जयपुर के प्रमुख स्मारक ( Jaipur Monuments)
जयपुर के स्मारक दुनियाभर में अपनी खूबसूरती से एक मिसाल कायम करते हैं। यही खूबसूरती दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर बड़ी संख्या में आकर्षित करती है। यहां का शाही इतिहास, कला संस्कृति शिल्प, मौसम-प्रकृति सब अपनी खूबियों से सम्मोहन पैदा करते हैं। इंग्लैण्ड की महारानी के स्वागत में इस शहर ने अपने आप को पिंकसिटी कहलाकर मेहमाननवाजी का इल्म दिया, तो कभी मंदिरों और तीर्थों में आस्था के ज्वार के रूप में उमड़ कर छोटी काशी कहलाई। अपनी जड़ों का खूबसूरती से संजोने वाले इस शहर ने सिर्फ इतिहास ही नहीं बल्कि आधुनिकता को भी इस कदर अपनाया है कि इसे भारत का पेरिस कहा जाने लगा।
जंतर मंतर
कहां – जयपुर शहर के परकोटा इलाके में सिटी पैलेस के परिसर में स्थित जंतर मंतर वैश्विक स्तर का स्मारक है। वर्ष 2010 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर में शामिल करने का ऐलान किया है। तब से यह विश्व मानचित्र पर एक प्रमुख स्थल के रूप में उभरा है।
कब, क्यों, कैसे – जंतर मंतर एक विशाल वेधशाला है। इसका निर्माण जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह ने वर्ष 1734 में कराया था। महाराजा जयसिंह खगोलशास्त्र और ज्योतिष में विशेष रूचि रखते थे। इसलिए उन्होंने इस वेधशाला सहित देशभर में पांच वेधशालाएं बनाई। महाराजा ने इस वेधशाला का निर्माण न केवल अपनी देखरेख में कराया बल्कि स्वयं ने भी कुछ यंत्रों का आविष्कार किया।
कैसे पहुंचें – जंतरमंतर जयपुर परकोटा में सिटी पैलेस के नजदीक स्थित है। यहां पहुंचने के दो मार्ग हैं। त्रिपोलिया गेट के पास आतिश मार्केट से चांदनी चौक होते हुए और हवामहल रोड से सिरहड्योढी दरवाजे और जलेब चौक होकर जंतर मंतर पहुंचा जा सकता है। यहां जलेब चौक और चांदनी चौक में पार्किंग की व्यवस्था भी है। यहां से बस स्टेशन की दूरी-6 किमी, रेल्वे स्टेशन की दूरी-8 किमी और हवाई अड्डे की दूरी 15 किमी है।
क्या देखें – जंतर मंतर एक वेधशाला है जिसमें विभिन्न यंत्रों से खगोलीय परिघटनाओं और ज्योतिष की अंकीय गणना से स्थानीय समय का ठीक-ठीक पता लगया जा सकता है। 90 फीट ऊंचाई वाला विशाल सम्राट यंत्र आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।
उपलब्ध – यहां मान्यूमेंट की जानकारी के लिए विभिन्न भाषाओं के गाइड उपलबध होने के साथ साथ ऑडियो गाईड भी सशुल्क प्राप्त किये जा सकते हैं। शीतलपेय कॉफी के अलावा अन्य पैक्ड खाद्य पदार्थों की स्टॉल एवं बुक शॉप उपलब्ध है।
आस-पास – जंतर मंतर के आस-पास सिटी पैलेस, गोविंददेवजी मंदिर और हवामहल प्रमुख दर्शनीय स्मारक हैं।
टिकिट – जंतर-मंतर पुरातत्व के अधीन इमारत है और इसमें टिकिट से प्रवेश लागू है। यहां फोटोग्राफी और छोटे कैमरे से वीडियोग्राफी की अनुमति है। स्टेण्डवाले बड़े कैमरे से शूटिंग के लिए विभाग से विशेष अनुमति लेनी होती है।
समय – सुबह 9 से शाम 5 बजे तक जंतर मंतर विजिट किया जा सकता है। इसके अलावा यहां शाम साढे़ 7 बजे लाईट और साउण्ड शो भी किया जाता है। घूमने के लिए फरवरी से अप्रैल और सितम्बर से अक्टूबर महिने बेहतर हैं।
सिटी पैलेस
कहां – जयपुर शहर के परकोटा क्षेत्र का केंद्र सिटी पैलेस है। रियासत काल में यह जयपुर के राजाओं का निवास स्थान था। आज भी सिटी पैलेस के चंद्रमहल में राजपरिवार के सदस्य रहते हैं।
कब, क्यों, कैसे – सिटी पैलेस का निर्माण जयपुर की स्थापना के साथ ही 1727 से 1734 के बीच हुआ। विशाल परिसर में फैल और कई इमारतों से घिरे इस स्मारक का निर्माण राजप्रासाद और प्रशासनिक गतिविधियों के संचालन केंद्र के रूप में किया गया था। आमेर में जनसंख्या बढ़ने और पानी की कमी के कारण राजाओं ने अपनी राजधानी आमेर से जयपुर स्थानांतरित कर ली थी। नियोजित तरह से बसे शहर का मुख्य महल और प्रशासनिक इमारतें भी पूरे नियोजन के साथ बनाई गई।
कैसे पहुंचें – सिटी पैलेस जयपुर परकोटा के बीच स्थित है। यहां हवामहल रोड या त्रिपोलिया बाजार से प्रवेश किया जा सकता है। सिटी पैलेस में जलेब चौक और जंतर मंतर के पास स्थित दरवाजों से प्रवेश की सुविधा है। जलेब चौक और चांदनी चौक में वाहन पार्क किए जा सकते हैं। यहां से बस स्टेशन की दूरी-6 किमी, रेल्वे स्टेशन की दूरी-8 किमी और हवाई अड्डे की दूरी 15 किमी है।
क्या देखें – सिटी पैलेस में राजसी ठाठ-बाट और राजाओं महाराजाओं के रहन सहन की जानकारी मिलती है। पैलेस के चंद्रमहल में आज भी राजपरिवार निवास करता है। यहां विभिन्न संग्रहालयों में राजशाही की विभिन्न वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। यहां मुबारक महल, सिलहखाना, सर्वतोभद्र, दीवान-ए-आम, प्रीतम निवास और बग्गीखाना आदि देखने योग्य स्थान हैं। चंद्रमहल में आमप्रवेश वर्जित है।
उपलब्ध – यहां बग्गीखाना परिसर में विभिन्न दुकानों पर साज-सज्जा, वस्त्र व हस्तनिर्मित वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। सर्वतोभद्र में भी एक दुकान से जयपुर से जुड़ा साहित्य व प्राचीन महत्व की वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। साथ ही यहां मुबारक महल चौक में आप अपना फोटो भी खिंचवा सकते हैं। इसके अलावा सर्वतोभद्र परिसर के साथ लगे कैफेटेरिया भी लजीज व्यंजनों का लुत्फ लिया जा सकता है।
आस-पास – सिटी पैलेस के आस-पास जंतर मंतर, गोविंददेवजी मंदिर और हवामहल प्रमुख दर्शनीय स्मारक हैं।
टिकिट – सिटी पैलेस, सिटी पैलेस प्रशासन के अधीन इमारत है और इसमें टिकिट से प्रवेश लागू है। यहां फोटोग्राफी और छोटे कैमरे से वीडियोग्राफी की अनुमति है। लेकिन संग्रहालय की गैलरीज का फोटो या वीडियो लेने की मनाही है। स्टेण्डवाले बड़े कैमरे से शूटिंग के लिए सिटी पैलेस प्रशासन से विशेष अनुमति लेनी होती है। प्रशासन का कार्यालय यहीं मुबारक महल में है।
समय – सुबह 9 से शाम 5 बजे तक सिटी पैलेस विजिट किया जा सकता है। घूमने के लिए फरवरी से अप्रैल और सितम्बर से अक्टूबर महिने बेहतर हैं।
आमेर महल
कहां – जयपुर शहर के उपनगर आमेर में आमेर महल स्थित है। यह जयपुर शहर से उत्तर की ओर 11 किमी की दूरी पर स्थित है। आमेर जयपुर के शासकों की पूर्व राजधानी थी। आमेर महल में उनका प्रमुख रहवास था।
कब, क्यों, कैसे – आमेर पर ग्यारहवीं सदी में कछवाहा राजाओं ने मीणा शासकों को परास्त कर शासन किया। तब से यह कछवाहा राजाओं का प्रमुख गढ़ है। यहां प्रमुख निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने कराए थे। बाद के शासकों में सवाई मानसिंह और जयसिंह द्वितीय निर्माण कराए। आमेर महल सोलहवीं सदी की निर्माण कला का नमूना है। इसकी भव्यता वैश्विक पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।
कैसे पहुंचें – आमेर तक जयपुर से सिटी बसों की व्यवस्था है। इसके अलावा निजी वाहन या टैक्सी से भी पहुंचा जा सकता है। आमेर महल में पहुंचने के दो रास्ते हैं। सामने के रास्ते से पैलद या हाथी सवारी का लुत्फ उठाते हुए पहुंचा जा सकता है जबकि पिछले रास्ते स्वयं के वाहन या टैक्सी द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। महल के सामने सड़क पर पार्किंग की व्यवस्था है। इसके अलावा परियों का बाग और मावठे के बीच खुले दालान में बसों की पार्किंग व्यवस्था है। यहां से बस स्टेशन की दूरी-17 किमी, रेल्वे स्टेशन की दूरी-19 किमी और हवाई अड्डे की दूरी 26 किमी है।
क्या देखें – आमेर महल अपनी संपूर्णता से सभी को आकर्षित करता है। यहां महल के नीचे खूबसूरत जलाशय मावठा, केसर क्यारी, गणेश पोल, जलेब चौक, शिला माता मंदिर, दीवाने खास, दीवाने आम, शीश महल, रानियों के महल, सुख मंदिर, और मुगल गार्डन आदि अपनी खूबसूरती से जादू पैदा करते हैं।
उपलब्ध – यहां जलेब चौक में विभिन्न दुकानों पर महत्वपूर्ण पेंटिंग्स, वस्त्र और हस्तनिर्मित सामान उपलब्ध है साथ ही कैफेटेरिया में लजीज व्यंजनों का लुत्फ भी लिया जा सकता है। इसके अलावा आमेर महल सशुल्क हाथी सवारी की उपलब्धता के लिए भी जाना जाता है।
आस-पास – आमेर महल के आस-पास जयगढ़ दुर्ग, कनक वृंदावन, परियों का बाग, महाराजाओं की छतरियां, जगत शिरोमणि मंदिर, नृसिंह मंदिर, अनोखी हवेली और सागर जलाशय भ्रमण योग्य स्थान हैं।
टिकिट – आमेर महल पुरातत्व के अधीन इमारत है और इसमें टिकिट से प्रवेश लागू है। यहां फोटोग्राफी और छोटे कैमरे से वीडियोग्राफी की अनुमति है। लेकिन स्टेण्डवाले बड़े कैमरे से शूटिंग के लिए विभाग से विशेष अनुमति लेनी होती है। विभाग का कार्यालय यहीं महल में है।
समय – सुबह 9 से शाम 5 बजे तक आमेर महल विजिट किया जा सकता है। यहां वर्षभर भ्रमण का आनंद लिया जा सकता है। सावन के माह में आसपास की हरियाली विशेष आकर्षण पैदा करती है।
जलमहल
कहां – जयपुर शहर से लगभग 8 किमी उत्तर में आमेर रोड पर जलमहल स्थित है। मानसागर झील के बीच स्थित इस महल की खूबसूरती बेमिसाल है।
कब क्यों कैसे – इसका निर्माण आमेर में लगातार पानी की कमी के चलते कराया गया था। जलाशय के साथ साथ सौन्दर्य को बढावा देने के लिए पानी के बीच खूबसूरत महल बनाया गया। जयपुर के राजा महाराजा यहां अवकाश मनाने और गोपनीय मंत्रणाएं करने के लिए आते थे। वर्तमान में यह पर्यटन का प्रमुख केंद्र है।
कैसे पहुंचें – जलमहल तक पहुंचने के लिए शहर से सिटी बसों की उपलब्ध है। इसके अलावा निजी वाहन या टैक्सी से भी यहां पहुंचा जा सकता है। जल महल के अंदर पहुंचने के लिए नौकाओं की व्यवस्था है।
क्या देखें – जलमहल को आमतौर पर इसकी पाल से देखा जाता है। लेकिन महल तक नौकाओं के द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। यहां दो मंजिला इमारत, खूबसूरत गलियारे, टैरेस गार्डन आदि देखने योग्य जगहें हैं।
उपलब्ध – जलमहल तक पहुंचने के लिए नौकाएं जलमहल पाल पर उपलब्ध होती हैं। महल के भीतर संग्रहालय और कैफेटेरिया भी है।
आस-पास – आमेर महल के आस पास कनक बाग, कनक वृंदावन व गोविंदजी का प्राचीन मंदिर है। इसके महल के पीछे खूबसूरत बांध भी है। यहां मानसागर झील के चारों ओर चौपाटी और गार्डन विकसित किया गया है। जहां हर शाम मेले का माहौल रहता है। बारिश के मौसम में यहां घूमने का विशेष आनंद लिया जा सकता है।
टिकट – जलमहल पहुंचने के लिए सशुल्क नौका एवं प्रवेश के लिए टिकट की व्यवस्था है। जबकि पाल पर निशुल्क भ्रमण किया जा सकता है और फोटोशूट का भी आनंद लिया जा सकता है।
समय – यहां सुबह 8 से शाम 7 बजे तक घूमने का आनंद लिया जा सकता है। जबकि पाल पर सुबह जल्दी और देर शाम तक लोग चहलकदमी का लुत्फ लेते हैं। सर्दी के मौसम में जलमहल की पाल पर घूमने का मजा ही अलग है।
नाहरगढ़
कहां – जयपुर शहर के उत्तर से पश्चिम की ओर फैली अरावली पहाड़ी पर बना पीतवर्णी दुर्ग नाहरगढ़ कहलाता है। दिन में खूबसूरत दिखाई देने वाली यह इमारत रात में पीली रोशनी में नहाकर और भी सुंदर नजारा पेश करती है। नाहरगढ़ शहर से 15 किमी की दूरी पर स्थित है। आमेर रोड के रास्ते आमेर घाटी से एक रास्ता नाहरगढ और जयगढ के लिए जाता है। पहाड़ी और जंगल का इलाका होने के कारण यह दुर्गम यात्राओं में शुमार है।
कब क्यों कैसे – नाहरगढ़ का निर्माण सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने सन 1734 में आमेर रियासत की सुरक्षा को और प्रगाढ़ करने के लिए किया। दुर्ग के चारों ओर कई किमी लम्बी प्राचीर भी निर्मित की गई। इसके बाद राजा रामसिंह और माधोसिंह ने भी यहां कई निर्माण कराए। माधोसिंहजी द्वारा बनाया गया माधवेन्द्र महल शहरभर से दिखाई देने वाली खूबसूरत दो मंजिला इमारत है।
कैसे पहुंचें – नाहरगढ़ तक निजी वाहन या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। रास्ता दुर्गम होने के कारण कुशल चालक की सेवाएं लेना ठीक रहता है। आमेर घाटी के अलावा एक मार्ग पुरानी बस्ती से भी महल तक जाता है लेकिन यह अत्यंत दुर्गम और तीव्र ढलान के कारण कम इस्तेमाल किया जाता है।
क्या देखें – नाहरगढ़ विशाल पहाड़ी क्षेत्र में स्थित खूबसूतर दर्शनीय स्थल है। यहां प्रकृति की गोद में महल आदि देखना विशेष रूचिकर होता है। यहां माधवेन्द्र महल स्थित नौ रानियों के महल, सिपहसालारों के कक्ष, बावड़ी, ओपन थिएटर, कैफेटेरिया, पड़ाव रेस्टोरेंट आदि प्रमुख दर्शनीय जगहें हैं। नाहरगढ़ में वॉटर हार्वेटिंग सिस्टम पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। इसके अलावा माधवेन्द्र महल से जयपुर का नजारा आंखों से दिल में बस जाता है।
उपलब्ध – यहां पड़ाव रेस्टोरेंट में संख्या के खूबसूरत सेनसेट नजारे के साथ लजीज व्यंजनों का लुत्फ लिया जा सकता है जबकि कैफेटेरिया में गर्म कॉफी और शीतल पेय पदार्थ का आनंद भी ले सकते हैं।
आस-पास – नाहरगढ़ के आसपास जयगढ़ दुर्ग, गढ गणेश और गैटोर की छतरियां स्थित हैं। इसके अलावा नाहरगढ़ रेस्क्यू का भ्रमण भी किया जा सकता है।
टिकट – गढ़ में प्रवेश करने के लिए यहां स्थित प्रवेश द्वार पर टिकिट की व्यवस्था है।
समय – नाहरगढ को सुबह 9 से शाम 6 बजे तक विजिट किया जा सकता है। बारिश के मौसम में बड़ी संख्या में यहां पर्यटक मौजूद होते हैं।
गैटोर की छतरियां
कहां – जयपुर शहर के ब्रह्पुरी इलाके में गैटोर की छतरियां स्थित हैं। गैटोर की छतरियां दरअसल जयपुर के महाराजाओं के समाधि स्थल हैं। गैटोर का अर्थ है गए का ठौर। गैटोर की छतरियां नाहरगढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। इसके पूर्व में गढ गणेश मंदिर है।
कब क्यों कैसे – जयपुर के राजाओं की राजधानी जब आमेर थी तो दिवंगत राजाओं की समाधियां भी दिल्ली रोड पर स्थित थी। राजधानी जब जयपुर स्थानांतरित हुई तो समाधि स्थल भी स्थानांतरित कर दिया गया। यहां जयपुर के राजाओं का अंतिम संस्कार कर भव्य छतरियां बनाई गई। समय समय पर राजपरिवार की ओर से दिवंगत राजा या राजपरिवार के सदस्य की समाधि और छतरी निर्मित की जाती रही है।
कैसे पहुंचें – निजी वाहन या टैक्सी से ही गैटोर पहुंचा जा सकता है। सघन बस्ती इलाका होने के कारण यहां सिटी बसों की आवाजाही नहीं है।
क्या देखें-यहां महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय, राजा मानसिंह, जगत सिंह, राजा रामसिंह, राजा प्रतापसिंह, राजपरिवार के 14 बालकों की समाधियां आदि देखने योग्य हैं। छतरियों को शिल्प बेमिसाल है।
आस-पास – यहां से गढ़ गणेश मंदिर, नहर के गणेशजी और श्रीराम मंदिर आश्रम नजदीक हैं।
टिकट – गैटोर को विजिट करने के लिए टिकट व्यवस्था लागू है। यह राजपरिवार की निजी संपत्तियों में शामिल स्थल है।
समय – गैटोर की छतरियों का भ्रमण सुबह 10 से शाम 6 बजे तक किया जा सकता है।
हवामहल
कहां – शहर के परकोटा इलाके में बड़ी चौपड़ के पास स्थित हवामहल जयपुर के सिंबल के तौर पर जाना जाता है। यह बड़ी चौपड़ से उत्तर की ओर चांदी की टकसाल के रास्ते पर दीवार की तरह बनी मुकुट के आकार की भव्य इमारत है जिसमें अनेक झरोखों में बनी सैकड़ों खिड़कियां आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं। अपनी भव्य बनावट के कारण हवामहल दर्शकों को मुग्ध कर देता है। दरअसल यह महल की पृष्ठ दीवार है जिसे शाही महिलाओं की सुविधा के लिए बनवाया गया था ताकि वे महल से बाजार की रौनक और तीज गणगौर आदि पर्वों पर निकलने वाली सवारियां देख सकें।
कब क्यों कैसे – हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने करवाया था। हवामहल राजप्रासाद में स्थित रनिवास का मुख्य महल था। इसे जनाना महल भी कहा जाता था। इस पांच मंजिला खूबसूरत इमारत में हवा के निर्बाध प्रवेश के कारण इसे हवामहल कहा गया। आमतौर पर इस महल की पृष्ठ दीवार को ही हवामहल के रूप में जाना जाता है।
कैसे पहुंचें – हवामहल बड़ी चौपड़ पर स्थित है। यह परकोटा क्षेत्र का प्रमुख चौराहा है। जबकि महल में प्रवेश त्रिपोलिया बाजार में से किया जा सकता है।
क्या देखें – हवामहल को बाहर और अन्दर से देखा जा सकता है। अपने आप में यह दो छवियों में मशहूर है। विश्वभर में इस महल की बाहरी दीवार वाली छवि को संपूर्ण हवा महल मान लिया गया है। जबकि यह एक विशाल खूबसूरत महल है। हवामहल रोड से इसकी अनेक खिडकियों वाली छवि को क्लिक किया जा सकता है जबकि भीतर से भी इस महल के नजारे लिये जा सकते हैं।
आस-पास – हवा महल के आस-पास जौहरी बाजार, सिटी पैलेस और जंतर-मंतर प्रमुख भ्रमण योग्य स्थान हैं।
टिकट – जंतर मंतर में सशुल्क प्रवेश किया जा सकता है। इसकी ऊपरी छत से जयपुर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
समय – हवा महल को प्रात: साढे 9 से शाम साढे 5 बजे तक विजिट किया जा सकता है।
अल्बर्ट हॉल
कहां – जयपुर शहर के परकोटा से बाहर यह प्रमुख ऐतिहासिक इमारत है। यह न्यू गेट के सामने रामनिवास बाग के बीच सर्किल में स्थित है। वर्तमान में यह म्यूजियम है और इसमें विभिन्न ऐतिहासिक वस्तुओं के साथ साथ इजिप्टियन ममी तूतू का संग्रह विशेष आकर्षण है। कब क्यों कैसे- इसका निर्माण महाराजा सवाई रामसिंह व सवाई माधोसिंह ने कराया था। अल्बर्ट हॉल राजपूत, मुगल और यूरोपियन शैली में बनी शानदार इमारत है। अल्बर्ट हॉल प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड को समर्पित इमारत है। इसकी डिजाईन अंग्रेज वास्तुविज्ञ जैकब ने तैयार की थी।
कैसे पहुंचें – अल्बर्ट हॉल तक शहर में कहीं से भी निजी वाहन या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है। संपूर्ण शहर के हिसाब से यह जयपुर के केंद्र में बनी भव्य इमारत है। हॉल परिसर में ही पार्किंग की व्यवस्था भी है।
क्या देखें – अल्बर्ट हॉल एक इमारत के तौर पर देखने योग्य स्थल है। इसके अलावा जयपुर और इसके इतिहास को करीब से जानने के लिए हॉल में स्थित म्यूजियम को अवलोकन भी जरूर करें। सिर्फ जयपुर ही नहीं दुनियाभर के खास संग्रह यहां जुटाए गए हैं। यहां स्थित तीन प्रमुख हॉल, तीन झरोखों और बरामदों और गलियारों में दुनियाभर के खास संग्रहों की प्रदर्शनी की गई है।
उपलब्ध – हॉल परिसर में ऑडियो गाईड उपलब्ध है, इसके साथ ही यहां कार्यालय परिसर में पुस्तकालय में अध्ययन भी किया जा सकता है साथ ही पुस्तकें खरीदी भी जा सकती हैं।
आस-पास – अल्बर्ट हॉल जयपुर के प्राचीन रामनिवास बाग के बीच स्थित है। यहां इस बाग के अलावा चिडियाघर, पक्षीघर एवं रवीन्द्र मंच का भी लुत्फ लिया जा सकता है। इसके अलावा एमआई रोड, राजमंदिर, गोलछा सिनेमा भी यहां से कुछ दूरी पर स्थित हैं। इसके अलावा आप अल्बर्ट हॉल के चारों ओर चौपाटी पर लजीज व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं और घुड़सवारी भी कर सकते हैं।
टिकट – अल्बर्ट हॉल विजिट करने के लिए बाहर स्थित विंडो से टिकट लेना आवश्यक है। हॉल के अंदर फोटोग्राफी एवं कैमरा वीडियोग्राफी की अनुमति है। बड़े कैमरे से शूटिंग वर्जित है।
समय – अल्बर्ट हॉल प्रतिदिन सुबह साढे 9 से शाम साढे 5 बजे तक विजिट किया जा सकता है।
कनक वृंदावन
कहां – जयपुर शहर से उत्तर में लगभग 10 किमी की दूरी पर जलमहल के पास स्थित कनक वृंदावन अरावली की घाटी में बना खूबसूरत बगीचा है। यहां गोविंददेवजी का प्राचीन मंदिर और कनक बाग भी मुख्याकर्षण हैं।
कब क्यों कैसे – कनक वृंदावन बाग और मंदिर का निर्माण जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह ने बनवाया था। उन्होंने यह उद्यान वृंदावन से जयपुर पहुंची गोविंददेवजी की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए बनवाया था। चूंकि यह मूर्ति वृंदावन के उपवन क्षेत्र से यहां लाई गई थी इसलिए इस वनक्षेत्र को बाग के तौर पर तैयार कर इसे कनक वृंदावन नाम दिया गया।
कैसे पहुंचें – कनक वृंदावन तक पहुंचने के लिए शहर से सिटी बसों की पर्याप्त व्यवस्था है। यहां अपने निजी वाहन या टैक्सी से भी पहुंचा जा सकता है।
क्या देखें – कनक वृंदावन में कनक वृंदावन बाग, कनक बाग और गोविंददेवजी का प्राचीन मंदिर देखा जा सकता है। यहां कदम्ब और ओक के झुरमुट, ढलानों पर बनाई गई फूल घाटी, ढलवां मैदान, जलाशय और झूले विशेष आकर्षण जगाते हैं। वहीं कनक बाग में सुंदर भवन महल और छतरियां भी भ्रमण का आनंद देती हैं।
उपलब्ध – यहां आसपास हैण्डीक्राफ्ट की दुकानें हैं। साथ ही फोटो शूट से जुड़ी सामग्री की दुकानें भी उपलब्ध हैं। साथ ही नजदीक ही जलमहल की पाल पर हाथी और ऊंट की सवारी का आनंद लिया जा सकता है।
आस-पास – कनक बाग के साथ यहां जलमहल और आमेर के किले का भी विजिट किया जा सकता है। साथ ही गार्डन के पास से ही नाहरगढ़ और जयगढ़ जाने का मार्ग भी है।
टिकट – कनक वृंदावन और कनक बाग में जाने के लिए अलग-अलग टिकिट की व्यवस्था है। मंदिर में निशुल्क दर्शन किये जा सकते हैं। गार्डन में प्रेमी युगलों और नवविवाहित जोड़ों की मौजूदगी के चलते यहां फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी के लिए पहले स्थानीय गार्ड से अनुमति लेना आवश्यक है।
समय – कनक वृंदावन सुबह 10 से शाम साढे 5 बजे तक भ्रमण किया जा सकता है।
सिसोदिया रानी का बाग
कहां – जयपुर शहर से आगरा रोड पर लगभग 8 किमी की दूरी पर सिसोदिया रानी का बाग स्थित है। यहां ट्रांसपोर्ट नगर से घाट की गूणी होते हुए पहुंचा जा सकता है।
कब क्यों कैसे – यह खूबसूरत महल युक्त गार्डन जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने अपनी प्रिय रानी सिसोदिया रानी के लिए सन 1728 में निर्मित कराया था। सिसोदिया रानी उदयपुर के राजघराने की बेटी थी जिनका विवाह जयपुर के महाराजा जयसिंह से हुआ था। प्राकृतिक वातावरण में पली बढ़ी रानी को शहर की भीड़भाड़ से दूर सुरम्य प्राकृतिक वातावरण देने के लिए यह सुंदर गार्डन बनवाया।
कैसे पहुंचें – सिसोदिया रानी बाग तक पहुंचने के लिए शहर से सिटी बसों की व्यवस्था है लेकिन निजी वाहन या टैक्सी से ही पहुंचना ज्यादा बेहतर होता है।
क्या देखें – सिसोदिया रानी के बाग में कई स्तरों पर बने बगीचे, गलियारे, बरामदे, तिबारियों और कक्ष खूबसूरत हैं जिनमें कृष्ण और राधा के प्रेम की खूबसूरत पेंटिंग्स बनी हैं। इसके अलावा यहां की फुलवारी, फव्वारों और पहाडियों की सुरम्य मौजूदगी विशेष आकर्षण जगाती है।
आस-पास – यहां आस-पास विद्याधर का बाग, चूलगिरी जैन मंदिर, घाट के बालाजी और गलता तीर्थ आदि अन्य खूबसूरत भ्रमणीय स्थल हैं।
टिकट – सिसोदिया रानी का बाग भ्रमण करने के लिए टिकट से प्रवेश की व्यवस्था है।
समय – सिसोदिया रानी का बाग सुबह साढे 9 से शाम साढे 5 बजे तक विजिट किया जा सकता है।
आशीष मिश्रा
पिंकसिटी डॉट कॉम
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