भंवरी के अपहरण व हत्या के षडय़ंत्र के मामले में बुधवार को अजा-जजा अदालत में बचाव पक्ष ने कहा कि बिशनाराम और उसके साथियों को भंवरी की लाश सौंपी गई थी। जबकि उन पर हत्या और अपहरण जैसे संगीन आरोप लगाए गए हैं। बिशनाराम, कैलाश जाखड़, ओमप्रकाश व अशोक की ओर से अधिवक्ता नीलकमल बोहरा ने दलीलें दी। उन्होंने कहा कि सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार बिशनाराम व उसके साथियों को भंवरी के मृत शरीर को सौंपा गया था। तब उन पर अपहरण व हत्या का आरोप कैसे लगाया जा सकता है। बिशनाराम की तरफ से उनके वकील ने कहा कि बिशनाराम और उनके साथियों ने ही भंवरी की लाश को ठिकाने लगाया था लेकिन हत्या व अपहरण उन्होंने नहीं किया। उन्हें उसकी लाश ही सौंपी गई थी। बहस के दौरान उन्होंने कहा कि बिशनाराम के धारा 164 में बयान कराए गए हैं। जिसमें उसने अभियोग स्वीकार किया है। इस बाबत उनका कहना है कि ये बयान बिशनाराम ने पुलिस कस्टडी में रहने के दौरान दिए हैं। उसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेजा दिया गया। इसी प्रकार मामले के अन्य आरोपियों सहीराम व उमेशाराम की ओर से अधिवक्ता रामअवतार सिंह ने बहस करते हुए कहा कि सीबीआई ने पूरी कहानी कॉल डिटेल के आधार पर बनायी है। सीबीआई ने कहा कि सहीराम सर्किट हाउस में ठहरा, जयपुर स्थित मदेरणा के बंगले पर गया तथा सोहनलाल से मिलकर षडय़ंत्र रचा है। यह सब कॉल डिटेल से कैसे पता चल सकता है। जब तक कि कोई गवाह नहीं है। साथ ही सहीराम एक जनप्रतिनिधि रहा है। उसका मंत्रियों, विधायकों आदि से मिलना जुलना आम बात है। किसी नेता से मिलना आपराधिक षडंयत्र का सुबूत कैसे हो सकता है।