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सुख निवास – आमेर महल

Sukh Niwasआमेर महल जयपुर के शाही ठाठ-बाट की कहानी बयान करता है। मावठा लेक से महल तक हाथी पर सवार होकर पर्यटक इस शाही शान को महसूस करने की कोशिश करते हैं और आनंद प्राप्त करते हैं। अपने आप में भव्य यह महल अपने अंदर सभी सुख सुविधाओं को समेटे हुए है। यहां का दीवान-ए-खास तो खास है ही, इसके सामने की इमारत सुखनिवास शाही परिवार के सुख के विशेष खयाल को ध्यान में रखकर बनाई गई थी।

आमेर महल में सूरजपोल से प्रवेश करने के बाद जलेब चौक से दक्षिण में बनी सीढियों से महल के दूसरे प्लेटफार्म पर पहुंचना होता है यहां शिला माता मंदिर और दीवान-ए-आम मौजूद हैं। यहीं से भव्य गणेश पोल से महल के तीसरे स्तर पर पहुंचा जाता है। यह द्वार महल के भीतरी हिस्सों को बाहरी हिस्सों से जोड़ता है। गणेशपोल के बायें हाथ की ओर शीश महल है और इसी महल के ठीक सामने पश्चिम में सुख मंदिर इमारत है। सुख मंदिर को सुख महल या सुखनिवास के नाम से भी जाना जाता है। सुखनिवास और शीशमहल के बीच मुगल गार्डन है।

जैसा कि नाम से प्रतीत होता है। सुख मंदिर आमेर के राजाओं की प्रमुख आरामगाह थी। और इसलिए इस महल को राजाओं की हरेक सुख सुविधा को ध्यान में रखकर निर्मित किया गया।

सुखनिवास महल के शाही ठाठ और शान औ शौकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महल के द्वार शुद्ध चंदन की लकड़ी से बने हैं जिनपर बारीक खुदाई का कार्य बेमिसाल है। साथ ही महल में प्रयुक्त मार्बल पर भी शानदार शिल्प और बेलबूटों की विविध कलाकृतियां उकेरी गई हैं। इन्हें देखकर इनके जीवंत हो उठने का भ्रम होता है। सुख निवास की सबसे बड़ी विशेषता इसमें शाहीकाल के दौरान प्रयुक्त की जाने वाली देशी वातानुकूलन प्रक्रिया है। गर्मियों के मौसम में महल को शीतल रखने के लिए यहां प्राचीन वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई थी और भवन निर्माण कला का इस्तेमाल करते हुए महल को वातानुकूलन सिस्टम से जोड़ा गया था। इसके लिए महल के ऊपरी भाग पर पानी का टांका बनाया गया। जिसे खुली नहर के द्वारा महल को जोड़ा गया। नहर में हवा के बहाव से शीतलता पैदा होती थी और यह शीतल हवा जालियों के माध्यम से कक्ष में पहुंचती थी। हवा को खुशबूदार बनाने के लिए पानी में केवड़ा और गुलाब डाला जाता था। टांके के पानी का इस्तेमाल महल के सामने स्थित मुगल गार्डन की सिंचाई के लिए किया जाता था। टांके का पानी नियमित रूप से बदला जाता था ताकि हवा में किसी प्रकार की गंध ना आए। महल का अन्य आकर्षण यहां संगमरमर पर उकेरे गए ’जादुई फूल’ हैं। पत्थर पर यह कारीगरी इतनी बारीक की गई है कि इन्हें कला न कहकर जादू कहा गया। दीवारों और स्तंभों पर पत्थर की यह कलाकारी लाजवाब है।

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  • आमेर महल-विश्व हैरिटेज दिवस पर

    विश्व हैरिटेज दिवस के अवसर पर गुरूवार 18 अप्रैल को जयपुर के पुरा स्मारकों पर देशी विदेशी सैलानियों को न सिर्फ निशुल्क प्रवेश दिया गया, बल्कि उनका तिलग लगाकर स्वागत भी किया गया। इन स्मारकों पर अन्य दिनों की बजाय दोगुने पर्यटक पहुंचे। आमेर महल में हैरिटेज फोटो प्रदर्शनी लगाई गई।

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  • डिविलिसयर्स ने देखा आमेर महल

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    राजस्थान के पांच हिल फोर्ट को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट के लिए नामांकित किया है। इनमें जयपुर का आमेर किला, रणथंभोर, चित्तौड़गढ़, बारां का शेरगढ़ और राजसमंद का कुंभलगढ़ फोर्ट शामिल है। हालांकि इन्हें वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने का फैसला जून माह में कंबोडिया में होने वाली वर्ल्ड हेरिटेज समिति की बैठक में किया जाएगा। फिलहाल भरतपुर का केवलादेव अभ्यारण्य और जयपुर का जंतर मंतर ही वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल हैं। पर्यटन मंत्री बीना काक के अनुसार पहली बार ऐसा हुआ है जब प्रदेश के पांच पहाड़ी दुर्गों को इस सूची में नामांकित किया गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि कंबोडिया में होने वाली बैठक में हम अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे।

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