आस्था की नगरी जयपुर में नवरात्र से त्योंहारी सीजन शुरू हो जाता है। घर-घर में घट स्थापना की जाती है और नौ दिन तक उत्सव मनाए जाते हैं। नवरात्र के साथ ही शुभ कार्य भी आरंभ हो जाते हैं और दीवाली तक त्योंहारों की धूम रहती है। वर्षभर का यही सीजन है जब बाजार, शॉपिंग, धर्म, आस्था और रौनक सब एक साथ अपना असर जमाते हैं।
शारदीय नवरात्र 16 अक्टूबर से आरंभ हुए। जयपुर में हर घर और मंदिर में नवरात्रि के दौरान होने वाले अनुष्ठान के लिए घटस्थापना की गई है। जयपुर में पग-पग पर नवरात्र की धूम दिखाई दे रही है। मंदिरों में शाम को रौनक देखने को मिलेगी। जगह -जगह माता के दरबार सजाए गए हैं। लोगों में आस्था का ज्वार दिखाई दे रहा है। देवी मां के नवरूपों की पूजा के इस त्योंहार पर जयपुर में तांत्रिक और वैदिक विधियों से नौ दिन तक देवी की षोढशोपचार और राजोपचार विधियों से पूजा होगी। माता को चुनरी चढ़ाने के लिए लोगों में आस्था के ज्वार साफ देखे जाएंगे। राजापार्क के पंचवटी सर्किल पर वैष्णोंमाता मंदिर में माता को चुनरी ओढाने के लिए हर साल लम्बी कतारें लगती हैं। चार-चार माह की एडवांस बुकिंग हो जाती है। माता को रोजाना तीन तीन नई पोशाकें पहनाई जाती हैं, वहीं नवरात्र में पांच बार माता की पोशाक बदली जाती है। माता की उतरी हुई पोशाक प्रसाद के रूप में भक्तों को भेंट कर दी जाती है। दुर्गापुरा के प्राचीन मंदिर में तो माता को चुनारी ओढ़ाने के लिए 2013 तक की एडवांस बुकिंग हो चुकी है। आस्था के ऐसे ही रंग में रंगा होने के कारण जयपुर छोटी काशी कहलाता है।
आमेर (amer)के शिला माता मंदिर में होगा नौ दिवसीय मेला-
आमेर (amber) के शिला माता मंदिर में नवरात्र प्रतिपदा पर सुबह सवा 11 बजे घट स्थापना की गई। इसके तहत वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शिला माता के सामने घट स्थापना की गई। दोपहर साढ़े 12 बजे से श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के द्वार खोले गए। दोपहर ढाई बजे तक द्वार भक्तों के लिए खुले थे। नवरात्र के प्रतिदिन सुबह 6 बजे से दोहपर साढे 12 बजे और शाम को 4 से साढे 8 बजे तक पट खुलेंगे। तारों की कूंट से राधे राधे मित्र मंडल की ओर से पदयात्री माता को ध्वजा अर्पित करेंगे। वहीं आमेर रोड स्थित मनसा माता मंदिर में तांत्रिक और वैदिक विधि से घटस्थापना हुई। माता का पूजन षोडशोपचार और राजोपचार विधि से किया गया। पंचवटी सर्किल राजापार्क स्थित वैष्णों देवी मंदिर में सुबह सवा 7 बजे घट स्थापना की गई। इसके बाद भोग और आरती के कार्यक्रम हुए। शाम को साढे 7 बजे आरती और शयन आरती रात 10 बजे होगी। दुर्गापुरा के प्राचीन दुर्गामाता मंदिर में नवरात्र प्रतिपदा को सुबह साढे 10 बजे घट स्थापना हुई। इसके बाद माता की अखंड ज्योत जलाई गई। नवरात्र के दौरान सुबह शाम माता को नई पोशाक धारण कराई जाएगी। नरवर आश्रम सेवा समिति की ओर से खोले के हनुमानजी मंदिर में भी सवा 12 बजे घट स्थापना की गई। सूरजपोल के जागेश्वर महादेव मंदिर से आए पदयात्रियों ने यहां हनुमानजी को ध्वजा अर्पित की। रात्रि में यहां जागरण का कार्यक्रम रहेगा।
बंगाली समाज की देवी पूजा षष्ठी से होगी- जयपुर में बड़ी संख्या में बंगाली समाज के लोग रहते हैं, जयपुर का कल्चर अब मिक्स कल्चर है। बंगाली समाज नवरात्र को बड़ी धूमधाम से मनाता है। नवरात्र बंगाल में सबसे बड़े त्योंहार के रूप में मनाया जाता है। जयपुर में बंगाली समाज की दुर्गापूजा षष्ठी से आरंभ होगी। बनीपार्क दुर्गाबाड़ी, प्रवासी बंगाली कल्चरल सोसायटी की ओर से जय क्लब और बंगाली गोल्ड ऑरनामेंट सोसायटी की ओर से सुभाष चौक में देवी स्थापना की जाएगी।
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