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होली का हुल्लास’ काव्य संध्या में चढ़ा कविताओं का रंग

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होली का हुल्लास' काव्य संध्या में चढ़ा कविताओं का रंग
—पीआर और मीडिया प्रोफेशनल्स का काव्य पाठ
जयपुर, 11 मार्च। होली के उल्लास को कविताओं की शक्ल में ढालते हुए जयपुर के पीआर और मी​डिया प्रोफेशनल्स ने अपने शब्द विन्यास से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जब ‘बस एक चुटकी भर सपना ले जाता है कहीं दूर..' जैसी दमदार पंक्तियां पढ़ी गईं, तो सरस ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। सामाजिक सरोकारों से संबद्ध अग्रणी संस्था परिवर्तन संस्थान की ओर से रविवार को ‘होली का हुल्लास' काव्य संध्या के तीसरे संस्करण का आयोजन किया गया।
काव्य संध्या में कवि अपनी कविताओं से श्रोताओं को विविध रसों से रंगते और भिगोते रहे। श्रोताओं ने भी करतल और नाद ध्वनि से कवियों की लगातार हौसलाअफजाई की। कविताओं में प्रेम, राष्ट्रभक्ति, हास्य, करुणा, त्याग और वर्तमान सामाजिक मुद्दों को विविध रंगों के साथ परोसा गया।
एक बच्चा खुश हुआ खरीद कर गुब्बारा
एक बच्चा खुश हुआ बेच कर गुब्बारा
इस काव्य पाठ में हरीश करमचंदानी, फारूख आफरीदी, गोपाल शर्मा, पुष्पा गोस्वामी, वीणा करमचंदानी, कृपाशंकर अचूक, मधुकर डोरिया, गोविन्द शर्मा, डॉ. जितेन्द्र द्विवेदी, आरजे रवीन्द्र, अंशु हर्ष, डॉ. प्रभात कुमार शर्मा, वीना शर्मा, योगेश कानवा, गजाधर भरत ने अपनी श्रेष्ठ मौलिक रचनाओं से श्रोताओं की दाद पाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार नंद भारद्वाज ने की। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्था और मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन के लिए निरन्तर काम करने वाले मीडियाकर्मी और कॉरपोरेट जगत के लिए छवि निर्माण का काम करने वाले ​छिपे हुए नायकों की सृजनशीलता को मंच प्रदान करना अनुकरणीय पहल है।
परिवर्तन संस्थान के अध्यक्ष एस.के. शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया और अपने काव्य पाठ से श्रोताओं की तालियां बटोरी। सचिव डॉ. संजय मिश्र ने परिवर्तन संस्थान के माध्यम से जनजागरण के विविध कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया।


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