संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘बैले ऑफ द सेंचुरी' जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित यह नाटक फ्रांस, पोलैंड, हॉलैंड एवं मेक्सिको में इंटरनेशनल फेस्टिवल अवार्ड्स भी प्राप्त कर चुका है। गाँव में आयोजित एक मेले के दृश्य से यह नाटक आरम्भ होता है। मेले में एक कठपुतली वाला मनोरंजन के लिए सभी को आमंत्रित करता है। धीरे-धीरे मेले में सभी गांव वाले कठपुतली बन ‘रामायण' के पात्रों के रूप में प्रस्तुति देना आरम्भ करते हैं। नृत्य नाटिका में प्रस्तुति देने वाले कलाकारों में प्रताप मोहन (राम) एवं दिप्ती मोहंता (सीता) के अतिरिक्त मोनिका पांडेय, पद्मा सोनकर, दयानिधि मोहन्ता, उपेंद्र मोहन्ता, संजय इंगले, सपना यादव, किरण मारन, अपूर्व दत्त, अभिषेक और विपिन साल्वे शामिल थे। प्रस्तुति में सूत्रधार का किरदार लक्ष्मण सामंत एवं सौलत यार खान ने निभाया। बैक स्टेज पर निरूपा जोशी (ग्रुप लीडर), घनश्याम गुर्जर (लाइट ऑपरेटर) एवं दीपक इंगले (म्यूजिक ऑपरेटर) शामिल थे। प्रस्तुति में बहादुर हुसैन खान एवं अबानी दास गुप्ता का संगीत और गुलबर्धन द्वारा डिजाइन की गई वेशभूषा थी। नाटक में गीत दशरथलाल सिंह ने लिखे और मास्क अप्पुनी करथा ने डिजाइन किए थे।
उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय शान्तिबर्धन की कोरियोग्राफी एवं निर्देशन में इस नाटक का प्रथम शो मुम्बई में 1953 में हुआ था। गत 66 वर्ष से बिना किसी बदलाव के प्रदर्शित हो रहे इस हेरिटेज डांस ड्रामा को जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी भी देख चुके हैं।