी जमीन की अवाप्ति कार्रवाई अटकी हुई है।
    केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली सहित कई स्तर पर घोषणा की जा चुकी है कि जून में रिफाइनरी के लिए शिलान्यास किया जाएगा। इस बीच मुआवजा और पैकेज की मांग को लेकर किसानों का धरना दो माह से चल रहा है। किसानों को दी जाने वाली मुआवजा राशि और अवाप्ति कार्रवाई की समीक्षा के लिए अगले दो तीन दिन में बाडमेर में बैठक होने की संभावना है। जोधपुर के संभागीय आयुक्त हेमंत गेरा का कहना है कि अभी मुआवजा राशि की दर तय नहीं हुई है। इसके लिए वार्ता चल रही है। किसी अन्य तरह के पैकेज के बारे में राज्य सरकार के स्तर पर ही फैसला होगा।
    पता चला है कि जन प्रतिनिधियों के स्तर पर मुआवजा 8 से 10 लाख रू प्रति बीघा तय कराने के प्रयास चल रहे हैं। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
    जयपुर एवं आसपास के क्षेत्र में भूमि अवाप्ति करने पर किसानों को नकद मुआवजा देने के स्थान पर अवाप्त भूमि की 25 प्रतिशत विकसित भूमि अवाप्ति वाले स्थान के निकट ही दी जाती है। इसमें पांच फीसदी कॉमर्शियल और बीस फीसदी आवासीय होती है। यह फार्मुला बाडमेर के किसानों के लिए भी अपनाया जा सकता है। इसमें किसानों को रिफाइनरी के पास ही विकसित भूमि दी जा सकती है। इस भूमि पर किसान दुकानें बना सकते हैं। आवासीय कॉलोनियां भी काट सकते हैं। इस व्यवस्था में किसानों को आर्थिक लाभ अधिक होने की संभावना होती है। इस बारे में संभागीय आयुक्त का कहना है कि इस फार्मुले के बारे में भी फैसला राज्य सरकार के स्तर पर होगा।

  • ‌‌‌केर्यन एनर्जी को नहीं मिलेगा पूर्व आवंटित क्षेत्र

    बाड़मेर जिले में केर्यन एनर्जी को तेल खोज के लिए पूर्व में आवंटित 7997 वर्ग किमी क्षेत्र पुन: लौटाने से डायरेक्टर जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन ने साफ इनकार कर दिया है। इसका राज्य में तेल खोज पर सीधा असर पड़ेगा। डायरेक्टर जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन ने केयर्न एनर्जी को पूर्व में आवंटित क्षेत्र यह कहकर लौटाने से इनकार कर दिया कि अब उसे नए सिरे से निविदा मांगे जाने के दौरान अन्य कंपनियों के साथ पुन: आवेदन करना होगा। केयर्न एनर्जी ने हाल ही रिफाइनरी के लिए क्रूड ऑयल की पर्याप्त आवश्यकताओं को देखते हुए तेल खोज को गति देने के लिए पूर्व में आवंटित क्षेत्र लौटाने की मांग डीजीएच से की थी। डीजीएच ने नियमों का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। वर्तमान में केयर्न एनर्जी के पास तेल खोज के पर्याप्त साधन है लेकिन अब ब्लॉक आवंटन के लिए निविदा सहित अन्य प्रक्रिया पूरी करने में काफी समय लगेगा। साथ ही नई कंपनी के इस काम को हाथ में लेने की स्थिति में संसाधन जुटाने में भी वक्त लगेगा। इसका सीधा असर तेल खोज की रफ्तार पर पड़ेगा। पेट्रोलियम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ओएनजीसी को महानिदेशक हाईड्रोकार्बन ने 15 मई 1995 को बाडमेर क्षेत्र में ब्लॉक आरजे आएन 90/1 की 11108 वर्ग किमी जमीन आबंटित की थी। ओएनजीसी ने इस ब्लॉक में अपने साथ शैल को भी भागीदार बनाया था। यहां तीन फेज में खोज के लिए सात वर्ष की अवधि तय की गई थी। लेकिन इस अवधि में करीब 3111 वर्ग किमी क्षेत्र डीजीएच ने वापस अपने कब्जे में ले लिया। राजस्थान में एचपीसीएल की ओर से 9 मिलियन टन की रिफाइनरी लगाई जा रही है। वर्तमान में रोजाना तेल उत्पादन भी 9 मिलियन टन के आसपास ही हो रहा है। लेकिन डीजीएच पूर्व में घोषणा कर चुका है कि वर्तमान में उतपादित किए जा रहे तेल में वर्ष 2018-19 से गिरावट शुरू हो जाएगी। जबकि रिफाइनरी भी बनकर इसी दौरान शुरू होगी। ऐसे में और तेल कुओं की खोज में देरी हुई तो रिफाइनरी के लिए क्रूड ऑयल की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

  • लीलाला से पचपदरा जा सकती है रिफाइनरी

    बाड़मेर के लीलाला में रिफाइनरी के लिए जमीन अवाप्ति में दिक्कतें पेश आ रही है। इसे देखते हुए सरकार ने रिफाइनरी को पचपदरा ले जाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए एचपीसीएल की टीम एक दो दिन में पचपदरा का दौरा करेगी। टीम के विशेषज्ञ मिट्टी की टेस् टिंग के लिए नमूने लेंगे। नमूनों की जांच रिपोर्ट दो दिन में आ जाएगी। इसमें बताया जाएगा कि रिफाइनरी पचपदरा में लग सकती है या नहीं। प्रक्रिया में एक सप्ताह का समय लग जाएगा। गुरूवार को मुख्य सचिव सीके मैथ्यू ने टास्कफोर्स की बैठक ली। लीलाला में जनमीन अवाप्ति की एवज में किसानों की ओर से भारी भरकम मुआबजे की मांग किए जाने के बाद पचपदरा में सरकारी जमीन पर रिफाइनरी लगाने पर विचार हुआ। यदि पचपदरा में रिफाइनरी लगना फाइनल हुआ तो सरकार फायदे में रहेगी। सरकार को किसानों को भारी भरकम मुआवजा नहीं देना होगा। एचपीसीएल को मात्र 30 किमी अतिरिक्त लाइन डालनी पड़ेगी। बाडमेर को होने वाले पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी। उल्लेखनीय है कि लीलाला में 2005 में डीएलसी दरें केवल 3300 रूपए बीघा थ्ज्ञी। रिफाइनरी का जिक्र होने के बाद कीमतें 2006 में ही 37000 बीघा तक पहुंच गई। रिफाइनरी स्थानांतरित होने से जमीनों के भाव फिर जमीन पर आ जाएंगे।

  • रिफाइनरी के लिए पचपदरा आया रास

    रिफाइनरी लगाने के लिए नौ साल से राज्य सरकार के अफसर बाड़मेर के लीलाला के प्रति आश्वस्त थे और तैयारियों में जुटे हुए थे। उन्हें अब रिफाइनरी के लिए सारी खूबियां पचपदरा में नजर आ रही हैं। इस मामले में अब पचपदरा की मिट्टी की रिपोर्ट का आना बाकी है। बताया जा रहा है पचपदरा में सरकारी जमीन होने का लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही रोड नेटवर्क के पास ही मुंद्रा पोर्ट से भटिंडा तक जाने वाली क्रूड ऑयल प्रोडक्ट की पाइपलाइनें भी गुजर रही हैं। रिफाइनरी लगने के बाद इनका इस्तेमाल किए जाने की संभावना है।

  • रिफाइनरी में फिर फंसा पेंच

    बाडमेर के लीलाला में किसानों द्वारा भारी मुआवजा मांगे जाने के बाद रिफाइनरी को पचपदरा में सरकारी जमीन पर स्थापित किए जाने की तैयारी जोर शोर से चल रही थी। लेकिन पचपदरा में भी अब एक न पेंच फंस गया है। पचपदरा में सरकारी जमीन के बीच से एक राष्ट्रीय राजमार्ग गुजर रहा है। ऐसे में रिफाइनरी राजमार्ग के एक ओर ही लग सकती है। यदि ऐसा हुआ तो सरकार को लगभग बीस प्रतिशत यानि कि दो हजार बीघा जमीन किसानों से अवाप्त करनी पड़ेगी। रिफाइनरी दस हजार बीघा में लगनी है। मुख्य सचिव सीके मैथ्यू ने मामले पर विचार करने के लिए गुरूवार को बैठक बुलाकर इस मुद्दे पर चर्चा की।

  • पचपदरा में ही लगेगी रिफाइनरी

    बाड़मेर जिले में रिफाइनरी की जगह सोमवार को तय होने के पूरे आसार हैं। सोमवार को मुख्य सचिव सीके मैथ्यू की अध्यक्षता में होने वाली टास्क फोर्स की बैठक में एचपीसीएल की ओर से बाडमेर जिले के लीलाना और पचपदरा की तुलनात्मक रिपोर्ट पेश की जाएगी। रिपोर्ट पर चर्चा के बाद तय होगा कि रिफाइनरी कहां लगेगी। पिछली बैठक में मुख्य सचिव ने एचपीसीएल को दोनों जगहों की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार करने को कहा था। इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिफाइनरी पचपदरा में लगना लगभग तय हो चुका ह। इसकी आधिकारिक घोषणा यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को रास्ताथान बुलाकर कराए जाने की चर्चा हौ। पेट्रोलियम मंत्रापलय ने रिफाइनरी के लिए पचपदरा में चार हजार एकड़ जगह की पहचान की है। मंत्रालय पचपदरा को उचित स्थान मान रहा है। लीलाना का दावा कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है।

  • पचपदरा में ही लगेगी रिफाइनरी

    रिफाइनरी अब पचपदरा में ही लगेगी। पचपदरा और लीलाला को लेकर एचपीसीएल की ओर से तैयार तुलनात्मक रिपोर्ट में पचपदरा को ही बेहतर माना गया है। राज्य सरकार कुछ दिनों में जमीन एचपीसीएल को सौंप देगी। अगले माह से निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। बायतु कांग्रेस विधायक कर्नल सोनाराम ने जगह बदलने का विरोध किया है। लीलाला में किसानों ने जमीन अवाव्ति के लिए एक करोड रूपए बीघा तक मुआवजा मांगा था। यदि पांच लाख रूपए बीघा भी मुआवजा दिया जाता तो 500 करोड किसानों को देने पड़ते। लेकिन पचपदरा जमीन सरकारी होने से डीएलसी दर बीस करोड में ही मिल जाएगी। पचपदरा में 28 हजार बीघा सरकारी जमीन खाली पड़ी है। इसमें से 11001 बीघा जमीन रिफाइनरी व कॉलोनी विस्तार के लिए ली जा रही है। यह जमीन सांभरा की 5941 बीघा तथा साजियाली रूपजी कंठवाड़ा की 5056 बीघा है। एक किसान की बीच में 8 बीघा जमीन आ रही है। उसे इसके बदले पास ही की दूसरी जमीन आवंटित की जाएगी।

  • जल्दी होगा एग्रीमेंट

    पचपदरा में सांभरा और साजियाली के निकट लगने वाली रिफाइनरी के लिए जाइंट वेचंर कंपनी बनाने के लिए एचपीसीएल और राज्य सरकार के बीच एग्रीमेंट अगले तीन चार दिन में होने की संभावना है। इसके लिए प्रारूप तैयार करा लिया गया है। रिफाइनरी किे लिए चिन्हित नई जमीन के पर्यावरण क्लियरेंस के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बीच बाडमेर कलेक्टर ने इस जमीन को सेट अपार्ट करने के लिए प्रक्रिया आरंभ कर दी है। एचपीसीएल और राज्य सरकार के बीच एग्रीमेंट का प्रारूप तैयार है। इस पर साइन कराने की प्रक्रिया अगले तीन चार दिन में कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। एचपीसीएल के अधिकारियों से भी लगातार संपर्क किया जा रहा है। इस एग्रीमेंट के बाद कंपनी का नाम पचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड होगा। पचपदरा के निकट 28 हजार बीघा से अधिक जमीन उपलब्ध है। इसमें नेशनल हाइवे के उत्तर वाली जमीन को रिफाइनरी के लिए उपयुक्त माना गया। इसमें 10 हजार बीघा से अधिक जमीन रिफाइनरी के लिए दी जानी है। इसमें एक छोटा से टुकडा खातेदारी का है जिसे निकट ही एवज में जमीन दे दी जाएगी। नेशनल हाइवे के दक्षिण में 700 बीघा जमीन कॉलोनी के लिए और 300 बीघा जमीन पानी टैंक के लिए दी जाएगी। इस बीच डीडवाना साल्ट लिमिटेड के मैनेजर का प्रभार देख रहे एसडीओ को बाडमेर जाकर साल्ट क्षेत्र की जमीन के राजस्व के नाम हस्तांतरित कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद बाडमेर कलेक्टर इस जमीन को औद्योगिक प्रयोजनार्थ सेट अपार्ट की प्रक्रिया करेंगे। सेट अपार्ट होने के बाद उद्योग विभाग इस जमीन को डीएलसी रेट पर रिफाइनरी की कंपनी को आवंटित करेगा।

  • राज्य में खुलेगा पेट्रोलियम विवि

    राज्य में जल्द ही एक पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय खोला जाएगा। जो यहां स्थापित होने वाली रिफाइनरी के लिए युवा इंजीनियर और अन्य तकनीशियन तैयार करने के कोर्स संचालित करेगा। इसके आलावा बीकानेर में एक तकनीकी विश्वविद्यालय भी जल्द ही स्थापित होगा। राज्य में पहले से लगे और नए लगने वाले टेक्सटाइल कारखानों को रसरकार विशेष प्रोत्साहन पैकेज भी देगी। यह निर्णय बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में किए गए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई बैठक मिें पट्रोलियम विवि के लिए स्थान पर भी चर्चा की गई। लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। सौर और पवन ऊर्जा में संशोधन तथा वाटर वेस्ट मैनेजमेंट संबंधी मुद्दे एजेंडा में तो थे लेकिन इन्हें स्थगित कर दिया गया।

  • पचपदरा की जमीन पर दबंगों का कब्जा

    पचपदरा के आसपास की जमीनों पर दलितों और किसानों के नाम से दबंगों ने कब्जा कर लिया है। ये कब्जे रिफाइनरी लीलाला से पचपदरा शिफ्ट करने के फैसले से पहले ही हो गए थे। इससे सरकारी फैसलों के लीक होने की भी पुष्टि होती है। बड़े पैमाने पर हुए इस घोटाले में बड़े नाम उजागर होने का अंदेशा है। कई दबंगे नेता और मंत्रियों के रिश्तेदार इस घपले में शामिल हैं। बालोतरा के घेवरराम के नाम पचपदरा के निकट खेड़ में तीन सौ बीघा जमीन मिली है। घेवरराम ने जमीन देखी ही नहीं। रजिस्ट्री पर जिस आदमी के हस्ताक्षर हैं वह एक मंत्री का रिश्तेदार है। ऐसे कई मामले हाल ही उजागर हुए हैं। राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी का कहना है कि हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते।

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