वरिष्ठ पत्रकार रूबिन बनर्जी ने कहा कि आज पत्रकारिता के सामने विश्वसनियता का संकट है इस विश्वसनियता को बचाने के लिए आवश्यक है सम्पादकीय संस्था को मजबूत बनाना। आज सम्पादकीय संस्था की कडी निगरानी ही समाज में पत्रकारिता की प्रतिष्ठा को बचा सकती है उन्होंने कहा कि कामचोर सम्पादकीय संस्था में समाचार पत्र की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने पत्रकारिता के व्यवसायिक दौर में बढती टी.आर.पी. की दौड व सनसनी पूर्ण रिपोर्टिंग पर चिंता प्रकट की।
पत्रकार एल.पी. पंथ ने कहा कि पत्रकारिता में विज्ञान की तरह कोई फार्मुला नहीं है उन्होंने कहा कि पत्रकार के सामने और चुनौतियां है लेकिन हर दिन ‘‘सांस्कृतिक थकावट’’ के दौर से गुजर रहें है उसमें पत्रकार पर यह दायित्व है कि वह आम आदमी के सपने को बचाने के लिए प्रयत्न करें।
पत्रकार महेश शर्मा ने कहा कि विकास पत्रकारिता सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार उचित आंकडों का उल्लेख मात्र नहीं है। विकास पत्रकारिता एक गंभीर विधा है जहां पत्रकार को जागरूक रहते हुये शोध अनुसंधान पर आधारित रिपोर्टिंग को प्राथमिकता दी जाती है उन्होंने पत्रकारिता को सेवाभाव से जुडा व्यवसाय बताया।
पत्रकार राकेश गोस्वामी ने विकास पत्रकारिता पर केन्द्रीत ऐसी कार्यशालाओं को उपयोगी बताते हुये सक्रिय पत्रकारों के लिए ऐसे प्रशिक्षण उनमें कौशल समता को विकसित करते है।
यूनिसेफ राजस्थान की यूनिसेफ विशेषज्ञ सुचोरिता बर्धन ने पत्रकारों से यह आग्रह किया की वे विकास संबंधी खबरों को प्राथमिकता से प्रकाशित करने में विशेष प्रयत्न करें। जन संचार केन्द्र के अध्यक्ष प्रोफेसर संजीव भानावत ने सात दिवसीय कार्यशाला की गतिविधियों की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि शीघ्र ही मीडिया शिक्षकों के लिए चौदह दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जायेगी। प्रोजेक्ट सचिव कल्याण सिंह कोठारी ने आभार प्रकट किया इस दौरान कार्यशाला की गतिविधियों पर केन्द्रीत एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।
संजीव भानावत
अध्यक्ष जन संचार केन्द्र, राजस्थान विश्व विद्यालय, जयपुर।