गणपति बाप्पा मोरिया अबके बरस तू जल्दी आ। वैसे तो महाराष्ट्र की गणेश चतुर्थी पूरे विश्व में प्रसिध है लेकिन जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर से निकलने वाली शोभायात्रा देखने भी पूरे राजस्थान से लोग पहुंचे। हर साल गणेश चतुर्थी के अगले दिन मोतीडूंगरी से गढगणेश मंदिर तक यह यात्रा रवाना होती है। गणेश चतुर्थी महोत्सव के तहत गणपति महोत्सव समिति के तत्वावधान में आज मोतीडूंगरी गणेश मंदिर से गाजे-बाजे व लवाजमे के साथ शोभायात्रा निकली। शोभायात्रा ध्वजा पूजन व आरती के पश्चात रवाना हुई।
11 हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्घी के साथ निकलने वाली शोभायात्रा में मुख्य झांकी में 30 फुट लंबे 12 फुट चौड़े हंस पर 18 फुट ऊंचे स्वचालित प्रथम पूज्य सितारवादन करते हुए शामिल हुए। इसमें विशेष रूप से गणेश जी 11 फुट लंबी व 3 फुट चौड़ी की सितार लिए रहे। आगे-आगे दो हाथियों पर शहनाई वादन के साथ में करीब 80 झांकियां शोभायात्रा में रवाना हुई। झांकियों में प्रमुख रूप से गुप्तेश्वर महादेव मंदिर पांच गणपति द्वारा शिवजी की संगीतमय झांकी, नवज्योति युवक मंडल की ओर से शिवजी की जटा में गंगाजी, श्रीश्याम मित्र मंडल की ओर से गणेश जी का सखियों के साथ डांडिया, ट्रस्ट श्रीसनातन धर्म मंडल द्वारा लक्ष्मीनारायण जी की झांकी, सीताराम व्यायाम शाला द्वारा पूंछ के सिंहासन पर बैठे हनुमानजी, गोवर्धनधारी कृष्ण, गणेश जी का जन्मोत्सव सहित अन्य झांकियां शामिल हुईं। सबसे पीछे मोतीडूंगरी गणेश जी का स्वर्ण मंडित चित्र रथ में विराजमान रहा।