-नाट्य समारोह का आयोजन
जयपुर शहर में वर्ष 2012 के आखिरी पड़ाव वाले महिनों में थिएटर का बोलबाला रहेगा। शहर के रवींद्र मंच और जवाहर कला केंद्र में रंग-समारोहों का आयोजन किया जा रहा है। रवींद्र मंच पर रविवार से जयरंगम संस्था की ओर से सात दिवसीय जयरंगम थिएटर फेस्टीवल का शुभारंभ किया गया। समारोह की शुरूआत ही बड़ी रोचक रही। दिल्ली के थिएटर आर्टिस्ट और निर्देशक अरविंद गौड ने अपने साथियों के साथ रवीन्द्र मंच से जवाहर कला केंद्र तक काले कपड़ों में ’रंगयात्रा’ रैली निकालकर एक अभिनव शुरूआत की। उनकी यह रैली हालांकि भ्रष्टाचार के खिलाफ रंगकर्मियों का सांकेतिक विरोध थी लेकिन रैली में दल ने जयरंगम और जय थिएटर के नारे लगाकर लोगों को थिएटर के सामर्थ्य के प्रति आकृष्ट किया। रैली जेएलएनमार्ग से होती हुई जवाहर कला केंद्र पहुंची, जहां उन्होंने मुक्ताकाशीय मंच पर भ्रष्टाचार के खिलाफ नुक्कड़ नाटक कर जयरंगम थिएटर आरंभ होने की घोषणा की।
थ्रीएम डॉट बैंड्स, रवींद्र मंच सोसायटी, जवाहर कला केंद्र, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा रेपर्टरी और विभिन्न कॉर्परेट संस्थाओं की ओर से आयोजित इस समारोह में सोमवार 19 नवंबर शाम 7 बजे रवींद्र मंच पर अरविंद के निर्देशन में नाटक ’रामकली’ का आयोजन किया जाएगा।
इससे पूर्व शाम 5.30 बजे जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में भारतरत्न भार्गव के निर्देशन में नाटक ’विसर्जन’ से समारोह की शुरूआत होगी।
’जिण नाटक नही वेख्या, ओ जन्म्या ही नहीं’ का मंचन-
रविवार को ही जवाहर कला केंद्र परिसर में तपन भट्ट निर्देशित नुक्कड़ नाटक ’जिण नाटक नहीं वेख्या ओ जन्म्या ही नहीं’ का मंचन किया गया। यह नाटक रंग मस्ताने ग्रुप की ओर से खेला गया।
हाउस फुल, बिजली गुल
जयपुर। जयरंगम के सात दिवसीय नाट्य समारोह में 20 नवंबर को मंगलवार शाम रवींद्र मंच पर थिएटर के बीच में लाइट गुल हो जाने से करीब 50 मिनिट मंचन रूका रहा। नाटक देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। राजिन्दर नाथ के निर्देशन में हुए ’जात ही पूछो साधु की’ एक ऐसे युवक की कहानी है जिसका सफर जात-पात, भाईभतीजावाद और बेरोजगारी के गलियारों से होते हुए अपने मुकाम पर पहुंचता है। युवक का किरदार अंबरीश सक्सेना ने निभाया। विजय तेंदुलकर लिखित यह नाटक एनएसडी रेपरेट्री की ओर से हुआ था। जयरंगम उत्सव के तहत मंगलवार को ही एक नाटक ’इन रिश्तों को क्या नाम दिया जाए’ का का मंचन जवाहर कला केंद्र में हुआ। इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन की ओर से हुए इस नाटक का निर्देशन संजय विद्रोही ने किया। मंटो की कहानी टोबा टेक सिंह का नाट्य रूपांतर होने के कारण कहानी का प्रवाह और संवेदना दमदार थी। नाटक में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे का दुख अभिव्यक्त हुआ।
’बेगम का ताकिया’ का मंचन
जयपुर। रवीन्द्र मंच पर चल रहे सात दिवसीय जयरंगम थिएटर उत्सव में बुधवार 21 नवंबर को रणजीत कपूर लिखित और निर्देशित नाटक बेगम का तकिया का मंचन किया गया। हास्य से भरे इस नाटक में दो भाई बेगम की तरफ आकर्षित होते हैं और बाद में विवाद में उलझ जाते हैं। नाटक देखने के लिए दर्शकों में इतना उत्साह था कि रवींद्र मंच की सभी सीटें भर गई और दर्शकों ने कालीन पर बैठकर भी नाटक देखा।
’थर्टी डेज ऑफ सेप्टेम्बर’ का मंचन
जयपुर। जवाहर कला केंद्र और रवींद्र मंच पर चल रहे नाट्योत्सव ’जयरंगम उत्सव’ में गुरुवार 22 नवम्बर को बेहतरीन नाटकों का मंचन किया गया। रवींद्र मंच पर शाम को ’थर्टी डेज ऑफ सेप्टेम्बर’ का मंचन किया गया तो जवाहर कला केंद्र में ’चेखव की दुनिया’ प्रस्तुत हुआ। थर्टी डेज ऑफ सेप्टेम्बर में बच्चों के उत्पीडन से जुडे पक्ष को उजागर किया गया वहीं चेखव की दुनिया में हास्य विनोद नजर आया। थर्टी डेज एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसे उसके बचपन में उसी के एक अंकल प्रताड़ित करते हैं। बचपन में हुए यौन शोषण का असर उसके दिमाग में रच बस जाता है और युवावस्था में भी वह उसी अवसाद से ग्रसित रहती है। इसी कारण वह अपने जीवन में आए किसी भी लड़के पर विश्वास नहीं कर पाती। तब उसका एक दोस्त कारण की तह में जाकर उसे इस अवसाद से निकालने की कोशिश करता है और लड़की से शादी कर लेता है। मंच पर शीतल चौधरी, रमन नंदा, जसकरण बक्शी, अरूष सेठ, रूचि भार्गव, योगेश नरूला, आसिफ और पूर्णिमा ने सधा हुआ अभिनय किया। महेश दत्तानी के इन नाटक का निर्देशन रूचि भार्गव नरूला ने किया। मंच संचालन प्रणय भारद्वाज ने किया।
जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में रूसी नाटककार चेखव के नाटक में चार छोटी कहानियों को जोड़कर जीवन के रंगों को हास्य के जरिए पेश किया गया। नाटक में बेसहारा औरत, शिकारी, सर्जरी और द गिफ्ट छोटी कहानियां थी।
शनिवार को जयरंगम के एक नाटक ’चरणदास चोर’ में पीपली लाइव फेम ओंकारदास मणिकपुरी अभिनय करेंगे। जबकि शुक्रवार को रवींद्र मंच पर ’टीन टप्पर’ और जवाहर कला केंद्र ’मे बी दिस समर’ की प्रस्तुति होगी।
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