आमेर महल अपनी स्थापत्य खूबसूरती, महलों में की गई बारीक कलाकारी, आधुनिक सुख सुविधाओं और मनमोहक बाग-बगीचों के लिए जाना जाता है। महल में सूरजपोल से प्रवेश करने पर जलेब चौक से कुछ सीढियां दूसरे स्तर पर दीवान-ए-आम चौक और गणेश पोल तक पहुंचाती हैं। गणेश पोल के अंदर दो खूबसूरत इमारतें आमने सामने हैं। इन्हें शीशमहल और सुखनिवास कहा जाता है। इन दोनो इमारतों के बीच मुगल शैली का बना बहुत खूबसूरत गार्डन है, इसे इसकी शैली की विशेषता के कारण ही मुगल गार्डन कहा जाता है। मुगल गार्डन के बीच ’स्टार’ की आकृति का केंद्रीय भाग और यहां तक पहुंचने वाले पथ इसे चार भागों में विभाजित करते हैं। इसलिए इसे चारबाग भी कहा जाता है। महल के अंदर इस सुंदर गार्डन के निर्माण के पीछे शाही ठाठ-बाट को और भी सुविधापूर्ण बनाना था। दरअसल शीशमहल और सुखनिवास में मौसम के अनुसार राजा अपने रहने के जगह बदलते थे। सर्दी के मौसम में शीशमहल गर्म रहता था। इसलिए सर्दी के दिन राजा शीशमहल में बिताते थे। औद दिन में जब धूप खिलती तो मुगल गार्डन में बैठकर आराम या चर्चा आदि किया करते थे। जबकि सुखनिवास में गर्मी का मौसम बिताया जाता था और इस महल को ठंडा करने के लिए एयरकंडीशन सिस्टम भी यहां विकसित किया गया। वातानुकूलन में काम आने वाले पानी से मुगल गार्डन की सिंचाई और रखरखाव किया जाता था। गर्मी के दिनों में यहां राजपरिवार के लोग सुबह और रात में समय बिताया करते थे और आपसी चर्चाएं की जाती थी। इस तरह मुगल गार्डन राजपरिवार के सदस्यों के लिए वर्षभर सुकून से बैठने और अच्छे पल बिताने का उपयुक्त स्थान था। आज भी प्रशासन की देखभाल के कारण यह गार्डन अपनी खूबसूरती को बचाए हुए है।