राजस्थान वानिकी एवं वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान जयपुर के निदेशक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं भारतीय वन सेवा के 1986 बैच के अधिकारी डॉ एन. सी. जैन ने 33 वर्ष की सेवा पूर्ण कर 31 जुलाई को सेवानिवृति के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम रखते हुए अपने संस्थान में सभी स्टाफ से एक-एक पौधा रोपित करा कर संस्थान में एक प्रकृति संरक्षण पथ की स्थापना कराकर एक आदर्श उदाहरण पेश किया। यह पथ सभी आने वाले आगंतुकों एवं प्रशिक्षणार्थियों के लिए पहचान एवं प्रजाति संरक्षण के लिए अत्यन्त उपयोगी होगा। साथ ही उन्होंने आह्वान किया कि पूरे राज्य के सभी जिलों में इस प्रकार के प्रकृति प्रशिक्षण पथ के निर्माण किस तरह से किये जा सकते हैं।
इस दिवस को उन्होंने अत्यंत ही सादगी भरा रखते हुए किसी भी प्रकार के उपहार लेने से इनकार करते हुए निवेदन किया कि उपहारों को कम कर के हम अनावश्यक वेस्ट को कम कर सकते हैं। उन्होंने विशेष तौर से अपने परिसर को जीरोवेस्ट बनाने के अभियान से जोड़ते हुए सभी लोगों से अपील की कि हमें उपहारों का आदान-प्रदान में कमी लानी चाहिए। इस दिवस पर अपने अंतिम सेवा दिन उन्होंने राजस्थान की दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण के संबंध में एक विस्तृत प्रतिवेदन प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं हेड ऑफ द फॉरेस्ट फोर्स को प्रस्तुत किया जिससे पूरे राज्य में एसी प्रजातियों के संरक्षण में मदद मिलेगी। उन्होंने अपने सेवा के अंतिम दिन को पूर्ण लगन से कार्य करते हुए सेवा पूर्ण करने का एक आदर्श उदाहरण पेश किया। इस अवसर पर प्रधान मुख्यमंत्री संरक्षक वन संरक्षक एवं हो होफ डाँ जी वी रेडी, भूतपूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ सुरेश चंद्र सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों एवं संस्थान के कर्मचारियों ने उनके कार्यकाल में किए गए कई कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई देकर विदा किया।
स्रोत: श्री मोती लाल वर्मा