(आईआईएफ-2018 के अंतिम दिन उद्यमियों ने साझा की अपनी सफल यात्रा)
जयपुर, 8 जनवरी।
लघु उद्योग भारती और उद्योग विभाग, राजस्थान सरकार की संयुक्त भागीदारी में आयोजित चार दिवसीय इंडिया इंडस्ट्रीयल फेयर-2018 उद्योग दर्शन भारत के तकनीकी सत्र मंत्रा ऑफ सक्सेस एंड सोशल एन्टरन्प्रिन्योरशिप में सक्सेस एन्टरन्प्रिन्योर्स ने अपनी यात्रा को युवा उद्यमियों से साझा किया।
सक्सेस के लिए जरूरी है क्रेडिबिलिटी-
सोया ऑयल और प्रोडेक्टस में अपना ब्रांड बनाने वाले कोटा के ताराचंद गोयल का कहना है कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा में गहरे से समाहित है सामाजिक दायित्व का भाव। परिवार से ही इसकी शुरुआत हो जाती है। जब भी आप बिजनेस में सफलता अर्जित करना चाहें तो उसके जरूरी है गुणवत्ता की प्रामाणिकता पर खरा उतरते हुए कस्टमर का विश्वास अर्जित करना पड़ता है। श्री गोयल बीते हुए दिनों को साझा करते हैं कि किस तरह उन्होंने अपने पिता के कहने पर एक छोटा सा किरयाने की दुकान शुरु की और बाजार में प्रतिस्पर्धा में रहते हुए जब लोगों में ईमानदार छवि बनाया तो फिर पीछे मुडक़र नहीं देखा। उन्होंने कहा कि आज उनका बिजनेस टर्नओवर जब 22 सौ करोड़ के ऊपर पहुंच गया है तब भी वे उन्हीं बुनियादी सिद्धातों के साथ बाजार में खड़े हैं, जिससे आप सफलता की ओर आगे बढ़ते हैं।
जीरो वुड टेकनीक से बचाया पेड़ों को
सफलता की एक कहानी के हीरो दिग्विजय ढ़ाबरिया भी हैं, जिन्होंने प्रकृति की अनमोल देन पेड़ों को बचाने के लिए अपने इनोवेटिव आइडिया पर काम किया। दिग्विजय बताते हैं कि सीमित जमीन, अंधाधुंध खर्च होते ईंधन और बढ़ती जनसंख्या के चलते फर्नीचर व बिल्डिंग मेटीरियल की मांग पूरी करने के लिए जिस तरह से पेड़ों को बेरहमी से काटा जाने लगा तो उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसा काम शुरू किया जाए जिससे मानव जीवन के लिए पेड़ों को बचाया जा सके और मानवीय जरूरतें भी पूरी की जा सकें। उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोडक़र प्लास्टिक इंजिनियरिंग में पीजी तक की पढ़ाई की और पॉलिमर बेस्ड सब्सटीटयूट पर काम शुरु किया, जिसमें खिडक़ी, दरवाजों से लेकर फॉल सिलिंग आदि के लिए काम शुरु कर दिया। दरअसल, दिग्विजय चाहते थे जीरो वुड सैगमेंट यानी एक भी तिनके को बिना काम में लिए घर का पूरा फर्नीचर बनाया जाए। यही कोशिश एग्रीकल्चर वेस्ट से मॉडयूलर फर्नीचर, थर्मोवेयर बनाने का काम शुरु हुआ। आज दिग्विजय देश के अग्रणी बिजनेसमैन हैं लेकिन इससे ज्यादा उन्हें इस बात का सुकून है कि हर साल वो अपने इस काम से करीब 5 लाख पेड़ों को कटने से बचा देते हैं।
नीति और नियति अच्छी तो परिणाम भी अच्छे
सक्सेस मंत्रा के इस सत्र में जोधपुर के मेयर घनश्याम ओझा भी शामिल थे। लव-कुश नाम से एक एनजीओ का संचालन करने वाले ओझा ऐसे 1100 बच्चों को नई जिंदगी दे चुके हैं जिनके जन्म के बाद उनके माता-पिता ने नकार दिया। साथ ही वे गरीब बच्चियों को विवाह भी करवाते हैं। अपने अतीत को साझा करते हुए ओझा बताते हैं कि प्रोविडेंट फंड के 70 हजार की जमा पूंजी से उन्होंने व्यापार शुरु किया जो 100 करोड़ के सालान टर्नओवर से ऊपर पहुंच गया। स्टेनलेस स्टील में अपनी पहचान कायम करने वाले ओझा सामाजिक उत्तरदायित्वों से भी उतने ही जुड़े हैं।
इसी तरह श्री माधव सेवा समिति व भगवान महावीर चाइल्ड वेलफेयर ट्रस्ट के जरिए प्रदेश के विभिन्न शहरों की स्लम बस्तियों के करीब दो हजार बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे संजय कुमार ने भी अपने एक्पीरियंस शेयर किए। उन्होंने बताया कि अलवर, जयपुर व जोधपुर शहरों में चार स्कूल व 46 शिक्षा केंद्रों के जरिए स्लम बस्तियों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। संजय कुमार की प्रेरणा से उनके साथ दर्जनों उच्चशिक्षित युवा भी ऐसे जुड़े हैं जो कि इन बस्तियों में जाकर रोजाना दो घंटे बच्चों को पढ़ाते हैं।
इस दौरान ‘दिस एबिलिटी’ टेलफिल्म के जरिए पुणे के एक ऐसे उद्योगपति की सक्सेस स्टोरी से रूबरू कराया जो कि समाज में उपेक्षित दृष्टि से देखे जा रहे डिसेबल लोगों को अपनी कंपनी में स्वयं प्रशिक्षण देकर रोजगार मुहैया करवा रहे हैं। अंत में लघु उद्योग भारती के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश मित्तल ने सभी पैनलिस्ट का आभार व्यक्त किया। इस तकनीकी सत्र का संचालन रोहित प्रधान ने किया।
Dr. Sanjay Mishra
Media Coordinator
IIF-2018
98295 58069
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