पुराने आमेर रोड से गुर्जर घाटी के रास्ते पर चलते हुए वरदराजजी की डूंगरी दिखाई देती है । डूंगरी पर एक छोटा लेकिन दक्षिण की द्रविड़ शैली में बना मंदिर दूर से ही आकर्षित करता है। मंदिर के पुजारी श्रीराम शर्मा के अनुसार वरदराजजी विष्णु भगवान का ही एक नाम है। मंदिर लगभग तीन सौ साल पुराना है। कहा जाता है कि आम्बेर रियासत का विस्तार करने और नया शहर बसाने से पूर्व राजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ किया था। यज्ञ से पहले ठाकुरजी की स्थापना इसी डूंगरी पर यह मंदिर बनाकर की गई थी। यह वही ऐतिहासिक मंदिर है जिसके सामने वह विराट यज्ञ हुआ था। उस महायज्ञ का साक्षी यह मंदिर वरदराजजी मंदिर के नाम से जाना गया। मंदिर के सामने नीचे घाटी में यज्ञशाला भी थी लेकिन वर्तमान में वहां बेनीवाल बाग है। मंदिर का निर्माण राजा सवाई जयसिंह ने शुद्व हिन्दू शैली से करवाया था। जयपुर के प्राचीन नक्शे में यह मंदिर अंकित है साथ ही ’जयसिंह चरित्र’ में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है।
आशीष मिश्रा
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