हमारे यहां की एटीएस टीम के अधिकारी पुणे में हैं और वहां हुए ब्लास्ट और जयपुर में 13 मई 2008 में हुए बम ब्लास्ट के तथ्य मिलारहे हैं। जयपुर, अहमदाबाद सहित हाल ही पुणे में हुए सीरियल धमाकों में जांच एजेंसियों को इस नापाक गठबंधन के संकेत मिलने पर राजस्थान की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड (एटीएस) भी सतर्क हो गई है। एटीएस और एसओजी के एडीजी आलोक त्रिपाठी के मुताबिक पुणे धमाके की जानकारी जुटाने और जांच मे केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग के लिए एटीएस की टीम को पुणे में तथ्य जुटाएगी। लश्कर-ए-तैयबा का काम स्थान चिह्नित कर वहां धमाके के मामले में (फतवा) आदेश जारी करना है तो, आईएम चिह्नित इलाके में धमाके के प्रबंधन का जिम्मा संभालने के साथ-साथ भारत में सक्रिय अपने गुर्गो को संसाधन भी मुहैया करवाता है। सिमी धमाकों को अंजाम देने के लिए आईएम को स्थानीय गद्दार मुहैया करवाता है। इन तीनों संगठनों के पुख्ता तालमेल के संकेत हाल ही पुणे में हुए धमाकों में सामने आए हैं। चार साल पहले जयपुर के सीरियल बम ब्लास्ट और पुणे धमाकों में काफी समानताएं हैं। आगामी पंद्रह अगस्त को देखते हुए देश के साथ राजस्थान में भी चौकसी कड़ी कर दी गई है।