राईट टू हेल्थ में डायबिटिज को भी शामिल करने का सुझाव
जयपुर । दिनांक 3 मार्च : देष-विदेष के लगभग 2000 विषेशज्ञयों के डायबिटिज इण्डिया-2019 सम्मेलन का आज समापन हुआ। देष के प्राइमरी हेल्थ केयर क्षेत्र में कार्यरत डॉक्टरर्स को आमजन में डाइबिटीज के बचाव के प्रति जागरुक करने का आहवान किया। इसके साथ ही ‘‘राइट टु हेल्थ’’ के अन्तर्गत डाइबिटीज से ग्रसित नागरिक को विषेश राहत दिये जाने का सुझाव दिया गया।
वैज्ञानिक कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ अरविन्द गुप्ता ने बताया कि विषेशकर महिलाओं की गर्भावस्था के समय, एवं बच्चों तथा युवाओं में डाइबिटीज को लेकर जागरुकता तथा इसके कारण और निवारण व भविश्य में आधुनिकतम तरीकों से इलाज के बारे में विषेश चर्चा की गई। टाइप-1 डाइबिटीज लीडरषिप प्रोग्राम ‘‘डी जिनियस’’ ग्रुप एवं डाइबिटीज एजुकेटर्स के बारे में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर विषेश सत्र आयोजित किये गये।
कॉन्फ्रेंस में प्रेसिडेंट ऑफ डायबिटिज लाइफ टाइम एचीवमेन्ट पुरुस्कार से सम्मानित, प्रमुख डायबिटिलोजिस्ट व एस.सी.बी. मेडिकल कॉलेज उडीसा के प्रोफेसर डॉ सिद्धार्थ दास ने कहा कि जीवन शैली में आये बदलावों के कारण एवं मोटापा भी हमारे देष में डायबिटिज से लोगों को उतनी ही तेजी से ग्रसित किये जा रही है।
चार दिवसीय कॉन्फ्रेंस के समापन पर कॉन्फ्रेंस के चेयरमेन व एस.एम.एस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. सुधीर भण्डारी ने कहा कि देष में करोड़ो रोगीयों के इलाज के लिये आवष्यक है कि चिकित्सा क्षेत्र से जुडे, सभी चिकित्सकों को नियमित प्रषिक्षित किये जाने की रणनीति की क्रियान्वित की जायेगी। इस कार्यक्रम में देषभर से आने वाले 100 से अधिक प्रषिक्षिकों के अलावा विदेषों से आये प्रषिक्षिकों ने भी भाग लिया।
कर्नाटक डाइबिटीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ अरविंदा दास ने डायबिटीज कांफ्रेंस 2019 में स्कूलों में फिजिकल एजुकेशन और व्ययाम को कम्पलसरी कर के नियमित परिक्षण द्वारा डायबिटीज की महामारी से बचाव करने का आग्रह किया। डॉ अरविंदा ने कहा की पिछले 20 वर्षो में खान-पान में आये बदलाव व् कम शारीरिक मेहनत और मोटापे के कारण प्रत्येक 5 लोगो में से 1 डायबिटीज से ग्रसित है।
एडिनबरो, लन्दन व् ग्लास्गो के रॉयल कॉलेज अॉफ फिजियशन, यूके के फैलो रहे डॉ अरविंदो का मानना है की 90 प्रतिशत बच्चे मोबाइल फोन के कारण कोई मेहनत नहीं करते जिसके कारण बच्चो और युवाओ में मोटापा बढ़ रहा है।
एसोसिएशन अॉफ फिजिषियन के पूर्व अध्यक्ष दिल्ली के डॉ यशपाल मुंजाल ने कहा की पिछले वर्षो में डाइबिटीज कंट्रोल करने के लिए ओरल दवाइयों में कई बदलाव आये है कई नयी दवाओं से हार्ट पर पड़ने वाले प्रभाव व् कैंसर के बढ़ने की प्रवर्ति के कारण उन्हें बंद करना पड़ा। 5-6 साल से प्रचलित दवा ‘‘रोजी गिलिता जोन’’ जैसी कई दवाइयों को बंद किया गया। उन्होंने बताया की ड्रग ऑथरिटी ऑफ इंडिया को इस दिशा में कारगर कदम उठने चाहिए।
एस.एम.एस कॉलेज की वरिष्ठ आचार्य डॉ स्वाति श्रीवास्तव के नेतृत्व में डायबिटीज इंडिया 2019 के दौरान देश भर के 14 कॉलेजों के पोस्ट ग्रेचुवेट विद्यार्थियों के लिए डायबिटीज क्विज का आयोजन भी किया गया। आर.एन.टी. कॉलेज उदयपुर की टीम के डॉ योगेष कुमार मिश्रा व डॉ सुरेन्द्र कुमार प्रथम रहें।
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कल्याण सिंह कोठारी मिडिया सलाहकार 94140 47744
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